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साधना पञ्चकं : प्रवचन-31 (सूत्र-30)
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Length:
64 minutes
Released:
Sep 21, 2022
Format:
Podcast episode
Description
साधना पञ्चकं ज्ञान यज्ञ के 31वें दिन पूज्य स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने ग्रन्थ के 30वें सोपान की भूमिका एवं रहस्य पर प्रकाश डाला। इसमें भगवान् शंकराचार्यजी कहते हैं की "न तु वृथा वाक्यं समुच्चार्यतां" - अर्थात, निष्प्रयोजन वाक्य कभी मत बोलो। हम लोगों की वाणी बहुत शक्तिशाली होती है, उसको सदैव सोच-समझ के ही प्रयोग करना चाहिए। जब हमारे वचन की सही में आवश्यकता हो तभी नाप-तौल के और प्रेम से अपने वचन बोलने का अभ्यास करना चाहिए। हम जब अपने वचनों की खुद इज्जत करेंगें तभी सुनने वाला भी हमारी वाणी की इज्जत करेगा। इसलिए बोलने से पहले अच्छी तरह से विचार करके, कम से कम शब्दों में प्रामाणिक बात कहने का अभ्यास करना चाहिए। दुनियाँ में अनेकों समस्याएं होती हैं, लेकिन समस्याएँ वस्तुतः व्यक्ति को कुछ न कुछ सिखाती हैं, तो सब को अपने आप सीखने दो, और अगर कोई रास्ता न मिलने पर विशेष निवेदन करे तब ही कम से कम शब्दों में बताएं।
Released:
Sep 21, 2022
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
(मराठी) अध्याय ९ : राजविद्याराजगुह्ययोग by Vedanta Ashram Podcasts