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साधना पञ्चकं : प्रवचन-32 (सूत्र-31)
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Length:
67 minutes
Released:
Sep 22, 2022
Format:
Podcast episode
Description
साधना पञ्चकं ज्ञान यज्ञ के 32वें दिन पूज्य स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने ग्रन्थ के 31वें सोपान की भूमिका एवं रहस्य पर प्रकाश डाला। इसमें भगवान् शंकराचार्यजी कहते हैं की "औदासिन्यम अभीप्स्यतां" - अर्थात, सैदव तटस्थता बनाए रखें। व्यावहारिक जगत में प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी समझ से जीता है और अनेकानेक प्रयोग करता रहता है। इनसे व्यक्ति की जरुरतें पूरी होती रहतीं हैं और साथ साथ ये शिक्षा भी प्राप्त होती रहती है की किसे कितना महत्त्व देना चाहिए। यह ही सब की जीवन यात्रा होती है। एक सन्यासी को सब देखते हुए तब तक तटस्थ ही रहना चाइये जब तक कोई अपनी तरफ से न पूछे। सबके प्रति आत्मीयता एवं अपनापन लेकिन अपनी धारणाएं किसी पर आरोपित न करें। एक न्यायाधीश की तरह तटस्थ रहना चाहिए, और उचित समय अपनी राय दें वो भी निरपेक्षता से। किसी का भी पक्ष लेने से अपना मन चिन्तित होगा और अपनी साधना भंग होगी, इसलिए उदासीन रहना सीखें।
Released:
Sep 22, 2022
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय ६ : आत्मसंयम योग by Vedanta Ashram Podcasts