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साधना पञ्चकं : प्रवचन-13 (सूत्र-12)
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Length:
62 minutes
Released:
Sep 3, 2022
Format:
Podcast episode
Description
साधना पञ्चकं ज्ञान यज्ञ के 13वें प्रवचन में पूज्य स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने ग्रन्थ में प्रतिपादित १२वें सोपान की भूमिका एवं रहस्य पर प्रकाश डाला। इसमें शंकराचार्यजी कहते हैं की "दृढतरं कर्माशु संत्यज्यतां" - अर्थात दृढ़ता से कर्म को शीघ्र त्याग दें। इसका अर्थ गहराई से समझने योग्य है। एक समय ये ही आचार्य और शास्त्र हम सबको कर्म को अच्छी तरह से करने की प्रेरणा देते हैं, और अब वे ही कर्म को छोड़ने की बात के रहे हैं। कर्म को छोड़ने का अर्थ है की कर्म की सीमाओं को पहचानना। जीवन के प्रारम्भ में लगता है की कर्म से सब कुछ मिल जायेगा, लेकिन कर्म से केवल अनित्य और नश्वर चीज़ें ही मिलती हैं। जो नित्य, शाश्वत और अनंत होता है वो कर्म से प्राप्ति का विषय नहीं होता है, वो तो कण-कण में पहले से ही विद्यमान होना चाहिए, उसे मात्र जानने की जरूरत है। अप्राप्त वास्तु की प्राप्ति के लिए कर्म होता है, सतत विद्यमान वस्तु में तो ज्ञान से मात्र जगा जाता है। जब तक हमारा कर्म में अभिनिवेश और आग्रह होता है तब तक हम केवल अनित्य और अप्राप्त वस्तुओं को ही महत्त्व देते हैं। इस लिए कर्म की मनोवृत्ति का दृढ़ता से अवश्य त्याग करना चाहिए।
Released:
Sep 3, 2022
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय ९ : राजविद्याराजगुह्ययोग by Vedanta Ashram Podcasts