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साधना पञ्चकं : प्रवचन-39 (सूत्र-38)
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Length:
60 minutes
Released:
Sep 29, 2022
Format:
Podcast episode
Description
साधना पञ्चकं ज्ञान यज्ञ के 39वें दिन पूज्य स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने 38वें सोपान की भूमिका एवं रहस्य पर प्रकाश डाला। इसमें भगवान् शंकराचार्यजी कहते हैं की "चितिबलात नाप्युत्तरैः शिलिष्यतां" - अर्थात, विवेक से आगामी उतार-चढ़ाओ से लिप्त न होना। जब हम कर्ता और भोक्तापने से मुक्त हो जाते हैं तभी जीव-भाव समाप्त हो जाता है, और जब जीव भाव समाप्त हो जाता है तो उसके द्वारा अर्जित सभी प्रकार के कर्म भी समाप्त हो जाते हैं। आगामी कर्म भी तभी संगृहीत होते हैं जब परिस्थितियों से अपेक्षाएं रहती हैं। जो एक तरफ से अपनी ब्रह्म-स्वरूपता का ध्यान बनाए रखता है और दूसरी तरफ से सतत जगत के मिथ्या-स्वरूपता का ध्यान भी बनाए रखता है - उसमे ही नयी वासनाएं उत्पन्न नहीं होती हैं। यह ही चिति-बलात शब्द का आशय है।
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Sep 29, 2022
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय १२ : भक्तियोग by Vedanta Ashram Podcasts