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Pandey Ji Ban Gaye Pradhanmantri (पाण्डेय जी बन गए प्रधानमंत्री)
Pandey Ji Ban Gaye Pradhanmantri (पाण्डेय जी बन गए प्रधानमंत्री)
Pandey Ji Ban Gaye Pradhanmantri (पाण्डेय जी बन गए प्रधानमंत्री)
Ebook260 pages2 hours

Pandey Ji Ban Gaye Pradhanmantri (पाण्डेय जी बन गए प्रधानमंत्री)

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About this ebook

ललित ललित आज व्यंग्य की दुनिया में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। बहुत ही कम समय में अपनी धाक जमा लेने वाले गिने-चुने लोगों में वे शामिल हैं। 'जिंदगी br>तेरे नाम डार्लिंग' इनका पहला व्यंग्य संग्रह था,जो वर्ष 2015 में प्रकाशित हुआ था। और इसके बाद तो एक पर एक धमाके। इतने कम समय में ललित जी के अब तक सत्रह व्यंग्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, बाकी विधाओं की तो बात ही छोड़ दीजिए। कहने का तात्पर्य यह है कि व्यंग्य जगत में लालित्य ललित ने जोरदार उपस्थिति दर्ज कर हलचल पैदा कर दी है। ललित जी के व्यंग्य से पाठक इसलिए भी अपने आपको जुड़ा महसूस करता है कि इनके व्यंग्य आलेखों में जीवन की कई अनुभूतिपरक स्थितियां पाई जाती हैं। इनमें आसपास-परिवेश का अनुकूलन होता है जो सामान्य पाठक के जीवन से जुड़कर एकरस हो जाता है। और जीवन की अनेक छवियों के साथ-साथ बिंब, प्रतीक, विट, ह्यूमर तो होते ही हैं।.
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateApr 15, 2021
ISBN9789390504787
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    Pandey Ji Ban Gaye Pradhanmantri (पाण्डेय जी बन गए प्रधानमंत्री) - Lalitya Lalit

    में

    पांडेय जी और कोरोना का पंगा

    जब से मोहल्ले में खबर आई कि कोरोना फैल गया है। लोगों में अजीब तरह की अफरा-तफरी फैल गई। कुछ ने कहा कि आयुर्वेदिक दवाइयों से इसका इलाज संभव है। किसी ने कहा कि इसका निदान सम्भव है। किसी ने कहा कि इसमें आपा खोने की आवश्यकता नहीं है। सब्र और धैर्य रखने की आवश्यकता है।

    पांडेय जी ने अंतर्मन कुमार से कहा कि लोगों को सोचना चाहिए कि आपा न खोएं। बल्कि सोचे कि हमें किस तरह इस से निबटना है।

    छज्जे पर बैठे पांडेय जी ने चाय के सिप पीते हुए पार्क में खेलते बच्चों को देखा और सोचा कि बच्चों का जीवन कितना सरल और सच्चा है।

    जिन्हें किसी की कोई चिंता नहीं। जब तक उन्हें कोई बुलाता नहीं, तब तक वे आएंगे नहीं।

    अचानक से मौसम में गिरावट देखी गई। रामप्यारी ने मैसेज किया कि सुनो जी, पति परमेश्वर। चीकू के स्कूल की छुट्टियां पड़ गई। सरकार ने कहा है कि प्राथमिक स्कूल 31 मार्च तक बन्द रहेंगे।

    पांडेय जी सोचने लगे कि यदि स्कूल बन्द होंगे तो बच्चों की परीक्षाएं चल रही थी जो कुछ दिनों में समाप्त होने को थीं। अचानक से कोरोना आ गया।

    क्या पता सरकार ये भी फरमान जारी कर दे कि छोटे बच्चों के एग्जाम को दरकिनार करते हुए उन्हें अगली क्लास में चढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

    जो होगा, तब देखा जाएगा। फिलहाल पांडेय जी रचनात्मक हो गए।

    आप भी उनकी रचनाधर्मिता से रूबरू हो जाएं-

    उसने कहा कि

    मुझे प्रेम है

    तुम से

    मन से

    सच्ची!

    मैंने कहा कि चलो कहीं चलें क्या?

    मतलब कॉफी या मसाला डोसा हो जाए।

    कहने लगीं

    प्लीज!

    अन्यथा न लेना

    आजकल कोरोना वायरस का पंगा है न

    इसलिए भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने से अवॉइड कर रही हूं

    लिसन

    डोंट माइंड

    प्लीज

    मेरे बाबू

    मेरे सोना

    मेरे हमदम

    समझा करो

    हम्म!

    मैंने हामी भरी

    फिर वाट्सअप पर यू ट्यूब से लिए प्रेम गीतों के लिंक भेजने लगे।

    ये भी प्रेम का नवीनीकरण है, जहां न खर्चा है आपके पॉकेट का

    न पॉल्यूशन का पंगा, न ट्रैफिक, न ही कोई और लोचा, बशर्ते नेट आता रहे।

    इस तरह का प्रेम जारी है

    धन्य हुआ मैं

    याद करता हुआ

    कोरोना तुम बने रहना

    वैसे भी मार्च के महीने में प्रेम करना बड़ा महंगा है

    उसको क्या पता

    बहरहाल प्रेम जारी है

    जारी है स्माईली का एक्सचेंज भी

    इश्क नए जमाने का

    नए समीकरण विकसित कर रहा है।

    तभी मिस जूली ने कहा कि पांडेय जी आपसे मिलना है। प्लीज कोई समय बताइए न!

    पांडेय जी ने कहा कि आजकल समाचार नहीं सुन रही हो!

    समय खराब है। सरकार ने कहा है और एडवाइजरी भी जारी की है कि किसी से भीड़ वाले इलाके में न मिलें। सर्दी, जुकाम या ऐसे ही कोई ज्वार से किसी दूसरे को भी नुकसान पहुंच सकता है।

    समझो, इस बात को।

    तभी मिस जूली ने कहा कि पांडेय सर, मैं पहले से भली चंगी हूं, फिट भी हो गई हूं, आप देखना कि मैं कितनी बदल गई हूं।

    हम्म!

    पांडेय जी मिलना नहीं चाहते थे। छुट्टी वाले दिन वे घर में रहना पसंद करते हैं। वर्किंग डेज में निकलना वैसे भी मुश्किल। छुट्टी वाले दिन निकल जाओ तो रामप्यारी की डांट।

    न बाबा रे!

    नहीं जाना तो नहीं जाना।

    मिस जूली ने किसी प्रभावशाली व्यक्ति गजानंद त्रिपाठी से सिफारिश भी लगाई। पर त्रिपाठी जी ने जूली को कहा कि देखिए कोशिश कर सकता हूं, पर विलायती राम पांडेय जी अपनी मर्जी के मालिक हैं।

    नहीं आए तो नहीं आए, आ जाएं तो आ जाएं।

    उधर जूली ने नजदीक सिमटते हुए त्रिपाठी जी से कहा कि कोशिश करें आप।

    यदि आ जाएं तो कितना अच्छा हो।

    पर त्रिपाठी जी ने कहा कि कोशिश करता हूं, पर इस तरह के निवेदन जरा डिस्टेंस बना कर भी किए जा सकते हैं। एक आप हैं कि इस कदर भीतर प्रवेश करने पर आमादा हैं कि कोई शरीफ आदमी कब तक बचेगा!

    मिस जूली शरमा गईं। कहने लगीं कि सौरी त्रिपाठी जी।

    पांडेय जी का नाम आते ही कंट्रोल नहीं कर पाती न।

    प्लीज, प्लीज।

    त्रिपाठी जी सोचने लगे कि ये लड़की दीवानी है, पागल है या पगलेट!

    पगलेट ही होगी।

    कोरोना इस कदर लोगों के दिमाग में घर कर गया कि राधेलाल ने घर से बाहर निकलना बन्द कर दिया।

    रामकिशन पुनिया ने जब उन्हें वाट्सप पर ये संदेश भेजा तो पढ़ कर राधेलाल तेजी से रद्दीमल बनते देर न लगाते, पर भला हुआ इलाके की नवोदित कवयित्री मिस सुनयना मिश्रा का। उन्होंने कहा कि काहे घबराते हैं आप?

    देखिए मुझे भी पुनिया जी ने भेजा है!

    उसमें लिखा है-

    ‘सावधान:’

    ------------------

    सर्दी बिल्कुल नहीं होने दें।

    जुकाम बुखार आते ही ‘क्रोसिन एडवांस’ सुबह दोपहर शाम को 1-1 गोली 2 बार लेवें।

    विक्स का इन्हेलर पास में रखें।

    रात को सोते समय नाक, कान, गले और माथे पर विक्स लगावें।

    ज्यादा जरूरी लगे तो ‘Duonase’ इन्हेलर लेवें।

    Homeopathic medicine *Influenzinum 200* की एक ड्राप ‘हफ्ते में एक बार’ सोने से पहले आधा कप पानी में डाल कर लें, ये बहुत सेफ preventive है।

    लापरवाही बिल्कुल नहीं करें।

    डॉक्टर को तुरंत दिखाएं।

    ‘कोरोना वायरस उज्जैन और अन्य जगहों पर दस्तक दे चुका है।’

    सरकारी मशीनरी संभावित संकट से निपटने के लिए चुपचाप तैयारी में जुट गई है। हम लोगों को भी सावधानी बरतनी होगी।

    ध्यान रखने की बात है कि चीन से भारत की बड़ी सीमा लगती है। मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, आसाम, सिक्किम, भूटान के रास्ते चीन के साथ हम लोगों की आवाजाही लगी ही रहती है।

    चॉकलेट, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, कोल्ड कॉफी, फास्ट फूड, ठंडा दूध, बासी मीठा दूध, वड़ा-पाव, बेकरी की बनी चीजें, पेस्ट्री, केक ‘ये सब चीजें बंद करो।’ कम से कम अप्रैल महीने तक, जब तक की वातावरण का टेम्प्रेचर 34-35 डिग्री नहीं हो जाता।

    सबसे तत्काल, बहुत गंभीर और महत्त्वपूर्ण जानकारी -

    स्वास्थ्य मंत्रालय की जनता के लिए आपातकालीन अधिसूचना है कि इस बार कोरोना वायरस इन्फ्लूएंजा का प्रकोप बहुत गंभीर और घातक है। संक्रमित होने के बाद कोई इलाज नहीं है।

    रोकथाम विधि: अपने गले को नम रखना है, अपने गले को सूखने न दें। इस प्रकार अपनी प्यास को न पकड़ें क्योंकि एक बार जब आपके गले की झिल्ली सूख जाती है, तो वायरस आपके शरीर में 10 मिनट के भीतर आक्रमण करेगा।

    उम्र के हिसाब से बच्चों के लिए 50-80° ब गर्म पानी, 30-50° ब पीएं। हर बार यूं लगता है कि आपका गला सूखा है, तो इंतजार न करें, पानी जरूर पियें। एक बार में बहुत सारा पानी न पिएं, गले को नम रखने के लिए बार-बार पानी पीना जारी रखें।

    मार्च 2020 के अंत तक, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाएं, खासतौर पर ट्रेन या सार्वजनिक परिवहन में आवश्यकतानुसार मास्क पहनें, तला-भुना या मसालेदार भोजन से बचें और विटामिन सी का सेवन करें।

    लक्षण/विवरण इस प्रकार हैं :-

    तेज बुखार

    बुखार के बाद खांसी का आना

    वयस्क आमतौर पर असहज महसूस करते हैं। सिरदर्द और मुख्य रूप से श्वसन संबंधित

    अत्यधिक संक्रामक

    यदि आप मानव जीवन की देखभाल करते हैं। तो प्लीज साझा करें!

    ‘स्वस्थ्य मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय’

    ‘भारत सरकार द्वारा जारी डिजिटल निर्देश’

    ‘कोरोना वायरस’

    ‘लक्षण :- हल्का बुखार, जुकाम, सिर दर्द’

    ‘उपचार :- अभी उपलब्ध नहीं’

    ‘संक्रमण के 7 दिन के अंदर मौत निश्चित’

    यह रोग असल में चमगादड़ और सांप में होता है, लेकिन चीन में चमगादड़ के सूप पीने की वजह से यह मनुष्यों में फैला है। छींकने और सम्पर्क में आने से फैल रहा है यह खतरनाक वायरस।

    बचाव :-

    यात्रा करते वक्त मास्क जरूर पहनें।

    किसी भी जुखाम या सर्दी से पीड़ित व्यक्ति का तुरंत इलाज कराएं।

    सांप और पक्षियों का सेवन बिल्कुल भी न करें।

    किसी व्यक्ति से हाथ मिलाने के बाद बिना धोए अपने आंख को न छुएं।

    ‘इस संदेश को अपने सभी प्रियजन को जल्दी से भेजें’

    राधेलाल जी आप तनिक भी न घबराइए। मैंने पुनिया जी को फोन कर दिया है कि आगे से मुझे इस तरह से मेसेज न भेजें अन्यथा मैं आपकी कंप्लेंट कर दूंगी।

    ऐसा!

    क्या हुआ? आगे!

    फिर पुनिया जी ने कोई संदेश दुबारा भेजा।

    पांडेय जी ने किंचित जिज्ञासा व्यक्त की।

    मिस सुनयना मिश्रा ने राधेलाल जी के हाथों पर अपना हाथ रखा तो अचानक से राधेलाल का दिल बल्लियों पर उछलने लगा। मगर उन्होंने अपना उत्साह दबा लिया।

    पांडेय जी को जब ये सब पता लगा तो उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साध ली, केवल इतना कहा कि नो कमेंट्स।

    राधेलाल जी को पता था कि जब पांडेय जी को पता लगेगा कि सुनयना मिश्रा का क्या मामला है?

    वे क्या कहेंगे या क्या सोचेंगे!

    पांडेय जी कोरोना के संदर्भ में समाचार देखने के बाद कल ऑफिस जाने की तैयारी करने के बाद रामप्यारी की प्रतीक्षा करने लगे।

    देखते हैं कि देवी उनके लिए क्या लाती हैं?

    रामप्यारी आईं और दोनों हाथों में लदी-फदी आईं। अंगूर, बैंगन, केले और साग सब्जियां।

    पांडेय जी ने कहा कि क्या हुआ!

    देवी जी!

    रामप्यारी ने कहा कि सरकार ने चीकू की छुट्टी कर दी, मेरी जान को नया बवाल दे दिया। अब कहेगा, मम्मी मटर पनीर बनाओ, मैगी बनाओ ये करो, वह करो।

    अच्छा!

    ये बताओ कि मैगी रखी है? पांडेय जी ने पूछा

    नहीं है पति देव।

    पांडेय जी ने ऐसे मुंह बनाया जैसे उनकी जेब में रखा दस ग्राम का सोना सीधे उछल कर बीस हजार पर आ गया हो।

    जबकि ऐसा कभी हुआ नहीं है।

    भाई सपने लेते रहते हैं। उल्टा कहते भी हैं कि सपने लेना कोई गलत बात नहीं।

    देविका गजोधर ने कहा कि प्रभु कैसे हो? आप को मिस कर रही हूं, जब से चंडीगढ़ आई हूं तो लग रहा है कि आप नहीं हो न!

    पांडेय जी ने कहा कि अब तुम भी दिल फैंक बातें करना सीख गई हो।

    अच्छा ये बताओ कि कैसे याद किया?

    देविका गजोधर ने कहा कि मन हुआ कि मुगल गार्डन आपके साथ देखूं। वहां का एनवायरमेंट और समां देख किसी को भी प्यार हो जाए।

    "अच्छा!

    बतला रही हो या याद करा रही हो कि हमें कितना प्यार है तुमसे?

    बाई द वे!

    तुम्हारी इच्छा अभी मन में रखो। अभी न्यूज देख रहा था कि कोरोना वायरस के चलते मुगल गार्डन भी बंद कर दिया है।"

    "ओह!

    कितनी गलत बात।

    अच्छा! लाहौल स्पिति का जब भी बनाओ, साथ चलेंगे।"

    पांडेय जी ने कहा कि ओ घुमन्तु!

    जहां देखो, तब देखो कहीं भी चलने को तैयार रहती हो।

    देविका गजोधर ने कहा कि मैं शुरू से ऐसी ही हूं।

    फिलहाल अपनी यात्रा से ठीक से लौट आओ।

    ओके, ओके! देविका ने ढेर सा प्यार फोन पर पोस्ट कर दिया। भला हुआ फोन स्पीकर पर नहीं था। नहीं तो पांडेय जी का कोरोना वायरस घर में ही बरस जाता।

    आखिर पत्नियां निगाहें पढ़ लेती हैं।

    यही शिकायत लपकुराम की पत्नी को आज तक बनी हुई है।

    लपकुराम यदि किसी के यहां आज भी किसी काम से चले जाएं तो वहां फोन जाएगा, मिसेज लपकुराम का।

    वह कहेंगी-

    सामने वाले से:

    बैठे हैं!

    जबाव आएगा: हम्म!

    कितनी देर हुई?

    थोड़ी देर।

    बेचारे लपकुराम जी। इश्क करना कोई उन से सीखे।

    इश्क कोई उम्र देखता है। वह तो टमैटो सूप की तरह होता है।

    इश्क भी तो ऐसे ही होता है। हौले से, आहिस्ता से।

    सूप वाकई गर्म था, पांडेय जी की जीभ जल गई।

    तभी रामप्यारी ने कहा कि स्वामी आराम से पियो।

    अच्छा! देवी अन्नपूर्णा जी।

    पांडेय जी के इस नए सम्बोधन से रामप्यारी जी खुश रहती हैं।

    पांडेय जी और उनकी दुनिया

    अक्सर देखा गया है कि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। उसको बदलना ही है, वह बदले।

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