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साधना पञ्चकं : प्रवचन-29 (सूत्र-28)
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Length:
65 minutes
Released:
Sep 19, 2022
Format:
Podcast episode
Description
साधना पञ्चकं ज्ञान यज्ञ के 29वें दिन पूज्य स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने ग्रन्थ के 28वें सोपान की भूमिका एवं रहस्य पर प्रकाश डाला। इसमें शंकराचार्यजी कहते हैं की "विधिवशात प्राप्तेन सन्तुष्यतां"- अर्थात, ईश्वर इच्छा से जो भी प्राप्त हो जाये उसमे संतुष्ट रहो। हिन्दू धर्म अर्थात सनातन वैदिक धर्म में ईश्वर का बहुत महत्त्व होता है। उनसे हमारा व्यावहारिक जीवन अत्यंत घनिष्ठता से जुड़ा रहता है। हमारा शरीर, सामर्थ्य, हमारी प्रकृति, संसाधन, रिश्ते-नाते सब ईश्वर कृपा से प्राप्त होते हैं। प्रत्येक कर्म में उन्हें ही कर्मफलदाता की तरह से देखा जाता है। ऐसे धर्म में जब किसी महात्मा ने ईश्वरीय तत्व के साथ अपने एकता देख ली है, तो भी व्यवहार में यह ही देखा जाता है, की जब हम भिक्षा मांगते हैं तब भी वे ईश्वर ही दाता के रूप में आकर हमें भिक्षा देते हैं। अतः ईश्वर प्रदत्त भोजन में संतुष्ट ही होना चाहिए। अपने पूर्व राग-द्वेष को कभी आड़े नहीं आने देना चाहिए।
Released:
Sep 19, 2022
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय ५ : कर्म संन्यास योग by Vedanta Ashram Podcasts