51 Shreshtha Vyangya Rachnayen : Chuppi Ki Chaturai (51 श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ : चुप्पी की चतुराई)
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इंद्रजीत कौर की यह तीसरी किताब है। जब वह व्यंग्य विधा में चलना सीख रहीं थीं, तभी से मेरी नजर उनके लेखन पर रही है। बहुत कम लोग हैं जिनमें संभावना दिखती है और देखने की इच्छा होती है कि ये कहाँ तक पहुंचेगी। किसी के विकास - यात्रा का साक्षी होना बहुत सुख देता है। साक्षी होने के अपने दु ख और सुख होते हैं। मैं बहुतों के व्यंग्य लेखन का साक्षी हूँ। अपने लेखन को भी साक्षी भाव से देखता हूँ तथा सुखी और दु खी होता हूँ कि ये लेखन ठीक रहा है और ये नहीं।
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51 Shreshtha Vyangya Rachnayen - Inderjit Kaur
1.
ब्लैकआउट की किस्में
दुश्मन के हवाई हमले के डर से रिहायशी क्षेत्रों में अंधेरा करके समुद्री किनारों पर रौशनी कर दी जाती है जिससे यह जगह दुश्मन को रिहायशी सी लगने लगती है। आकाश से बमबारी होने पर ये बम समुद्र में जा गिरते हैं, यही ‘ब्लैकआउट’ है ।
जैसे ही यह पता चॅला, मैंने अरस्तु और प्लेटो से भी आगे बढ़कर चिंतन-मनन किया। पाया कि हमारी व्यवस्था में भी कुछ समस्याओं को अंधेरे में रख दिया जाता है और दूसरी तरफ रौशनी दिखाकर पूरी व्यवस्था को पाखंड की बमबारी का शिकार बना दिया जाता हैं। हल के लिए हल चलाना तो दूर की बात है। पेश हैं कुछ ऐसे ही दृश्य
दृश्य - एक मीडिया की खबरें
लोकवा मैले-कुचौले कपड़े पहने अपने खेत में सिर झुकाये बैठा था। उसकी पूरी दुनिया ही लुट गयी थी। बाढ़ के कारण बोई हुई फसल कोई फल ना दे पाई थी।
अब हम आपन मुनिया का सादी कइसे करब ? कर्ज कइसे भरब ? साल भर घर का खर्च कइसे चलाएब ? फेर उधारी लेवे के पड़ी...?
रोते- चीखते हुये वह काले बादलों के नीचे बैठ कर बोले जा रहा था। गहरे सदमें में डूबा हुआ था।
थोड़ी देर बाद वह घर जाने के लिए खड़ा हुआ। मुड़ते ही देखा कि उसके चार किसान मित्र भी खड़े थे। वे भी रो रहे थे।
जीना बेकार बा, मौत से बद्तर तौ जिंदगी बा...
ये सोचते हुए उस रात पाँच किसानों ने पेड़ से लटक कर एक साथ जान दे दी।
अगले दिन टी. वी. में पाकिस्तान में लोकतंत्र की असफलता और चीन को ढेर कर देने के लिए रूस से नये शस्त्रों की खरीद की खबरें छाई रहीं।
दृश्य - दो सो तो है...
छः ए. सी., चार चौकीदार, पाँच स्टाफ, दो कम्प्यूटर आदि से सुसज्जित शोरूम से संजीव ने सामान खरीदा। झिझकते हुये उसने कैशियर से पूछा,
भाई कितना हुआ?
सात हजार
ठीक है, रसीद दे दो... ।
कौन सी? कच्ची कि पक्की ?
मतलब?
आप पक्की रसीद लेंगे तो जी. एस. टी. भी जुड़ेगा... कच्ची में टैक्स-वैक्स कुछ नहीं देना पड़ेगा। इसमें थोड़ा रेट भी ऊपर-नीचे हो जाएगा... जैसा आप बोलें।
ठीक है कच्ची ही दे दो... ।
कैशियर ने खुशी से कच्ची रसीद दे दी । संजीव ने काउंटर पर रखे अखबार पर सरसरी निगाह डाली और बोला,
ऊपर के लोग भी कितने भ्रष्ट हैं? कितने घोटाले करेंगे? कोयला घोटाला, चारा घोटाला, शेयर घोटाला ओफ्फ और भी न जाने क्या क्या ?... बेचारी शरीफ जनता पिस जाती है ।
हाँ साहिब सो तो है ।
कैशियर ने बोला और बगल में बैठे मालिक ने हामी भरी।
दृश्य - तीन बहिन जी !
आपके शासन काल में बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाएँ बढ़ीं हैं। महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। आप कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठाते ?
देखिये विकास दर बढ़ गयी है। मैंने हजारों कि.मी. सड़कें बनवाई हैं। पुरानी ट्रेनों को दुरुस्त करवाया है और नयी ट्रेनें चलवाईं हैं। देश विकास कर रहा है। आप विकासवादी सोच रखिए ।
वो जो राजीपुर में गैंग रेप हुआ था... उसके बाद लाश को कुएं में फेंक दिया गया था। उसका...
देखिये मैने कई पुलों का निर्माण करवाया है। ट्रैफिक जाम कम हुआ है। आम लोगों का ख्याल रक्खा है मैंने। अरबों रुपये खर्च किए गयें हैं। ये सब आप ही लोगों के लिए है।
हमने सुना है कि अस्पताल में कुछ बदमाश उस लड़की के बूढ़े और बीमार बाप को धमकी दे रहें हैं...।
देखिये हम अपने विकास कार्यों को गाँव-गाँव तक ले जाने में सक्षम हुए हैं। हर जगह हमने अपने दफ्तर खोल रक्खे हैं, जहाँ कुछ नौजवान नियुक्त हुए हैं। हर घर मे हमारी उपलब्धियों के पर्चे बाँटे जा रहें हैं।
महिला सुरक्षा आपकी प्राथमिकता मे क्यों नहीं हैं?
बहिन जी ! इस देश मे देवियाँ पूजी जातीं हैं। माँ को भगवान माना जाता है। रानी लक्ष्मी बाई, कल्पना चावला, सरोजनी नायडू, महादेवी वर्मा, प्रतिभा पाटिल आदि अनगिनत वीरांगनाओं का देश है यह। आप क्या बात कर रहीं हैं?
... पर आपने मेरी बातों का तो जबाब दिया नहीं ?... हाँ ?
चलिये रात हो गयी है। आप घर जाइए। ज्यादा रात मे घूमना आपके लिए सही नहीं है। कुछ हो - हुवा गया तो आप फिर कहेंगी कि माहौल खराब है ... है कि नहीं ? ... आप अपनी तरफ से तो कोई गलती न करिए, समय से घर जाइए... चलिये उठिए ।
दृश्य - चार नासा की खबरें
पहली खबर सन उन्नीस सौ सत्तावन ईस्वी में स्पूटनिक लॉन्च किया गया था। तब से अब तक आठ हजार कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे गए हैं। इनमें से आठ सौ अमेरिका के और कुछ रूस व चीन के थे। इस समय करीब दो सौ उपग्रह ही काम कर रहे हैं। भारत के कृत्रिम उपग्रहों की संख्या महज अड़तालीस है। जिसने ज्यादा उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे उसने उतना ही ज्यादा कचरा अन्तरिक्ष में पैदा किया है।
दूसरी खबर - एक विश्लेषण मे पाया गया कि भारत का इन - आर्बिट कचरा महज अस्सी के करीब है वहीं अमेरिका का चार हजार से अधिक और चीन का तीन हजार से ऊपर है।
तीसरी खबर - भारत द्वारा अंतरिक्ष में सेटेलाइट नष्ट करने के बाद फैले कचरे पर अमेरिका ने चिंता जताई।
चौथी खबर - नासा ने भारत की एंटीसेटेलाइट मिसाइल परीक्षण से निकले मलबे को खतरनाक बताया है। इनके टुकड़े चार सौ से अधिक हैं जो खतरनाक हैं। नासा ने आगे कहा कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए ये गतिविधियां सही नहीं है। यह अस्वीकार्य है।
पाँचवी खबर- अमरीका ने एक और सेटेलाइट लांच की।
छठी खबर नहीं बन पा रही है क्योंकि नासा मौन है।
2.
तुम तो ठीक दिख रही हो
हालाँकि पति ने रत्ना को ‘बेड टी’ के लिए उठाया था पर रसोई में जाते ही ‘मेरे लिए गुनगुना पानी भी ले आना’ की कड़कती आवाज ससुर की पहुँच गई। काम करके दो सेकेंड के लिए वो खड़ी ही थी कि ‘सोनू को स्कूल जाना है, उन्हें जल्दी उठाओ’ का फरमान बच्चे के बगल में ही बैठे पति ने जारी कर दिया। बच्चा तो बच्चा ठहरा, इतनी जल्दी कहाँ मानने वाला था? एक बार उठाने आई, नहीं उठा। वह रसोई में नाश्ता बनाने चली गई। आँच धीमी करके उसने फिर आकर ‘सोनू उठ... सोनू उठ’ बोलना शुरू किया। सुनते ही पति जोरों से चिल्लाया, ‘जरा धीरे बोल अखबार नहीं पढ़ पा रहा।’ वह ‘जी’ कहकर फिर रसोई में चली गई।
इधर सोनू अपने पापा की तेज आवाज से उठ गया।
रत्ना ने बच्चे को फटाफट तैयार करके लंच पैक के साथ स्कूल भेज दिया।
मैं नहाने जा रहा हूँ। चाय बना दो। हाँ... मम्मी- पापा से पूछ लो बिना चीनी की वो पियेंगे... बना देना ।
पति के बोलते ही वह रसोई में अभिमन्यु की तरह घुस गयी । चाय-नाश्ता और पति के लिए लंच तैयार कर दिया। उसने गहरी सांस ली और एक गिलास पानी पिया। उसकी तबीयत सही नहीं लग रही थी। चेहरे पर पीलापन था पर यह बसंत नहीं था। पैर काँप रहे थे पर ठण्ड से बिलकुल नहीं। चक्कर आ रहे थे पर वह गर्भवती नहीं थी।
आज मेहमान आने वाले हैं, जल्दी से झाडू-पोछा भी निपटा दो... उसके बाद ही दोपहर के खाने की तैयारी करना ।
सास की तेज आवाज बरामदे से अंदर गयी। बहू ने खाँसते हुये ‘हाँ जी’ कहा।
माँ, मैं शाम को थोड़ी देर से आऊँगा। डाक्टर के पास जाना है, सुबह टहलते समय थोड़ी ठंड लग रही थी ।
बेटे ने ऑफिस जाते समय अपनी माँ से कहा ।
अरे बेटा डाक्टर को दिखा देना, अपनी सेहत का ख्याल रखा कर। हाँ, मेरे लिए गैस की दवा लाना न भूलना ... कल चार लड्डू खा लिए तो पेट में अजीब सा लग रहा है... सुनो ! मेरे पोते के लिए चॉकलेट लाना न भूलना. .. समझे?
बेटा मुस्करा पड़ा कि दादी को अपने पोते का कितना ख्याल है।
सुनो जी ! मुझे भी डाक्टर को दिखा दीजिये, हाथ-पैर काँप रहें है .. .चक्कर आ रहें है।
रत्ना ने कमरे से माँ-बेटे की बातचीत सुनी तो बाहर आकर अपना भी हाल बता दिया।
अरे ज्जा, दिखने मे तो ठीक लग रही है तू... ।
सास ने रत्ना को ऊपर से नीचे देखकर तुनकते हुये कहा ।
नहीं माँ जी, कमजोरी लग रही है ।
कमजोरी नहीं...कामचोरी है यह... जा चुपचाप काम कर... कमजोरी लग रही है, हूँ।
सास ने तेजी से झिड़क कर रत्ना को चुप करवा दिया।
शाम हो गई।
देखो रत्ना, ये गैस की दवाई मम्मी के लिए और ठण्ड की दवाई मेरे लिए है... रात के खाने के बाद हम दोनों को दे देना... भूलना नहीं... हाँ, ये चॉकलेट मम्मी को दे देता हूँ, वो अपने हाथ से सोनू को देंगी तो उन्हें भी अच्छा लगेगा और सोनू को भी... तुम तो अब ठीक ही दिख रही हो ।
रत्ना ने काँपते हाथों से दवाइयाँ ले ली और खाँसते हुये अंदर चली गई।
3.
यही पढ़ाई है
राम भरोसे आज दो घंटे देर से अपने बेटे को लेकर विद्यालय पहुँचा । उसका एक हाथ अपने बेटे के कंधे पर था और दूसरा अपनी लुंगी को संभालने में व्यस्त था । यही एकमात्र कपड़ा उसके शरीर पर दिख रहा था। दरअसल पिछली बार उसने एक ‘अंडरवियर’ ही पहनी थी। मास्टर साब ने प्रार्थना की थी कि ‘कुछ ढंग का कपड़ा पहिन कर आया करो यह ईस्कूल है, महिला टीचरें भी यहाँ आती हैं पढ़ाने । ’
अतः इस बार उसने कुछ और भी धारण कर लिया था। स्कूल में घुसते ही रामभरोसे ने रजिस्टर में सिर गड़ाये मास्टर साब से यह ‘सिकायत’ की, मास्टर जी हमार बचवा पढ़ नहीं पावत है । आपन नाम भी नाहीं लिख पावत है... ए बी सी डी तौ पहचानवे नहीं पावत है, का करीं...?
सुनते ही मास्टर साब ने रजिस्टर में से अपना पसीने से लतपथ बेशकीमती सिर निकाला। झट से खड़े हो गए और दोनों हाथ जोड़कर अभिवावक को प्रणाम किया। बच्चे का हाथ पकड़ कर उन्होंने अपने पास बुलाया और काँपते स्वर से पूछा,
"अरे बेटा ! मेरे पास आओ...हाँ, अब बताओ मिड डे मील खाते हो?
जी मास्साब ।
पेट भर के खाते हो ?... एक बार... दो बार, तीन बार ?... हाँ ?
जी, मास्साब ।
जी दो बार थाली भर के खाते हैं... पेट भर जाता है।
अच्छा... जूते मिले?
जी... मोजे भी साथ मे थे ... सब बिना पैसे के मिले.... ।
वैरी गुड... और बताओ बेटा, स्वेटर मिली?
जी
अब ठंड तो नहीं लगती?
नहीं सर जी... आपने तो डरेस भी दी थी दो जोड़ा।
"ये सारी चीजें याद करके बच्चे की आखें चौड़ी हो गई थीं। मास्टर साब गदगद हो गए। उन्हें विजय का अनुभव हो रहा था। उन्होंने फिर पूछा,
बहुत अच्छा बेटा, किताबें भी तो बंटी थी... है न?
जी सर जी... सर जी, आपने जो बैग दिया था उसी में किताबें रखी हैं... रोज लाता हूँ और ले जाता हूँ सर जी । जैसे आप रोज आते हो चले जाते हो ठीक वैसे ही सर जी...।
अच्छा...!!
जी मास्टर साब...
अब मास्टर साब अभिवावक की तरफ मुड़े, देखो चाचा! ये मेज पर जो रजिस्टर ढेर सारे पड़े हुये हैं न... हम लोग इसी में कुछ न कुछ भरते रहतें हैं कि किन बच्चों को क्या-क्या मिला ? कितना पैसा आया और खर्च हुआ? इतना ही नहीं, ढेर सारे कागज भर कर ऊपर भी भेजते हैं और यहाँ आलमारी में भी रखतें हैं... समझो यही पढ़ाई है।
अभिभावक ने अपने बच्चे को दो