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छोटे छोटे डर (भूतिया कहानियाँ)
छोटे छोटे डर (भूतिया कहानियाँ)
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छोटे छोटे डर (भूतिया कहानियाँ)

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About this ebook

एक ऐसे क्षेत्र में आपका स्वागत है जहां छायाएं नृत्य करती हैं और फुसफुसाहटें घूमती रहती हैं, जहां जीवित और मृत के बीच का पर्दा बेहद पतला है। इन पन्नों में अलौकिकता के ताने-बाने से बुनी गई 46 कहानियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक में रोमांचकारी रहस्य और भयावह सुंदरता का नाजुक संतुलन है।

गोधूलि बेला में जब दुनिया अपनी साँसें रोक लेती है, ये कहानियाँ जीवंत हो उठती हैं, और आपको अपने रहस्यमय आलिंगन में खींच लेती हैं। आप भूले-बिसरे कोनों में घूमती भूतिया प्रेतात्माओं, खाली गलियारों में गूँजती प्रेत पदचापों और ठंडी फुसफुसाहटों का सामना करेंगे जो आपकी रीढ़ में सिहरन पैदा कर देती हैं। लेकिन अंधेरे के बीच, आपको आशा, साहस और मानवीय भावना के स्थायी लचीलेपन की झलक भी मिलेगी।

प्रेतवाधित हवेलियों, प्राचीन जंगलों और परित्यक्त कब्रिस्तानों के माध्यम से यात्रा करने के लिए तैयार हो जाइए। ऐसे पात्रों से मिलें जो सामान्य और असाधारण दोनों हैं, भय और आकर्षण के मिश्रण के साथ अज्ञात का सामना करते हैं। प्रत्येक कहानी अज्ञात का द्वार है, जो आपको अपनी कल्पना की गहराइयों का पता लगाने और छाया में छिपी चीजों का सामना करने के लिए प्रेरित करती है।

जैसे ही आप प्रत्येक पृष्ठ को पलटते हैं, अपने आप को ऐसी दुनिया में ले जाने की अनुमति दें जहां असंभव संभव हो जाता है, जहां अतीत वर्तमान को छूने के लिए पहुंचता है, और जहां वास्तविकता और कल्पना के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है। चाहे आप भूत-प्रेत की कहानियों के अनुभवी शौकीन हों या जिज्ञासु नवागंतुक, इन कहानियों में लुभाने और मंत्रमुग्ध करने के लिए कुछ न कुछ है।

तो, रोशनी कम करें, आग जलाएं, और खुद को अदृश्य की फुसफुसाहट में बह जाने दें। प्रिय पाठक, यात्रा आपका इंतजार कर रही है और आत्माएं अपनी कहानियाँ आपके साथ साझा करने के लिए उत्सुक हैं। अज्ञात के लिए अपना दिल खोलें, और ये भूतिया कहानियाँ आपकी कल्पना पर एक अमिट छाप छोड़ सकती हैं।

कहानियों का आनंद लें!

मोटेल का कमरा
लोमड़ी
नाव वाला आदमी
अंगूठियाँ
ऐसा भी होता है
गुलाबी डायरी
खून के दाग
पिता की सुखद याद
वो लड़की
पति स्वीकारती हूँ
छुटकारा
आप आ जाइएगा
मुफ्त पिज़्ज़ा
फार्महाउस
बंद दरवाजों के पीछे
मेरी वैलेंटाइन बनोगी
दरवाज़ा खोलो
पानी का गिलास
अलमारी में आइना
तुम चलो मैं इंतजार करूँगा
माचिस है?
तुम मेरे टाइप के नहीं हो
नए पड़ोसी
मेरी बहन
मैं तुम्हें जीने दूंगा
रेलगाड़ी का डिब्बा
फॉलो मी
मैं हवा में था
रेनकोट
सैलून में
क्या वो हकीकत थी
क्या मैं मर गया हूँ
भयानक रात
आज के खेल
मैं सिर्फ एक भूत को जानता हूँ
शांत रात
सातवां बेटा
दोस्तों में प्यार
दाहगृह
अच्छा दिल
आखरी बार
एक रात के लिए
कार में मेरे साथ
वो आ रहा था
छोटे छोटे डर (पंद्रह कहानियाँ)
डैडी ख्याल रखेंगे

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateMar 17, 2024
ISBN9798215303849
छोटे छोटे डर (भूतिया कहानियाँ)

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    छोटे छोटे डर (भूतिया कहानियाँ) - टी सिंह

    मोटेल का कमरा

    हम लोग कुछ ही दिनों में एक दूसरे राज्य में जाकर रहने वाले थे। मेरे डैडी सबसे पहले वहां गए और अपने नए घर के निर्माण को देखने लगे। हम लोग वहां पर एक नया घर बनवा रहे थे।

    मेरे डैडी उस नए स्थान पर पिछले एक हफ्ते से एक सस्ते से मोटेल में एक कमरा लेकर रह रहे थे। डैडी का कमरा सबसे ऊपरी मंज़िल पर गलियारे के आखिर वाला था।

    पिछली रात को जब डैडी शहर में अपने कमरे में सो रहे थे आधी रात के समय उनके कमरे का फ़ोन बजने लगा। उन्होंने नींद में ही फ़ोन उठा लिया। मोटेल के रिसेप्शन से ही मोटेल के मैनेजर ने फ़ोन किया था।

    मैनेजर ने डैडी से कहा, "माफ़ कीजियेगा आपको इतनी रात को नींद से जगा दिया, लेकिन हमको दो रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं के हमारे मोटेल के दो कमरों में कोई घुसकर सामान चुरा कर ले गया है।

    हमने आपको ये कहने को फ़ोन किया है के आप अपने कमरे की खिड़कियाँ और दरवाजा अंदर से अच्छे से लॉक कर लीजिये। धन्यवाद!"

    मेरे डैडी ने उसको बताया के वो ठीक थे और फिर उन्होंने फ़ोन रख दिया। डैडी ने एक बार फिर से खिड़कियाँ और दरवाजे चेक कर लिए। सब कुछ ठीक था।

    वो फिर से बिस्तर पर आ गए। तभी अचानक वो फिर से उठकर बिस्तर पर बैठ गए क्योंकि उनके कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था। डैडी को बहुत घबराहट होने लगी। उन्होंने कमरे में देखा लेकिन उनका कोई भी सामान चोरी नहीं हुआ था।

    वो घबराते हुए दरवाजे के पास गए और उन्होंने बाहर झाँक कर देखा। तभी उनकी नजर कमरे के अंदर खिड़की की तरफ गयी।

    उनका दाढ़ी बनाने का रेजर खिड़की के नीचे पड़ा था। वो हैरान हो गए क्योंकि वो रेजर तो उन्होंने बाथरूम में रखा था। उन्होंने जल्दी से दरवाजा अंदर से बंद कर लिया लेकिन वो भयभीत थे।

    डैडी ने फिर से नीचे मैनेजर को फ़ोन लगा कर कहा, "सर, अभी अभी आपने मुझे फ़ोन करके खिड़कियाँ और दरवाजा लॉक करने को कहा था क्योंकि आपके पास आपके मोटेल के दो कमरों से चोरी की रिपोर्ट आयी थी।

    मुझे लगता है के मेरे कमरे में भी कोई आया था लेकिन मैं ठीक हूँ...आपको सिर्फ ये बताने के लिए ही मैंने फ़ोन किया है।"

    मैनेजर ने तुरंत ही डैडी को कहा,माफ़ कीजियेगा सर...शायद आपको कोई भ्रम हो गया है। मैंने तो आपको आज फ़ोन किया ही नहीं था...और ना ही होटल के किसी कमरे में चोरी हुई है...हमारा होटल एकदम सुरक्षित है।

    डैडी बहुत ही हैरान थे और उन्होंने आश्चर्य से फ़ोन का रिसीवर नीचे रख दिया...तभी उनकी नज़र बाथरूम के दरवाजे की तरफ गयी। बाथरूम के अंदर से किसी औरत के गुनगुनाने की आवाज़ आ रही थी...

    डैडी दबे क़दमों बाथरूम की तरफ गए। उनके होश ही उड़ गए और उनके मुंह से निकला, मोनालिसा! तुम यहाँ इस कमरे के बाथरूम में?

    अंदर से गुनगुनाने की आवाज़ आनी बंद हो गयी। डैडी घबराकर कांपने ही लगे। उसी रात को वो अपना सामान लेकर कार में बैठकर घर वापिस आ गए...

    उन्होंने हमें कुछ नहीं बताया के वो जल्दी क्यों वापिस आ गए थे...

    एक महीने के बाद हम सभी दूसरे शहर में हमारे घर चले गये और वहीँ रहने लगे। लेकिन मैंने देखा था के मेरे डैडी बहुत चुप चुप रहने लगे थे। डैडी का बहुत बड़ा गाडी के पुर्जों का व्यापार था लेकिन वो काम उन्होंने अपने मैनेजर और अन्य लोगों को ही सौंप रखा था।

    मेरे डैडी ने नए घर में आने के बाद शराब कुछ ज्यादा ही पीनी शुरू कर दी थी... खैर हमको उस घर में रहते हुए तीन बरस बीत गए। एक रात मेरे डैडी को दिल का दौरा पड़ा और उनका देहांत हो गया...

    एक दिन मैं उनकी किताबें और उनकी अलमारी में रखा हुआ अन्य सामान देख रहा था। तभी मुझे एक चिट्ठी मिली जो मेरे डैडी को किसी मोनालिसा नाम की औरत ने लिखी थी...मैंने उस चिट्ठी को पढ़ना शुरू कर दिया।

    "मेरे प्यारे जोनाथन,

    तुमने तो दो वर्षों से मुझे संपर्क तक नहीं किया...शादी भी कर ली तुमने और एक बेटा भी हो गया है तुम्हारा...आज रात को मैं हमारे उसी प्रिय मोटेल में रुकूंगी और तुम्हारा इंतजार करूंगी। अगर तुम नहीं आये तो मैं तुम्हारी पत्नी को बता दूंगी के मैं भी तुम्हारे एक बच्चे की माँ हूँ भले ही तुमने मुझसे शादी ना की हो।

    आज रात को मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी...तुम्हारी...मोनालिसा..."

    मुझे इतना तो मालूम चल गया के शादी से पहले मेरे डैडी का किसी मोनालिसा नाम की औरत से सम्बन्ध था और शायद उनका एक और बेटा भी था लेकिन ये नहीं जान सका के वो औरत कहाँ रहती थी और डैडी ने उसको क्यों छोड़ा था...

    तभी मैंने डैडी की डायरी में एक अखबार से काटा हुआ एक खबर का कागज़ पढ़ा...लिखा था "मोटेल रोज़ी में ऊपरी मंज़िल के एक कमरे में मोनालिसा नाम की एक औरत की लाश मिली है। किसी ने उसकी गला घोंट कर हत्या कर दी थी...पुलिस को उस कमरे की खिड़की के नीचे सिर्फ पुरुषों का एक रेज़र मिला है...

    मोटेल वालों ने बताया है के रात को शायद उस औरत से मिलने कोई आदमी आया था और सुबह होने से पहले ही चला गया था..."

    मैं उस खबर को पढ़कर विचलित हो गया...तभी मैंने डैडी की डायरी के एक पन्ने में सबसे नीचे एक पंक्ति लिखी देखी आज मेरी मोनालिसा से जान छूट गयी है। अब मैं अपने परिवार के साथ बहुत खुश हूँ।अब वो मुझे और ब्लैकमेल नहीं कर सकेगी...

    घर में मेरी माँ को उस औरत के बारे में कुछ नहीं मालुम था और ना ही मेरे दोनों भाई और दोनों बहने कुछ जानती थी।पर मैं जानता था के मुझे आगे बहुत कुछ करना था और उस औरत मोनालिसा के बारे में पता लगाना था जिसको मेरे डैडी ने रात के अँधेरे में मोटेल के उस कमरे में मार दिया था।

    Chapter 2

    लोमड़ी

    मेरी मम्मी मूल अमेरिकी हैं। हमारे घर में अन्य मूल अमेरिकी जनजातियों की तरह ही बहुत से धार्मिक विधि विधान होते हैं और हम कई देवी देवताओं की पूजा करते हैं।

    मेरी मम्मी के पुरखों को पहले रेड इंडियंस कहा जाता था। मेरी मम्मी आज भी हमें उनके पुरखों की बहुत सी कहानियां सुनाती हैं।

    जब मेरी छोटी बहन का जन्म हुआ मेरी मम्मी ने उसका नाम चूला रखा। मूल अमेरिकी भाषा में चूला का अर्थ लोमड़ी होता है।

    मेरी बहन के लक्षण भी बचपन से ही एक लोमड़ी की तरह के ही थे। उसका मुंह थोड़ा नुकीला सा था और आंखें भी बहुत तेज़ थी।

    मेरी बहन को कोने में छुपकर बैठना बहुत अच्छा लगता था और वो बहुत ही फुर्ती से इधर से उधर दौड़ जाती थी। तीन बरस की हो गयी थी मेरी बहन पर उसने तब तक भी कोई लोमड़ी नहीं देखी थी।

    नवंबर के एक दिन मेरी मम्मी रसोई में बर्तन साफ़ कर रही थी और साथ ही साथ खिड़की के बाहर भी देख रही थी। उस वर्ष मेरी बहन चौदह बरस की हो गयी थी और वो शहर के स्कूल में जाने लगी थी।

    उस दिन बर्तन मांजते मांजते मेरी माँ खिड़की से घर के पीछे कुछ दूरी पर जंगल के किनारे को देख रही थी के तभी जंगल से एक लोमड़ी निकल कर बाहर आयी। मेरी बहन तब तक स्कूल से घर वापिस नहीं आयी थी।

    मेरी माँ उसको फ़ोन करके घर बुलाना चाहती थी और उसको वो लोमड़ी दिखाना चाहती थी जो जंगल से बार बार बाहर आकर घर की खिड़की की तरफ ही देख रही थी...

    तभी अचानक माँ को उसके स्कूल से फ़ोन आया,"मिसेज़ लूना, बहुत दुःख के साथ हम आपको ये बताना चाहते हैं के आज सुबह जब आपकी बेटी बस से उतरकर स्कूल की तरफ आ रही थी रास्ते में एक गाड़ी वाले ने उसको टक्कर मार दी थी...

    सुबह से ही वो अस्पताल में थी।हमने आपको इसलिए फ़ोन नहीं किया क्योंकि डॉक्टर कह रहे थे के कोई चिंता की बात नहीं थी लेकिन करीब तीन घंटे पहले आपकी बेटी ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया..."

    मेरी माँ का मुंह खुला का खुला ही रह गया और वो खिड़की के बाहर उस लोमड़ी को देखने लगी।तभी वो लोमड़ी भागती हुई खिड़की के पास आयी।

    माँ ने देखा के उस लोमड़ी की आँखों में आंसू थे। अचानक ही वो लोमड़ी मुड़ी और भागकर फिर से जंगल में चली गयी। उस दिन के बाद वो लोमड़ी फिर कभी वापिस नहीं आयी।

    Chapter 3

    नाव वाला आदमी

    गर्मियों की छुट्टियौं में मैं और मेरे कुछ दोस्त शहर से दूर एक बहुत बड़े तालाब के बीच बने एक टापू कर कैंपिंग कर रहे थे। वो बहुत बड़ा तालाब एक नदी के किनारे पर बना हुआ था।

    एक रात हम सब मिलकर खाना बना रहे थे और साथ साथ ड्रिंक्स भी ले रहे थे। तभी हमने पानी में हमारे पास से होकर जाती हुई एक छोटी सी नाव देखी। उस नाव में एक आदमी था। उसने हमसे पूछा, कैसे हो? मजा आ रहा है कैंपिंग का?

    मैंने जवाब दिया, जी हम बहुत अच्छे हैं... आइये आप भी हमारे साथ आ जाइये ताज़ा मीट भून रहे हैं और साथ में बियर भी है! आपका स्वागत है!

    हमारे इलाके में सभी लोग बहुत मिलनसार होते है और अजनबियों को भी अपने साथ खाने के लिए आमंत्रित कर लेते हैं। उस नाव वाले ने हमारा निमंत्रण स्वीकार लिया और वो नाव से उतरकर हमारे टापू में आ गया।

    उस आदमी का नाम कुर्त था और वो बहुत ही मिलनसार था, लेकिन वास्तव में उसके चेहरे पर कुछ उदासी सी साफ़ दिख रही थी।

    मैंने उसको पूछ ही लिया, आप इतना उदास क्यों लग रहे हैं?

    उसने मेरी तरफ देखा और आंख मारते हुए कहा, कोई ख़ास बात नहीं है! सिर्फ शायद मेरे दोस्त लोग मेरे बारे में चिंतित होंगे बस यही सोच रहा हूँ! लेकिन वो लोग मुझे जल्दी ही ढूँढ लेंगे।

    कुर्त ने कुछ ही देर में काफी बियर पी ली थी और रात भी बहुत हो गयी थी। मैंने उसको कहा, आप आज की रात हम लोगों के साथ यही पर रुक जाइये! हमारे पास कम्बल और तकिये भी हैं आपके लिये!

    अरे नहीं नहीं... मुझे वहां पहुंचा होगा मैं नहीं रुक सकता! हमने बहुत जिद की लेकिन वो रुकने को तैयार नहीं हुआ।मैंने सोचा के बेचारा अँधेरे में उस नाव को कहाँ तक चलाएगा।

    मैंने सोचा के उसको अपनी मोटर बोट से छोड़ आऊं लेकिन उसने इंकार कर दिया और बोला,तुम जवान लड़के हो लेकिन तुम लोग ये नहीं जानते के तुम सब कितने भाग्यशाली हो!

    वो अपनी नाव में सवार हुआ और कुछ ही देर में हमारी नज़रों से ओझल हो गया। उसके जाने के बाद हमने उसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा।

    अगली सुबह हम जल्दी ही उठ गए और मछलियां पकड़ने लगे। तभी अचानक पुलिस की एक नाव हमारे पास आकर रुकी।

    पुलिस के एक आदमी ने मुझसे पूछा, क्या तुम लोग भी उस खोजी दल के सदस्य हो जिनको लाश मिली थी?

    हम तो बिलकुल भी नहीं समझ सके के वो क्या कह रहा था। पुलिस वाले ने बताया,"पिछले हफ्ते एक नाव गायब हो गयी थी और उसमें एक आदमी भी था। उसकी लाश दो दिन पहले ही तालाब के अंदर मिल गयी थी। उस आदमी का नाम कुर्त था।

    मैं और मेरे सभी दोस्त एक दूसरे को देखने लगे। हमारे चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थी। कुछ ही देर बाद हम सभी मोटर बोट में बैठे उस स्थान से दूर भाग रहे थे जहाँ हमने पिछली रात को कुर्त को मीट खिलाया था और बियर पिलाई थी!

    Chapter 4

    अंगूठियाँ

    एक दिन फ्लोरेंस विंढम अचानक ही बहुत बीमार हो गयी और फिर कुछ देर के बाद ही वो कोमा में चली गयी।

    डॉक्टरों ने उसको बचाने के सभी संभव प्रयास किये लेकिन वो उसको बचा नहीं सके।उसकी मृत्यु के बाद उसका पति पूरी तरह से टूट चुका था।

    उसकी लाश को घर से करीब एक मील दूर ही एक छोटे से कब्रिस्तान में दफना दिया गया।

    आधी रात के समय, कब्रों का एक लुटेरा उस कब्रिस्तान में घुस गया। उसके पास एक लालटेन और एक फावड़ा थे।

    उसने फ्लोरेंस की कब्र को खोदना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में उसका फावड़ा ताबूत से टकराया। उसने जल्दी से उस ताबूत को खोल लिया।

    उसने लालटेन के प्रकाश में ताबूत के अंदर लाश को देखा। उसने फ्लोरेंस की उँगलियों में दो सोने की अंगूठियां देखी।

    उसने लाश के ठन्डे हाथ को अपने हाथ में ले लिया और उन अंगूठियों को निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन अंगूठियां उँगलियों में फंस गयी थी।

    उसके पास उन अंगूठियों को निकालने का कोई और तरीका नहीं था इसलिए उसने उँगलियों को काटकर हाथ से अलग कर देने का निर्णय लिया।

    उसने अपने जेब से चाक़ू निकाला।जैसे ही उसने उस चाक़ू से एक उंगली काटनी शुरू की वो भयभीत हो गया क्योंकि उस उंगली से खून बहने लगा था।

    तभी उसको किसी हलचल की आवाज़ सुनायी दी। तभी उस औरत फ्लोरेंस की लाश हिलने लगी। वो लाश उठकर बैठ गयी। भयभीत चोर घबराकर पीछे हट गया पर उसके हाथ से लालटेन छूट गयी। वहां बिलकुल अन्धेरा हो गया।

    वो कब्र में नीचे झुका हुआ था। तभी अचानक दस ठंडी उँगलियों ने उसके गले को पकड़ लिया। वो चोर बहुत जोर से चीखने लगा और किसी तरह

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