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गीता महायज्ञ - अध्याय-11
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Length:
92 minutes
Released:
Mar 20, 2021
Format:
Podcast episode
Description
गीता महायज्ञ के १३वें दिन गीता के विस्वरूपदर्शन योग नामक ११वें अध्याय का सार बताते हुए पूज्य स्वामी आत्मानन्द जी महाराज ने कहा कि पिछले अध्याय के अंत में भगवान् ने कहा था की अर्जुन यद्यपि हमारी विविध विभूतियाँ हमारी स्मरण और भजन का अन्यन्त सुन्दर और सरल निमित्त होती हैं लेकिन ये अनंत होती हैं, और सभी को देखा भी नहीं जा सकता है। हम वस्तुतः अपने एक छोटे से अंश से पूरी दुनिया को धारण करते हैं। इस वाक्य से अर्जुन को प्रेरणा हुई की काश हम ईश्वर को वो रूप देख पाएं की वे ही पूरी दुनिया को व्याप्त और धारण कर रहे हैं। यह ही निवेदन भी करता है और भगवान् ने उसकी इच्छा स्वीकार करते हुए उसे कुछ समय के लिए एक दिव्य चक्षु प्रदान करी जिससे वो पूरे ब्रह्माण्ड में ईश्वर का अस्तित्व देखने लगा। इससे उसको बहुत सारी शिक्षाएं मिली जिनका पूज्य गुरूजी ने अपने सुन्दर उद्बोधन में चर्चा करी।
Released:
Mar 20, 2021
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Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय ६ : आत्मसंयम योग by Vedanta Ashram Podcasts