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गीता महायज्ञ - अध्याय-14
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Length:
94 minutes
Released:
Mar 20, 2021
Format:
Podcast episode
Description
गीता महायज्ञ के १६वें दिन गीता के गुणत्रयविभाग योग नामक १४वें अध्याय का सार बताते हुए पूज्य स्वामी आत्मानन्द जी महाराज ने कहा कि इस अध्याय में भगवान् आत्म-अनात्म विवेक को एक दूसरी तरह से प्रस्तुत करते हैं - वह है प्रकृति एवं पुरुष विवेक। वे इस विवेक की स्तुति पूर्वक कहते हैं सृष्टि को प्रारम्भ से देखना चाहिए। प्रारम्भ में परमात्मा खुद प्रकृति में गर्भादान करते हैं जिससे वो सृष्टि की प्रक्रिया प्रारम्भ करती है। प्रकृति में निहित तीन गुण विविध रूप से व्यक्त होकर ये सृष्टि बनाते हैं। ये तीन गुण सब विविधिता एवं गति के हेतु होते हैं। सब कर्तापन इन्ही गुणों का होता है। जो व्यक्ति इस तथ्य को देख पाता है, तथा इन गुणों से परे चिन्मयी एवं अकर्ता अधिष्ठाता देख लेता है वो गुणातीत हो जाता है, ऐसा व्यक्ति ही मुक्त और धन्य हो जाता है। अध्याय के अंत में इन गुणातीत व्यक्ति के अनेकानेक लक्षण आदि बताते हैं।
Released:
Mar 20, 2021
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Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय ८ : अक्षरब्रह्मयोग by Vedanta Ashram Podcasts