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मुण्डकोपनिषद प्रवचन (२९ अप्रैल २०२१) का सार
मुण्डकोपनिषद प्रवचन (२९ अप्रैल २०२१) का सार
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Length:
4 minutes
Released:
Apr 29, 2021
Format:
Podcast episode
Description
वेदांत आश्रम, इंदौर में आजकल मुण्डकोपनिषद की तीसरी वल्ली पर प्रवचन चल रहे हैं। प्रसंग यह चल रहा है की अपने छोटेपन की धारणा ही हमारी समस्त शोक और पीड़ाओं का कारण होती है। इस छोटेपने से मुक्त होना ही आत्मा-ज्ञान का प्रयोजन होता है। जब ' मैं ' छोटा होता है तभी ' मेरा ' भी छोटा होता है। सीधे मैं का ज्ञान नहीं होता है, पहले हमें मेरे को व्यापक, उदात्त एवं बड़ा बनाना चाहिए। इसी को समष्टि दृष्टी से युक्त होना कहते हैं, यह ही धार्मिक जीवन का भी प्रयोजन होता है। जिसकी दुनियाँ बड़ी होती है उसका मैं भी विशाल होने लगता है - और जीवन में यज्ञ, दान और तप रुपी चित्तशोधक साधानाएं संभव हो पाती हैं। छोटेपन की बुद्धि और अस्मिता से युक्त व्यक्ति यज्ञ, दान और तप रुपी साधनाएं ठीक से कर भी नहीं पाते हैं, और इसी लिए उन्हें ब्रह्म-ज्ञान भी कभी प्राप्त नहीं हो पाता है। अतः पहले प्रत्येक व्यक्ति को मेरे का दायरा बढ़ाना चाहिए और नित्यप्रति अपनी प्रार्थना में सबके कल्याण की भी प्रार्थना जोड़नी चाहिए।
यह प्रवचन का सार पू स्वामिनी पूर्णानन्द जी ने बताया।
यह प्रवचन का सार पू स्वामिनी पूर्णानन्द जी ने बताया।
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Apr 29, 2021
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Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय ७ : ज्ञान विज्ञान योग by Vedanta Ashram Podcasts