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गीता महायज्ञ - भूमिका-1
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Length:
69 minutes
Released:
Mar 19, 2021
Format:
Podcast episode
Description
सम्पूर्ण भगवद-गीता के महायज्ञ की प्रवचन श्रंखला का प्रारम्भ करते हुए वेदान्त आश्रम, इंदौर के पूज्य गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द जी महाराज ने अपनी भूमिका में बताया कि महाभारत युद्ध एक धर्म युद्ध था। इसमें पांडव लोग धर्म के पक्ष वाले थे और कौरव अधर्म के। धर्म, पूरी दुनियाँ को सर्वज्ञ, सर्व-शक्ति के धाम, करुणानिधान ईश्वर को मध्य में रखकर जीवन जीने की कला है, एवं अधर्म एक छोटे, असुरक्षित, अपूर्ण व्यक्ति को मध्य में रखकर जीवन जीने का तरीका है। धर्ममय व्यक्ति उद्दात, धन्य, और सब के कल्याण के लिए जीने वाला होता है, तथा अधर्म के पथ पे चलने वाला व्यक्ति असुरक्षित और सदैव अपने स्वार्थ की पूर्ती के लिए प्रेरित होता है। ये दो प्रकार की जीवन जीने की कलाएँ होती हैं। जब तक ईश्वरीय सत्ता का ज्ञान नहीं होता है तब तक प्रत्येक मनुष्य स्वार्थ से ही प्रेरित होता है एवं अधर्म के पथ का ही अनुसरण करता है। जो भी अधर्म के पथ पर चलता है उसको सदैव चिंता एवं शोक का सामना करना पड़ता है। गीता मूल रूप से मनुष्य को शोक के मुक्ति का पथ बताती है। यह ही भगवद गीता का विषय और प्रयोजन है।
Released:
Mar 19, 2021
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Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय १६ : दैवासुरसम्पद्विभागयोग by Vedanta Ashram Podcasts