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गीता महायज्ञ - अध्याय-6
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Length:
88 minutes
Released:
Mar 20, 2021
Format:
Podcast episode
Description
गीता महायज्ञ के आठवें दिन गीता के ध्यान-योग नामक छठे अध्याय का सार बताते हुए पूज्य स्वामी आत्मानन्द जी महाराज ने कहा कि इस अध्याय में भगवान योग की अंतरंग साधना अर्थात ध्यान के समस्त पहलु बताते हैं। पिछले अध्यायों में उन्होंने कर्म-योग रुपी बहिरंग साधना बताई और अब हमें और अंदर की गहराईयों में ले चल रहे हैं। इस अध्याय में भी पहले वे कर्मफल के ऊपर आश्रित हुए बगैर कर्म करने का पुनः महत्त्व बताते हैं। योगी होना सन्यासी होने की तरफ कदम है। योग में आरूढ़ होने के लिए हम ही अपने मित्र या दुश्मन होते हैं। आगे ध्यान के लिए विविध प्रारंभिक बातें बताते हैं और फिर कहते हैं की ध्यान में मूल रूप से अपने आत्मा का ज्ञान ही प्रधान होता है। अगर मन कभी इधर-उधर जाये तो भी धीरज से पुनः मन को आत्माभिमुख करें। अभ्यास और वैराग्य से कैसा भी चंचल मन शांत और अन्तर्मुख किया जा सकता है। अध्य के अंत में अच्छे योगी के लक्षण भी बताये और अर्जुन के मन के कुछ संशय भी दूर करे।
Released:
Mar 20, 2021
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Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय ६ : आत्मसंयम योग by Vedanta Ashram Podcasts