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लाश की वापसी
लाश की वापसी
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लाश की वापसी

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About this ebook

अजय कुमार 'थंडर' का क्राइम रिपोर्टर और मुसीबतजदा औरतों का मसीहा
कांता सबरवाल- बेहद चालाक और फरेबी औरत। बाकायदा स्टेज तैयार करके कहानी गढ़ली। वह अजय को तो नहीं जानती थी मगर उसके बारे में बहुत कुछ जानती थी। उसका नंबर मालूम करके फोन पर इस ढंग से मदद की गुहार लगाई कि अजय होटल में उसके रूम सुइट में आ पहुंचा...।
मनगढ़ंत कहानी और मंजे हुए अभिनय से अजय को शीशे में उतार उसका भरोसा और हमदर्दी पाने में कामयाब हो गई।
अजय नामुमकिन और खतरनाक नजर आते काम को करने के लिए तैयार हो गया। काम था- उसके रूम सुइट में पड़ी एक आदमी की गर्म लाश को बाहर ले जाकर फेंकना।
अजय ने लाश ले जाकर होटल के बाहर एंबेसडर की डिग्गी में लॉक कर दी... कार ड्राइव करता अजय लाश फेंकने के लिए किसी सही जगह की तलाश में था कि एक शराबी ने पीछे से अपनी फिएट ठोंक दी... तुरंत ब्रेक लगाने के बावजूद एंबेसेडर पेड़ से टकराने से तो बाल बाल बच गई लेकिन फिएट और पेड़ के बीच इस तरह फस गई कि फिएट पीछे किए बगैर हिल भी नहीं सकती थी।
ऊपर से आ पहुंची पुलिस पैट्रोल कार।
एंबेसेडर चोरी की निकली।
अजय को सर्वनाश साफ नजर आ रहा था।
तीनों कारों का काफिला पुलिस स्टेशन पहुंचा।
डिग्गी में बंद लाश सहित एंबेसेडर उसके मालिक को सौंप दी गई। इस बखेडे़ से निपटते अजय को पता चला मक्कार कांता सबरवाल ने बड़ी सफाई से उसे इस झमेले में फंसा दिया था। उसके खुराफाती दिमाग ने बदला लेने का फैसला कर लिया- लाश को दोबारा अपने कब्जे में लेकर वापस उसी औरत के मत्थे मढ़कर रहेगा...!!
(रोचक, रोमांचक एवं तेज रफ्तार उपन्यास)

Languageहिन्दी
PublisherAslan eReads
Release dateJun 12, 2021
ISBN9789385898891
लाश की वापसी

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    लाश की वापसी - प्रकाश भारती

    लाश की वापसी

    प्रकाश भारती

    Aslan-Reads.png

    असलान रीड्स

    के द्वारा प्रकाशन

    असलान बिजनेस सॉल्यूशंस की एक इकाई

    बोरिवली, मुंबई, महाराष्ट्र, इंडिया

    ईमैल: hello@aslanbiz.com; वेबसाइट: www.aslanreads.com

    कॉपीराइट © 1988 प्रकाश भारती द्वारा

    ISBN 978-93-85898-89-1

    इस पुस्तक की कहानियाँ काल्पनिक है। इनका किसी के जीवन या किसी पात्र से कोई

    संबंध नहीं है। यह केवल मनोरंजन मात्र के लिए लिखी गई है।

    अत: लेखक एवं प्रकाशक इनके लिए जिम्मेदार नहीं है।

    यह पुस्तक इस शर्त पर विक्रय की जा रही है कि प्रकाशक की

    लिखित पूर्वानुमती के बिना इसे या इसके किसी भी हिस्से को न तो पुन: प्रकाशित

    किया जा सकता है और न ही किसी भी अन्य तरीके से, किसी भी रूप में

    इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है।

    यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

    अंतर्वस्तु

    प्रकाश भारती - लाश की वापसी

    लाश की वापसी

    * * * * * *

    प्रकाश भारती - लाश की वापसी

    बताओ न, क्या हुआ ? कान्ता ने पूछा ।

    अजय ने बेचैनी से अपनी कुर्सी में पहलू बदला ।

    लाश गुम हो गई ।

    कान्ता बुरी तरह चौंकी ।

    क्या ?

    इससे पहले कि लाश के बारे में किसी और को पता चले । अजय शांत स्वर में बोला–अगर उस एम्बेसेडर कार का पता लग जाता है, जिसकी डिग्गी में लाश बंद है, और मैं उसे दोबारा हासिल करने में कामयाब हो जाता हूं तो हम अभी भी बच सकते हैं ।

    साफ–साफ बताओ, बात क्या है ?

    लाश किसी और के कब्ज़े में पहुंच गई ।

    यह कैसे हो गया ?

    अजय ने गहरी सांस ली ।

    यह लम्बी कहानी है । सिर्फ इतना समझ लो, अब बचाव की एक ही सूरत है ।

    क्या ?

    लाश की वापसी ।

    * * * * * *

    लाश की वापसी

    उपन्यासकार प्रकाश भारती के फेमस स्टाइल में लिखा गया

    अजय सीरीज़ का बहुचर्चित उपन्यास !

    प्रकाश भारती के उपन्यासों का बेसिर–पैर की घटनाओं से कोई वास्ता नहीं होता । वे सिर्फ सत्य एवं प्रामाणिक जैसी लगने वाली घटनाओं पर ही उपन्यास लिखते हैं, यही कारण है कि इनके उपन्यास जासूसी उपन्यासों के पाठकों के बीच सर्वाधिक पसंद किये जाते हैं ।

    * * * * * *

    लाश की वापसी

    मेघदूत होटल में...।

    आठवें खंड पर स्थित वो रूम सुइट शानदार था । कूलर की ठंडी नम हवा और रेडियो से उभरते धीमे पाश्चात्य संगीत ने मिलकर सुखद वातावरण को काफी हद तक रोमांटिक टच भी प्रदान कर दिया था ।

    लेकिन वहां मौजूद इकलौती स्त्री के चेहरे पर गहन विचारपूर्ण भाव थे । रेशमी गाउन में लिपटी वह लंबे आरामदेह सोफे पर बैठी थी । ऊँचे कद और तनिक मांसल शरीर वाली लगभग बयालीस वर्षीया वह स्त्री सुंदर होने के साथ-साथ आकर्षक व्यक्तित्व की स्वामिनी भी थी ।

    उसके सामने मेज पर एक ट्रे में व्हिस्की की तीन चौथाई से भी ज्यादा भरी बोतल, आइसक्यूब्स से भरा बाउल, सोडे की चार बोतलें और एक बॉटल ओपनर मौजूद थे । ट्रे के पास ही सिगरेटों के करीब आधा दर्जन टोंटो से भरी एक राखदानी रखी थी ।

    स्त्री के दाएँ हाथ में सोडामिश्रित व्हिस्की का आधे से अधिक भरा गिलास था और बाएँ हाथ की दो उंगलियों में फंसा ताज़ा सुलगाया सिगरेट उसके होठों के इतना पास था कि सिगरेट का धुआँ उसकी आंखों में घुस रहा था । मगर इसकी कोई परवाह किए बगैर, सोफे पर सीधी तनी बैठी वह अपलक सामने दीवार को ताक रही थी ।

    अचानक उसने अपनी आँखें मिचमिचाई फिर उन्हें बंद कर लिया और कई पल उसी तरह बैठी रही । अब उसके चेहरे पर किसी की प्रतीक्षा कर रही होने के कारण उत्पन्न तनावपूर्ण भाव भी स्पष्ट दष्टिगोचर हो रहे थे ।

    उसने बेचैनी से पहलू बदला फिर आँखें खोलकर अपनी रिस्टवाच पर निगाह डाली ।

    साढ़े छह बजे थे ।

    उसने व्हिस्की का बड़ा–सा घूँट लेकर गिलास मेज पर रख दिया । सोफे की पुश्त से पीठ सटाकर सिगरेट के कश लेने लगी ।

    वह जानती थी उसे इस तरह व्याकुल नहीं होना चाहिए । टेलीफोन की घंटी बजने या दरवाजे पर दस्तक दी जाने में कई घंटे का वक्त भी लग सकता था । इसलिए उसे सब्र के साथ इंतजार करना चाहिए ।

    उसने ऐसा ही करने का फैसला कर लिया ।

    इंतजार के दौरान व्हिस्की पीने की रफ्तार को भी सुस्त रखना ही बेहतर होगा । उसने मन ही मन कहा । वरना व्हिस्की उस पर हावी हो जाएगी । और यह वह होने नहीं देना चाहती थी ।

    उसने अंतिम कश लेकर सिगरेट एश ट्रे में कुचल दी ।

    गिलास उठाकर व्हिस्की सिप की । फिर गिलास वापस रखकर सोफे पर बगल में पड़े अखबार पर निगाह डाली । वो विराटनगर से निकलने वाले एक राष्ट्रीय स्तर के अखबार 'ताज़ा समाचार' की पिछले रोज की प्रति थी । वह पहले भी उस अखबार को शुरू से आखिर तक पूरा पढ़ चुकी थी । लेकिन फिर उसे उठाया और खोलकर अपनी गोद में फैला लिया ।

    बीच वाले दाएँ पेज पर छपे उस समाचार का हर एक लफ्ज वह पहले भी ध्यानपूर्वक पढ़ चुकी थी । लेकिन उसकी निगाहें पुनः उसी पर जा टिकीं ।

    वो समाचार विकी सबरवाल और युवा संसद सदस्य विनय मल्होत्रा के अगले रविवार होने वाले विवाह के संबंध में था ।

    विकी सबरवाल और विनय मल्होत्रा की फोटुएं भी छपी थीं ।

    विकी की फोटो से ही उसके इंतिहाई खूबसूरत होने का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता था । उसके मासूम चेहरे पर आत्मविश्वास की झलक नजर आ रही थी । उसकी बड़ी–बड़ी मोहक आंखों में अपार प्रसन्नतापूर्ण चमक थी । मानो उसके जीवन के तमाम सुनहरे सपने एक साथ साकार होने वाले थे ।

    फोटो के मुताबिक विनय मल्होत्रा भी हैंडसम था । लेकिन उसकी और विकी की उम्र में आठ–दस साल का फर्क साफ नजर आ रहा था ।

    स्त्री की निगाहें बार–बार विकी की फोटो पर ही जम रही थीं । कितनी खूबसूरत है ? क्या इस उम्र में मैं इतनी ही जवान और खूबसूरत थी ? क्या मुझमें भी इतना ही आत्मविश्वास था ?

    विवाह !

    उसने गहरी सांस ली । फिर उसके चेहरे पर कड़वाहट भरे भाव पैदा हो गए ।

    फोटुओं से निगाहें हटाकर वह पहले भी कई बार पढ़े समाचार को पुनः पढ़ने लगी ।

    संक्षेप में, समाचार के अनुसार–विकी सबरवाल और विनय मल्होत्रा का विवाह ७३७, बीच रोड, विराटनगर में आगामी रविवार को होना था । समारोह किसी भी प्रकार की तड़क भड़क के बगैर बड़े ही सादा ढंग से सम्पन्न होगा ।

    पाली हिल, बम्बई में पली–बढ़ी विकी सबरवाल एक हफ्ता पहले ही विराटनगर आ चुकी थी और होटल मेघदूत में ठहरी हुई थी । वह फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर लेखिका कान्ता सबरवाल की सुपुत्री थी । कान्ता सबरवाल ने टेलीविजन पर प्रसारित, सत्य घटनाओं पर आधारित, 'क्राइम रिपोर्टर' नामक सीरियल की पटकथा भी लिखी थी । काफी पापुलर हुए इस सीरियल ने कान्ता सबरवाल को टेलीविजन के क्षेत्र में भी लोकप्रिय बना दिया था । अत्यधिक व्यस्तता के कारण वह अपनी बेटी के साथ बम्बई से विराटनगर नहीं आ सकी थी । वह कल प्लेन द्वारा पहुंचकर अपनी बेटी से आ मिलेगी ।

    विनय मल्होत्रा, विराटनगर के प्रमुख उद्योगपति और समाजसेवी गोविंद नारायन मल्होत्रा का इकलौता बेटा था । वह लॉ ग्रैजुएट था । पढ़ाई के साथ–साथ समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय भाग लेता रहा था । संसद सदस्य दिगम्बर नाथ की मृत्यु हो जाने के कारण खाली हुई सीट के लिए हाल ही में हुए मध्यावधि चुनाव में उसने सत्तारुढ़ दल के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और विजयी रहा था ।

    समाचार के अंत में उन गणमान्य व्यक्तियों के नाम थे जिन्होंने विवाह समारोह में भाग लेना था ।

    उसने अखबार एक तरफ रख दिया गिलास से हल्का–सा घूँट लेकर एक सिगरेट सुलगा लिया ।

    कान्ता सबरवाल, पाली हिल, बम्बई । वह मुंह बनाती हुई बड़बड़ाई–फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर लेखिका और टेलीविजन के क्षेत्र में भी नाम कमाने वाली...।

    अखबार में छपा विवरण काफी हद तक सही था । उसने सोचा । सम्भवतया, प्रेस को यह जानकारी विकी ने दी थी । और अखबार में इसे थोड़ा बढ़ा–चढ़ाकर छाप दिया गया था ।

    उसने गहरा कश लेकर ढेर सारा धुआँ छोड़ा । फिर अपनी रिस्टवाच पर दृष्टिपात किया ।

    छह बजकर बावन मिनट हुए थे ।

    व्हिस्की का घूँट लेने के लिए उसने गिलास की ओर हाथ बढ़ाया ही था कि प्रवेश द्वार पर हौले से दस्तक दी जाने की आवाज़ सुनाई दी ।

    सिगरेट एश ट्रे में रखकर वह फौरन खड़ी हो गई ।

    उसका चेहरा खुशी से चमकने लगा था । स्वागत भरी मुस्कान लिए वह तेजी से लपककर आगे बढ़ी और दरवाज़ा खोल दिया ।

    लेकिन बाहर खड़े आदमी पर निगाह पड़ते ही उसकी मुस्कराहट गायब हो गई ।

    एक पल के लिए उसे लगा मानो समस्त शरीर को लकवा मार गया था । फिर वह डोर नॉब थामे असहाय–सी यूँ पीछे हटी मानो उसकी टांगों में शरीर का भार सम्भालने की ताकत नहीं रह गई थी । उसकी संकुचित आँखों में घोर अविश्वास और नफरत के मिले–जुले भाव पैदा हो गए थे ।

    नहीं ! यह नहीं हो सकता ! नहीं ! वह बड़े ही कठिन स्वर में बोली ।

    उसने अपनी आँखें बंद कर लीं । मानो उसे यकीन था कि जो कुछ वह देख रही थी वो हकीक़त नहीं सपना था और आँखें खोलते ही टूट जाएगा ।

    लेकिन जब उसने दोबारा आँखें खोलीं तब भी आगंतुक वहीं मौजूद था । इस दफा उसके मुंह से बोल तक नहीं फूटा ।

    –आगंतुक अधिकारपूर्वक भीतर दाखिल हुआ । उसके पतले होठों पर कुटिलतापूर्ण मुस्कराहट थी और दोनों हाथ पैंट की जेबों में ठुँसे हुए थे ।

    हलो, स्वीट हार्ट । वह तनिक भारी स्वर में बोला–लगता है, तुम्हें मेरे आने की उम्मीद नहीं थी । क्यों ?

    स्त्री अभी तक डोर नॉब को कसकर थामे खड़े थी । वह उसके सामने से तनिक पीछे हट गई । उसकी आँखें आश्चर्य से फैली हुई थीं ।

    मेरा ख्याल था । वह फंसी–सी आवाज़ में बोली –तुम मर चुके हो ।

    आगंतुक की मुस्कराहट गहरी हो गई ।

    तुम्हारा मतलब है, तुम्हें उम्मीद थी कि मैं मर चुका हूं ।

    स्त्री ने जवाब नहीं दिया ।

    अच्छी तरह देखकर तसल्ली कर लो, मेरी लाश नहीं आई है । मैं खुद ही तुम्हारे सामने मौजूद हूं । कहकर आगंतुक ने अपनी छोटी–छोटी गोल आंखों से विलासपूर्ण सुइट का निरीक्षण किया–बढ़िया जगह डेरा डाल रखा है । इतनी महंगी जगह रहने का मतलब है तुम्हारे पास पैसा होना । लेकिन तुम्हारे पास तो काफी मोटा पैसा होना चाहिए । है न ?

    तुम चाहते क्या हो ? स्त्री ने कठिन स्वर में पूछा–त...तुम्हें पता कैसे चला कि मैं यहां हूं ?

    तुम अच्छी तरह जानती हो, मैं क्या चाहता हूं । मुझे पैसा चाहिए, बेबी । आगंतुक ने जेब से दायां हाथ निकालकर उसके सामने फैला दिया । फिर धीरे–धीरे अपनी मजबूत उंगलियां मोड़कर हाथ को मुट्ठी की शक्ल में भींच लिया–जहां तक तुम्हारा पता लगाने का सवाल है, वो कोई मुश्किल काम नहीं था । जानकारी हासिल करने के मेरे अपने सोर्सेज हैं । अचानक उसका स्वर कठोर हो गया–दरवाज़ा बंद कर दो ! मुझे तुमसे बातें करनी हैं और मैं नहीं चाहता कि हमारी बातें किसी तीसरे के कानों में पड़ें । उसने पुन: कमरे में निगाहें दौड़ाई–व्हिस्की की बोतल, रेडियो और तुम । यानी सुरा, सुंदरी और संगीत । और यह शानदार सुइट । कुल मिलाकर सारी जन्नत मौजूद है । खैर, मैं संगीत और सुरा से शुरूआत करता हूं ।

    वह दरवाजे के पास से हटा और रेडियो का वोल्यूम बढ़ाने के बाद मेज की ओर बढ़ गया ।

    स्त्री ने धीरे–धीरे दरवाज़ा बंद कर दिया । अपना होंठ काटती हुई वह स्वयं को संयत करने का भरसक प्रयत्न कर रही थी ।

    आगंतुक ने व्हिस्की की बोतल उठाकर पहले से ही करीब चौथाई भरे गिलास को लगभग पूरा भर लिया ।

    स्त्री के चेहरे पर भय और नफरत के मिले–जुले भाव थे । वह खामोश खड़ी उसे देखती रही ।

    आगंतुक ने गिलास से तगड़ा घूँट लेकर संतुष्टिपूर्वक सर हिलाया ।

    व्हिस्की बढ़िया है । वह बोला और मेज से तनिक अलग हटकर कूल्हों पर हाथ रख लिए ।

    मेरे पास पैसा नहीं है । स्त्री ने धीमी आवाज़ में कहा–इस वक्त दो–ढाई हजार रुपयों से ज्यादा नगद रकम मेरे पास नहीं है ।

    आगंतुक कुटिलतापूर्वक मुस्कराया ।

    इस बात की उम्मीद तो मुझे भी नहीं थी कि तुम लाखों की रकम साथ बांधे फिरोगी । मगर इतना जरूर जानता हूं, रकम ऐसी जगह होगी जहां तुम आसानी से पहुँच सकती हो । कहकर उसने अपने कंधे झटकाए–वैसे, मुझे भी कोई खास जल्दी नहीं है । हम दोनों साथ चलेंगे और तुम मुझे रकम दे देना । फिर अगर तुम चाहोगी तो मैं तुम्हारे पास ही रहूँगा । वरना, हमेशा के लिए तुमसे दूर चला जाऊँगा । उसने गिलास उठाकर पुन: तगड़ा घूँट लिया । फिर कमरे में चारों ओर निगाहें दौड़ाने के बाद बोला–फिलहाल हमें इस एकांत का फायदा उठाना चाहिए...यहां सिर्फ हम दोनों हैं...आओ, मौजा मेला करते हैं ।

    दरवाज़ा खोलते ही, सर्वथा अप्रत्याशित रूप से, आगंतुक को सामने पाकर स्त्री पर आश्चर्य एवं भय की जो मिली–जुली प्रतिक्रिया हुई थी वो खत्म होनी शुरू हो गई थी । वह धीरे–धीरे स्वयं को संयत करने में सफल होती जा रही थी । उसका मस्तिष्क पुनः सामान्य ढंग से सक्रिय होने लगा था । वह सोच रही थी कि कुछ न कुछ जरूर करना पड़ेगा ! आगंतुक को जल्दी से जल्दी यहां से चलता करना होगा । किसी भी क्षण फोन की घंटी बज सकती थी...या फिर दरवाजे पर पुनः दस्तक दी जा सकती थी...।

    मेरे पास जो भी है वो सब मैं अभी दे देती हूं । वह जल्दी से बोली–लेकिन उसे लेकर तुम्हें यहां से चले जाना होगा । सिर्फ आज रात के लिए । कल आ जाना...तब हम इस बारे में खुलासा तौर पर बातें करेंगे । और कोई न कोई तरीका निकाल लेंगे । मैं...।

    तरीका तो निकल ही आएगा । उसकी फिक्र तुम मत करो । इस दफा कोई गड़बड़ मैं नहीं होने दूंगा । आखिर, लाखों का मामला है ।

    स्त्री ने सहमति सूचक सर हिलाया ।

    ठीक कहते हो । वह अपेक्षाकृत शांत स्वर में बोली ।

    मैं हमेशा ठीक ही कहा करता हूं ।

    हां । लेकिन अचानक यहां पहुंचकर तुमने मुझे बेहद हैरान कर दिया है । मैं तो समझ बैठी थी कि तुम मर चुके हो । और इसके लिए तुम मुझे दोष नहीं दे सकते । क्योंकि अखबारों में छपी कहानियों के आधार पर इसके अलावा और कोई नतीजा निकाला ही नहीं जा सकता था ।

    आगंतुक हंसा ।

    तुम्हारा मतलब है, तुम्हें मेरी मौत का यकीन आ गया था । इसीलिए तुम गायब हो गई थीं ?

    स्त्री ने सर हिलाकर हामी भरी ।

    हां ।

    झूठ मत बोलो बेबी, तुम अच्छी तरह जानती हो, आसानी से मर जाने वाला जीव मैं नहीं हूं । तुम्हारे गायब होने की वजह वो नहीं थी जो तुम बता रही हो ।

    तो फिर और क्या वजह थी ? स्त्री ने स्वयं को सामान्य बनाए रखते हुए शांत स्वर में पूछा ।

    नफरत । तुम मुझसे नफरत करती हो । आगंतुक ने सपाट स्वर में कहा, फिर बोला–लेकिन अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता । यहां सिर्फ हम दोनों हैं । शराब की मस्ती...और पॉप म्युजिक का लुत्फ उठाते हुए हम फिलहाल खूब ऐश कर सकते हैं । मैं तुम्हें जन्नत की ऐसी सैर कराऊंगा कि जिंदगी भर याद रखोगी । सुन रही हो, न ?

    स्त्री ने जवाब नहीं दिया । प्रगट में सामान्य नजर आती मन ही मन वह किसी निश्चय पर पहुंचने का प्रयत्न कर रही थी ।

    आगंतुक ने गिलास खाली करके हाथ के पृष्ठ भाग से अपना मुंह पोंछा । उसकी लाल आंखों में वासना छलकने लगी थी । उसने गरदन घुमाकर स्त्री की दिशा में देखा ।

    वह धीरे–धीरे उसके पास से गुजरकर बैडरूम के बंद दरवाजे की ओर जा रही थी ।

    तुम अपने लिए ड्रिंक बनाओ । वह फंसी–सी आवाज़ में बोली–म...मैं इस गाउन की जगह कुछ और पहनकर आती हूं ।

    आगंतुक ने चटखारा–सा लिया । उसके चेहरे पर मुस्कराहट पुत गई थी ।

    मुझे तुम्हारे लिबास से नहीं तुमसे मतलब है बेबी । वह कामुक स्वर में बोला–तुम्हारे शानदार जिस्म से मतलब है । लिबास तो उतारना ही पड़ेगा । फिर भी अगर तुम चेंज करना चाहती हो तो शौक से कर लो । मैं एक ड्रिंक और लेता हूं । तुम फटाफट चेंज करके आ जाओ ।

    स्त्री ने हिचकिचाते हुए दरवाज़ा खोला । तनिक गरदन घुमाकर पीछे की ओर देखा । मानो आश्वस्त हो जाना चाहती थी कि आगंतुक वाकई ड्रिंक ही लेना चाहता था । इसके अलावा और कोई इरादा उसके मन में नहीं था । | आगंतुक को बोतल से गिलास में व्हिस्की डालता देखकर वह अंदर सरक गई ।

    उसने जानबूझकर बैडरूम का दरवाज़ा थोड़ा खुला ही रहने दिया । क्योंकि आगंतुक को किसी प्रकार का शक करने का जरा–सा भी मौका वह नहीं देना चाहती थी ।

    स्त्री का इकलौता मकसद लगेज स्टैंड पर रखे अपने सूटकेस तक पहुँचना था ।

    दरवाजे को अधखुला छोड़कर, कारपेट बिछे फर्श पर, तेजी से चलती हुई वह आगे बढ़ी ।

    सूटकेस खुला रखा था ।

    उसमें मौजूद चीजों को जल्दी–जल्दी उलट–पुलट करती हुई वह याद करने की कोशिश करने लगी...।

    उसका हर एक पल बदहवासी के दौर से गुजर रहा था ।

    जिस वस्तु की उसे तलाश थी उसका हाथ को स्पर्श होते ही उसने तनिक राहत महसूस की । तभी अपने पीछे किसी की मौजूदगी का आभास भी उसे हुआ ।

    वह फौरन पलट गई ।

    उसके हाथ में पच्चीस कैलीबर की छोटी–सी रिवाल्वर थी, जिसे उसने मजबूती से थाम रखा था ।

    चुपचाप बैडरूम में आ पहुंचा आगंतुक तुरंत स्थिति को भांप गया । उसके जबड़े भिंच गए थे और सुर्ख आंखों से गुस्से की चिनगारियां–सी निकल रही थीं ।

    दोनों हाथों को सामने फैलाए वह भेड़िए की भांति गुर्राता हुआ आगे झपटा ।

    आशा के विपरीत, पीछे हटने की बजाय, स्त्री आगे आई और रिवाल्वर की नाल आगंतुक की छाती से सटाकर ट्रीगर खींचना शुरू कर दिया ।

    वह तब तक बार–बार ट्रीगर खींचती रही जब तक कि रिवाल्वर के चैम्बर में तमाम गोलियां खत्म नहीं हो गईं ।

    आगंतुक के चेहरे पर पहले हैरानगी भरे भाव पैदा हुए थे । फिर उसका चेहरा पीड़ा से विकृत हो गया । उसने अपने हाथों को छाती तक लाने की कोशिश करनी चाही । मगर उससे पहले ही उसके घुटने मुड़ने लगे थे । फिर धीरे–धीरे ढहकर उसका जिस्म कारपेट पर फैल गया ।

    वह मर चुका था ।

    * * * * * *

    पच्चीस कैलीबर की हल्की रिवाल्वर की नाल कपड़ों और जिस्म में

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