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साधना पञ्चकं : प्रवचन-22 (सूत्र-21)
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Length:
60 minutes
Released:
Sep 12, 2022
Format:
Podcast episode
Description
साधना पञ्चकं ज्ञान यज्ञ के 22वें प्रवचन में पूज्य स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने ग्रन्थ के 21वें सोपान की भूमिका एवं रहस्य पर प्रकाश डाला। इसमें शंकराचार्यजी कहते हैं की "ब्रह्मैवस्मि विभाव्यतां"- अर्थात, मैं ही ब्रह्म हूँ यह तीव्र भावना उत्पन्न करें। वेदान्त केवल ब्रह्म का ज्ञान ही नहीं देता है, बल्कि यह भी बताता है की हम सब मूल रूप से ब्रह्म ही हैं। हम सबका जो आज का व्यक्तित्व है वो जगत रुपी नाटक मंच पर हम सबका एक रोल मात्र होता है, एक्टर का वो मूल परिचय नहीं होता है। अज्ञानवशात हम किसी न किसी सांसारिक रोल को ही अपनी वास्तविकता समझ बैठते हैं और इसके कारण ही सब समस्याएं होती हैं, अतः अपनी वास्तविकता को जानकार उसे आत्मसात करने का भरसक प्रयास और साधना करनी चाहिए। सदैव अपनी ब्रह्म-स्वरूपता की भावना उत्पन्न करनी चाहिए।
Released:
Sep 12, 2022
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय २ : सांख्य योग by Vedanta Ashram Podcasts