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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 9)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 9)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 9)
Ebook104 pages52 minutes

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 9)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की आठवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateApr 4, 2018
ISBN9781370381210
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 9)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    राजा शर्मा

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 9)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 9)

    Copyright

    दो शब्द

    क्या सही क्या गलत Kya Sahi Kya Galat

    एक कप मदिरा Ek Cup Madira

    केंटुकी फ्राइड चिकन की सफलता Kentucky Fried Chicken's Success

    रास्ते की बाधाएं Raste Ki Badhayein

    निपुण शिक्षक Nipun Shikshak

    विशेष बैंक खाता Vishesh Bank Khaata

    सच्चा तराजू Sachha Tarajoo

    हार का परिणाम Haar Ka Parinaam

    सुकरात और सफलता Socrates Aur Safalta

    प्रतिबिम्ब Pratibimb

    पत्थर तो पड़ेगा Patthar to Padega

    कॉफ़ी के कप Coffee Ke Cup

    दो पड़ोसी Do Padosi

    दृष्टि परिवर्तन Drishti Parivartan

    भविष्यवक्ता Bhavishya Waqta

    सोच कर बोलिये Soch Kar Boliye

    ये तो होना ही था Ye To Hona Hi Tha

    प्रेम की दुविधा Prem Ki Duvidha

    चमत्कारी चश्मा Chamatkari Chashma

    अदृश्य हाथ Adrashya Hath

    असंभव संभव हुआ Asambhav Sambhav Hua

    हो भी सकता है Ho Bhee Sakta Hai

    अँधा और उसकी लालटेन Andha Aur Uski Lalten

    प्रशंसा करना सीखिए Prashansa Karna Seekhiye

    ये अच्छा है Ye Achha Hai

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की नौवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    क्या सही क्या गलत Kya Sahi Kya Galat

    अलगू चौधरी और जुम्मन शेख बहुत घनिष्ट मित्र थे. उनकी मित्रता इतनी गहरी थी के यदि उनमें से एक गाँव से बाहर जाता था तो दूसरा मित्र दोनों परिवारों की देखरेख करता था. गाँव में दोनों मित्रों का बहुत आदर था.

    जुम्मन शेख की एक बूढी काकी थी जिनकी कुछ संपत्ति भी थी. उस काकी ने अपनी सम्पूर्ण संपत्ति जुम्मन शेख के नाम कर दी ताकि वो जुम्मन शेख के साथ रह सके और जुम्मन उनकी भी देखरेख करने लगे..दो बरसों तक तो सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा. पर दो बरस बाद स्थिति एकदम बदल गयी.

    जुम्मन और उसके परिवार वाले उस बूढी काकी को बोझ समझने लगे और उनसे छुटकारा पाना चाहते थे. जुम्मन और उसकी पत्नी ने उस बूढी काकी को नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दिया. जुम्मन की पत्नी ने तो उस बूढी काकी को खाना भी कम देना शुरू कर दिया.

    बेचारी बूढी काकी कई महीनो तक अपमान के घूँट पीती रही और जो थोड़ा बहुत उनको खाने को मिलता था खाती रही. लेकिन अंत में उनके धैर्य ने जवाब दे दिया.

    एक दिन काकी ने जुम्मन शेख से कहा, बेटा,मैं अब समझ गयी हूँ की अब इस घर में मेरी कोई जगह नहीं है. कृपया मुझे हर महीने कुछ पैसे दे दिया करो ताकि मैं अपनी रसोई अलग बना सकूं.

    जुम्मन शेख ने निर्लज्जतापूर्वक कहा, मेरी पत्नी को मालुम है घर कैसे चलना है. कृपया धैर्य रखिये. काकी को ये सुनकर बहुत ही गुस्सा आया. उन्होंने गाँव की पंचायत से शिकायत करने का निर्णय लिया.

    कई दिनों तक बूढी काकी गांव के लोगों को अपनी समस्या के बारे में बताती रही ताकि उसको गाँव वासियों का समर्थन प्राप्त हो सके.

    कुछ गांव वालों ने सहानुभूति भी व्यक्त की और उसका समर्थन किया, परन्तु बाकी के गाँव वाले उसका उपहास उड़ाने लगे और कहा के काकी को अपने भतीजे और उसकी पत्नी के साथ मिलजुल कर रहना चाहिए.

    अंत में बूढी काकी अलगू चौधरी के पास गयी और उसको पूरी बात बताई. अलगू चौधरी ने कहा, "काकी, आप जानती हैं के जुम्मन शेख मेरा सबसे घनिस्ट मित्र है. मैं उसके

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