Discover this podcast and so much more

Podcasts are free to enjoy without a subscription. We also offer ebooks, audiobooks, and so much more for just $11.99/month.

साधना पञ्चकं : प्रवचन-23 (सूत्र-22)

साधना पञ्चकं : प्रवचन-23 (सूत्र-22)

FromVedanta Ashram Podcasts


साधना पञ्चकं : प्रवचन-23 (सूत्र-22)

FromVedanta Ashram Podcasts

ratings:
Length:
55 minutes
Released:
Sep 13, 2022
Format:
Podcast episode

Description

साधना पञ्चकं ज्ञान यज्ञ के 23वें दिन पूज्य स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने ग्रन्थ के 22वें सोपान की भूमिका एवं रहस्य पर प्रकाश डाला। इसमें शंकराचार्यजी कहते हैं की "अहरहः गर्वः परित्यज्यतां"- अर्थात, प्रतिक्षण अपने गर्व को सिर उठाने नहीं दें। गर्व खंड में होता है, परायों के साथ होता है, अपनों के साथ कोई गर्व नहीं करता है। जहाँ गर्व आया तो हम पुनः द्वैत में आ जाते हैं, और अपनी छोटी अस्मिता की कुछ विशष्टता में रमने लगते हैं। यह हमारी ब्रह्म-स्वरूपता को आच्छादित और बाधित कर देता है। या तो हम बड़े हैं या तो छोटे। गर्व सहज हो चुका है अतः इसको दूर करने के लिए विशेष सजगता की आवश्यकता होती है। इससे पूर्व महाराज श्री ने ब्रह्माकार वृत्ति के गूढ़ रहस्य बताये। ये सब आप ध्यान पूर्वक प्रवचन में सुनें।
Released:
Sep 13, 2022
Format:
Podcast episode

Titles in the series (100)

Pravachans / Moral-Stories / Chantings / Bhajans - by Mahatmas of Vedanta Ashram, Indore