कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 34)
By Raja Sharma
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विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की चौंतीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
Raja Sharma
Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.
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कथा सागर - Raja Sharma
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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 34)
राजा शर्मा
Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma
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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 34)
Copyright
दो शब्द
घर वापसी Ghar Vapsi
आपको भी बूढा होना है Aapko Bhi Boodha Hona Hai
तीर्थयात्रा सफल हुई Teerthyatra Safal Hui
शत्रु को हराना Shatru Ko Harana
ऐसे थे गांधीजी Aise The Gandhiji
ऐसा भी नेक इंसान Aisa Bhi Nek Insaan
सही चुनना Sahi Chunana
मनमौजी Manmauji
जल्दी मैं छयासठ का हो जाऊंगा Jaldi Main Chyasath Ka Ho Jaunga
सुक़ून Sukoon
सुधरने को तैयार नहीं Sudharney Ko Taiyar Nahi
संघर्ष की चिंगारी Sangharsh Ki Chingari
कक्षा में चुटकुले Kaksha Mein Chutkuley
देश का पैसा Desh Ka Paisa
कामयाबी मिलती है Kamyabi Milti Hai
चिट्ठियां Chitthiyaan
दिल से, वियतनाम से Dil Se, Vietnam Se
इधर या उधर Idhar Ya Udhar
ऐसा हो परोपकार Aisa Ho Paropkar
होंडा की सफलता Honda Ki Safalta
खंभे के साथ बांध दो Khambhe Ke Saath Baandh Do
नमक भूल गई हैं Namak Bhul Gayee Hain
दीनबंधु Deenbandhu
आदतों को छोड़ना Adton Ko Chodna
यही इंसानी धर्म है Yahi Insani Dharm Hai
दो शब्द
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की चौंतीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
घर वापसी Ghar Vapsi
क्या उलझे हुए संबंधों की देर तक रहने वाली खुशबू आपने कभी महसूस की है? क्या कभी आपने टूटे हुए दिल की मीठी दुखायी को गले से लगाया है?
सरताज सिंह ने मुझे इन्ही प्रश्नो के साथ छोड़ दिया था. उनकी आंखें मैंने आज तक देखी हुई सबसे मासूम आंखें थी.
हम एक दूसरे से दिल्ली की अपनी रेल यात्रा के दौरान मिले थे. मैं एक राष्ट्रीय समाचारपत्र में सहायक सम्पादक के पद पर काम करने जा रही थी. मेरा दफ्तर मेरे जहाज के टिकट के पैसे भी दे देता, परन्तु मुझे रेल से यात्रा करना ज्यादा अच्छा लगता था.
शायद उस यात्रा के दौरान उस शानदार व्यक्ति से मिलना मेरे भाग्य में लिखा था. जितने वो शानदार थे उससे शानदार उनकी कहानी थी जो उन्होंने मुझको सुनायी.
वो रेल के डिब्बे में अपनी सीट पर हाथ में एक उपन्यास लिए बैठे थे. किताब का कवर किनारों से फटा हुआ था और किताब बहुत ही पुरानी लग रही थी.
उन्होंने मुझे तुरंत ही हेलो कहा और मैंने भी तुरंत ही जवाब दिया. बम्बई से दिल्ली की लम्बी यात्रा थी और मैं सरताज सिंह को एक साथी के रूप में पाकर खुश हुई.
मेरी जिंदगी में कई लोग समय समय में आये थे और बहुत से खट्टे मीठे अनुभव भी थे पर उस दिन मैं उस व्यक्ति को अपने सहयात्री के रूप में पाकर खुश हुई.
मैंने अपना गला साफ़ करते हुए कहा, आप कहाँ तक जा रहे हैं?
उन्होंने मुझे देखते हुए कहा, जी, दिल्ली.
घर?
वो थोड़ा सा मुस्कुराये और फिर बोले, हाँ, आप ये कह सकती हैं.
जैसे के?
मिस, वास्तव में ये घर क्या होता है? चार दीवारें जहाँ आपको आराम मिलता है और आप जहाँ रहना शुरू कर देते हैं या जहाँ आप अपने प्रेमी या प्रेमिका को वापिस आकर मिलने की आशा रखते हैं?
मैंने हिचकिचाते हुए कहा, दूसरा वाला, मेरा मतलब जहां कोई आपका इंतजार कर रहा हो.
वो बोले, फिर तो बम्बई मेरा घर है जहाँ मेरी प्रिये हमेशा के लिए सो गयी.
मैं बोली, ओह, मुझे माफ़ कर दीजियेगा. मुझे नहीं मालूम था.
माफ़ी, क्यों? सॉरी कहने की जरूरत नहीं है. बेनज़ीर मेरे दिल में रहती है,
उन्होंने अपनी छाती पर बाएं तरफ हाथ रखते हुए कहा.
मैं उनकी तरफ देख कर मुस्कुराने की कोशिश करने लगी. मैंने फिर कोशिश की, तो मेरा मतलब, आपकी पत्नी कैसे...शायद पत्नी .........कैसे?
वो बोले, नहीं शादी नहीं हुई. आपका नाम क्या है, बेटाजी?
मैंने जवाब दिया, जी, तानीमा.
उन्होंने कहा, नहीं मैंने कभी शादी नहीं की. वो मेरी पत्नी नहीं थी. बेनजीर मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी, मेरी प्रेमिका थी, मेरी आत्मा थी. पत्नी को छोड़कर वो मेरे लिए सबकुछ थी. मेरा दिल उसका था और उसका दिल मेरा. साठ साल हम दोनों दोस्त रहे.
आपने उनसे शादी क्यों नहीं की?
"एक व्यक्तिगत बाधा थी, मैं बहुत ही शर्मीला था. जब मैंने हिम्मत की तो धर्म बाधा बन गया और हम