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लू शुन की महान कथायें
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Ebook43 pages25 minutes

लू शुन की महान कथायें

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आधुनिक चीनी साहित्य में लू शुन का नाम सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों में लिया जाता है। वो सामान्य और साहित्यकि दोनो भाषाओं में लिखने में पारंगत थे। लू शुन का जन्म २५ सितंबर १८८१ में हुआ था।

एक उत्कृष्ट उपन्यासकार, संपादक, कथाकर, निबंधकार, और एक साहित्यिक आलोचक होने के साथ, लू शुन एक अद्वितीय कवि भी थे। उनको १९३० के दशक में लीग ऑफ लेफ्ट विंग राइटर्स का शंघाई में मुखिया चुना गया था।

समकालीन समाजवादी सरकार ने लू शुन का बहुत सम्मान किया था। यहाँ तक की चीन के राष्ट्रपति माओ जेडोंग लू शुन के आजीवन प्रशंसक थे। लू शुन की सहानुभूति हमेशा ही मजदूर वर्ग से रही, परंतु उन्होने कभी भी चीन के समाजवादी पार्टी की सदस्यता नहीं ली।

लू शुन एक बहुमुखी लेखक थे। वो चीन की प्राचीन परंपरा और आधुनिक यूरॉप के साहित्यिक रूप को अपनी कथाओं में प्रदर्शित करने में दक्ष थे। वैसे तो उनकी लिखी हुई कथाओं को अन्य भाषाओं में अनुवाद करना बहुत कठिन होता है क्योंकि कुछ चीनी अक्षर और शब्द दूसरी भाषा में अनुवाद करने से अर्थ खो देते हैं।

उनकी लिखी हुई लघु कथायें और उपन्यास अब बहुत सी भाषाओं में अनुवादित हो चुकी हैं। इस पुस्तक में हमने लू शुन जी द्वारा लिखी तीन कहानियों का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया है। आशा है की पाठकों को ये कहानियाँ पसंद आयेंगी। हम आगे भी उनकी लिखी और कहानियों और उपन्यासों को हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत करते रहेंगे।

धन्यवाद

हिस्ट्री वर्ड

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateOct 28, 2014
ISBN9781311619525
लू शुन की महान कथायें

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    लू शुन की महान कथायें - History World

    लू शुन की महान कथायें

    Copyright

    Lu Xun Ki Mahan Kathayein

    History World

    Copyright@2014 History World

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    भूमिका

    आधुनिक चीनी साहित्य में लू शुन का नाम सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों में लिया जाता है। वो सामान्य और साहित्यकि दोनो भाषाओं में लिखने में पारंगत थे। लू शुन का जन्म २५ सितंबर १८८१ में हुआ था।

    एक उत्कृष्ट उपन्यासकार, संपादक, कथाकर, निबंधकार, और एक साहित्यिक आलोचक होने के साथ, लू शुन एक अद्वितीय कवि भी थे। उनको १९३० के दशक में लीग ऑफ लेफ्ट विंग राइटर्स का शंघाई में मुखिया चुना गया था।

    समकालीन समाजवादी सरकार ने लू शुन का बहुत सम्मान किया था। यहाँ तक की चीन के राष्ट्रपति माओ जेडोंग लू शुन के आजीवन प्रशंसक थे। लू शुन की सहानुभूति हमेशा ही मजदूर वर्ग से रही, परंतु उन्होने कभी भी चीन के समाजवादी पार्टी की सदस्यता नहीं ली।

    लू शुन एक बहुमुखी लेखक थे। वो चीन की प्राचीन परंपरा और आधुनिक यूरॉप के साहित्यिक रूप को अपनी कथाओं में प्रदर्शित करने में दक्ष थे। वैसे तो उनकी लिखी हुई कथाओं को अन्य भाषाओं में अनुवाद करना बहुत कठिन होता है क्योंकि कुछ चीनी अक्षर और शब्द दूसरी भाषा में अनुवाद करने से अर्थ खो देते हैं।

    उनकी लिखी हुई लघु कथायें और उपन्यास अब बहुत सी भाषाओं में अनुवादित हो चुकी हैं। इस पुस्तक में हमने लू शुन जी द्वारा लिखी तीन कहानियों का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया है। आशा है की पाठकों को ये कहानियाँ पसंद आयेंगी। हम आगे भी उनकी लिखी और कहानियों और उपन्यासों को हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत करते रहेंगे।

    धन्यवाद

    हिस्ट्री वर्ड

    अंतिम वार्तालाप

    मेरे पिताजी को सांस लेने में बहुत कठिनाई हो रहीथी।

    यहाँ तक कि उनकी सीने की धड़कन भी मुझे सुनाई नहीं दे रही थी। मगर अब शायद ही कोई उनकी कुछ मदद कर सकता था।

    मैं बार-बार यही सोच रहा था कि अच्छा हो, यदि वे इसी तरह शान्तिपूर्वक परलोक चले जाएँ

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