Discover this podcast and so much more

Podcasts are free to enjoy without a subscription. We also offer ebooks, audiobooks, and so much more for just $11.99/month.

साधना पञ्चकं : प्रवचन-09 (सूत्र-8)

साधना पञ्चकं : प्रवचन-09 (सूत्र-8)

FromVedanta Ashram Podcasts


साधना पञ्चकं : प्रवचन-09 (सूत्र-8)

FromVedanta Ashram Podcasts

ratings:
Length:
62 minutes
Released:
Aug 30, 2022
Format:
Podcast episode

Description

साधना पञ्चकं ज्ञान यज्ञ के ९वें प्रवचन में पूज्य स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने ग्रन्थ में प्रतिपादित आठवें सोपान एवं सूत्र पर प्रकाश डाला। इसमें शंकराचार्यजी कहते हैं की "निजगृहात तूर्णं विनिर्गमयताम" - अर्थात अपने घर से शीघ्र बाहर निकलो। जीवन के प्रारंभिक चरणों में हम लोगों का घर अत्यंत आवश्यक होता है। यहीं पर हम सबका विकास प्रारम्भ होता है। शरीर की स्वस्थता, शिक्षा का प्रारम्भ, संस्कारों की प्राप्ति सुन्दर दैवी मूल्यों का समावेश, अनेकों के स्नेह का भाजन बनाना - ये सब घर में ही होता है, इसलिए धर्माचरण का प्रारम्भ यहीं से होता है। लेकिन ध्यान रहे ईश्वर ने हमें ये पूरी दुनिया दी है, सभी को एक न एक दिन अपना ही घर देखना चाहिए। घर के अच्छे संस्कार और शिक्षा वो होती हैं जब हम एक न एक दिन पूरी दुनियां को अपना घर समझने में सक्षम हो। घर से निकलें तब ही तो सत्संग आदि सब मिलता है। आचार्य कहते हैं शीघ्र निकलो - तूर्णं। जैसे की चूजे को एक दिन अंडे से बाहर निकलना होता है, वैसे ही अपनी छोटी दुनियां से बाहर निकालो। जो व्यक्ति छोटी दुनियाँ में ही सुखी रहता है, वो अभी वस्तुतः खुद छोटा है, पराधीन है, और बाहरी अनुकूलता को ही सुख समझता है - वो वस्तुतः अभी अज्ञान और मोह में जी रहा है। ऐसे व्यक्ति को यह बात कभी भी समझ में नहीं आएगी की आत्मा ही आनंद स्वरुप होती है।
Released:
Aug 30, 2022
Format:
Podcast episode

Titles in the series (100)

Pravachans / Moral-Stories / Chantings / Bhajans - by Mahatmas of Vedanta Ashram, Indore