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गीता महायज्ञ - अध्याय-4
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Length:
87 minutes
Released:
Mar 20, 2021
Format:
Podcast episode
Description
गीता महायज्ञ के छठे दिन गीता के ज्ञानकर्मसन्यास योग नामक चौथे अध्याय का सार बताते हुए पूज्य स्वामी आत्मानन्द जी महाराज ने कहा कि इस अध्याय का प्रारम्भ भगवान् के वचनो से होता है। वे स्वतः कर्म योग की स्तुति करते हैं। वे कहते हैं की हमने ये योग सबसे पहले सूर्य देवता को दिया था - इसी के कारन वे इतने अध्भुत प्रकार से कभी न थकते हुए सबके ऊपर कृपा की वृष्टि करते हुए कार्य करते रहते हैं। सूर्य देवता ने यह ज्ञान मनुजी को प्रदान किया और इस तरह से अनेकानेक राजर्षि इस ज्ञान से युक्त होकर महातनता को प्राप्त हुए। लेकिन यह ज्ञान परंपरा से धीमे-धीमे नष्ट हो गया, इसलिए वे आज यह ही ज्ञान अर्जुन को दे रहे हैं, क्यूंकि अर्जुन उनका सखा होने के साथ साथ उनका भक्त भी है। अर्जुन से जब ये पूछा की उनका जन्म तो अभी कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ है तो उन्होंने सृष्टि के पूर्व सूर्य देवता को कैसे दिया, तब भगवान् ने अर्जुन को अवतार का रहस्य बताया। इससे जुड़े अनेकानेक रहस्य बताये और कहा की हमारे जन्म और कर्म से जो उचित शिक्षा लेता है वो भी पहले निर्मल होता है और फिर अपने मूल तत्व का ज्ञान प्राप्त कर मुक्त हो जाता है। इसके लिए उन्होंने यज्ञ भाव को अपने अंदर समाविष्ट करने की प्रेरणा दी, और फिर निर्मल और सन्यस्त मन से ज्ञान के लिए किसी गुरु के पास जाने को कहा।
Released:
Mar 20, 2021
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Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय ५ : कर्म संन्यास योग by Vedanta Ashram Podcasts