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साधना पञ्चकं : प्रवचन-05 (सूत्र-4)
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Length:
59 minutes
Released:
Aug 26, 2022
Format:
Podcast episode
Description
साधना पञ्चकं ज्ञान यज्ञ के ५वें प्रवचन में पूज्य स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने ग्रन्थ में प्रतिपादित चौथे सोपान एवं सूत्र पर प्रकाश डाला। इसमें शंकराचार्यजी कहते हैं की "काम्ये मतिः त्यज्यताम" अर्थात - कामना की मति को त्यागो। इस सूत्र की भूमिका बनाते हुए पू स्वामीजी ने कहा कि - किसी भी सत्कार्य को करने में जो बाधाएं आती हैं, जिनके वजह से हम असमर्थ से दिखते हुए गलत दिशा में प्रवाहित होते चले जाते हैं - वे बाधाएं कोई बहार से नहीं आती हैं बल्कि वे सब हमारे ही मन की पूर्व कामनाएं आदि होती हैं। इन विक्षेपों के क्षणों में हम लोग राग और द्वेष आदि वृत्तियों का सामर्थ्य देख सकते हैं। हमारे सब संकल्प धरे के धरे रह जाते हैं। मन में विद्यमान राग और द्वेष से जनित काम और क्रोध आदि वृत्तियाँ एक दिन में नहीं आयी हैं बल्कि एक किसान की तरह हमने अपने ही मन में पहले काम के बीज डाले फिर सतत तीव्र भावनात्मक चिंतन के द्वारा उन्हें प्रबल किया और फिर ये प्रबल रूप लेते हैं। अगर हमें आज किसी दूसरी दिशा में चलना है तो पहले तो धीरज से पुरानी खेती के बीच रहते हुए उन्हें सहना होता है और नए बीज डालते हैं। यह कार्य बड़ी लगन से और धीरज से करना होता है। अगर हमारा निश्चय दृढ़ होगा तो निश्चित रूप से हमारी बगिया बदल जाएगी। बाहरी विषयों में कमी बुद्धि को त्यागना परम आवश्यक है।
Released:
Aug 26, 2022
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Podcast episode
Titles in the series (100)
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