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कहानियाँ सबके लिए (भाग 9)
कहानियाँ सबके लिए (भाग 9)
कहानियाँ सबके लिए (भाग 9)
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कहानियाँ सबके लिए (भाग 9)

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About this ebook

एक वो थी
किस तरह बिकती रही
दीदी का प्रेमी
वो आ ही गयी
शत्रु क्यों
औरत बोली
नया अनुभव
और कल करेंगे
लड़की देखने आये
दुःख या शर्म
नासूर
रूह के हत्यारे
अलविदा
रुके नहीं आंसू
हो गया
क्या करे
प्यारी
कैदी रूह
वो ठंडी रात
बेनाम रिश्ता
बॉयफ्रेंड
कीमत
भावी पति
वॉलपेपर
छोटा भाई कब मरेगा
बिकाऊ माल
सही सज़ा
बुरी औरत
लड़की कैंप वाली
चालीस बरस पहले
फूलों वाला सूट
डैडी की रखैल
दैविक इंसान
दलदल
दो जिस्म एक रूह
आखरी हत्या
भयानक दिन
गलत सम्बन्ध

दो शब्द

ये कहानी वाला समूह के विभिन्न लेखकों के द्वारा लिखी गयी अनेकों विषयों पर बहुत ही रोचक कहानियाँ है। इस श्रंखला में आपको करीब तीस पुस्तकें मिलेंगी। ये सभी कहानियाँ आप अपने मोबाइल, कंप्यूटर, आई पैड या लैपटॉप पर सिर्फ कुछ पैसे चुकाकर ही पढ़ सकते हैं।

इस संग्रह को आप डाउनलोड करके सेव भी कर सकते हैं बाद में पढ़ने के लिए। हमें आपके सहयोग की जरूरत है इसलिए इन कहानियों को अपने मित्रों के साथ भी सांझा कीजिये!

धन्यवाद

कहानी वाला

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJan 12, 2023
ISBN9798215947210
कहानियाँ सबके लिए (भाग 9)

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    कहानियाँ सबके लिए (भाग 9) - कहानी वाला

    एक वो थी

    प्रोस्पेर मेरीमी नाम का एक लेखक था। एक बार वो स्पेन की यात्रा पर था। उसकी मुलाक़ात जोश नाम के एक अपराधी से हुई और दोनों में मित्रता हो गयी।

    कुछ दिनों के बाद जोश को पकड़ लिया गया और उसको फांसी की सजा सुना दी गयी।

    जोश की फांसी के एक दिन पहले प्रोस्पेर मेरीमी उसको मिलने जेल में गया। वहां पर बातें करने के दौरान जोश ने अपनी दुखद कहानी उस लेखक प्रोस्पेर मेरीमी को सुनायी:

    जोश स्पेन की फ़ौज में सार्जेंट था। उसकी फ़ौज की बैरक के पास ही एक सिगार की फैक्ट्री थी। उस फैक्ट्री में एक बहुत ही खूबसूरत औरत कारमेन काम करती थी।

    कहते थे के उसके पिता घुमक्क्ड जाति के थे। कारमेन सुन्दर तो थी लेकिन वो बहुत ही चंचल और कामुक भी थी।

    उस फैक्ट्री में फर्नान्डा नाम का एक कर्मचारी भी था। एक दिन बहस के दौरान फर्नान्डा ने कारमेन को बंजारन कह दिया और गुस्सा दिला दिया। गुस्से में कारमेन ने फर्नान्डा के चेहरे को चाकू से चीर दिया।

    कारमेन को गिरफ्तार कर लिया गया और उसको बंदी बना कर रखने का जिम्मा सार्जेंट जोश को दिया गया। जोश कारमेन को जेल ले जाने लगा। रास्ते में कारमेन ने जोश के साथ कामुक हरकतें शुरू कर दी।

    कारमेन ने जोश को कहा के अगर वो उसको भागने में मदद करेगा तो वो एक रात उसके पास बिताएगी और उसको खुश कर देगी।

    जोश भूल गया के वो एक जिम्मेदार फौजी था और उसने कारमेन को जेल से भगा दिया। जोश की फ़ौज की नौकरी तो चली गयी उसको कुछ दिन कैद में भी बिताने पड़े।

    जब जोश जेल से बाहर आ गया कारमेन उसको मिलने आ गयी। वो अपना वचन भूली नहीं थी। उसने एक रात जोश के साथ उसके बिस्तर पर बिताई और उसको बहुत खुश कर दिया।

    जोश ने उससे पहले किसी भी औरत के शरीर को इतना कामुक नहीं पाया था। कारमेन ने जोश को रात भर भरपूर आनंद दिया। अब जोश के लिए कारमेन को अपने दिमाग से निकालना मुश्किल हो गया।

    एक दिन जोश शहर के मुख्य गेट पर सुरक्षा की ड्यूटी पर तैनात था। वहां उसकी मुलाक़ात एक बार फिर से कारमेन से हो गयी। कारमेन ने एक बार फिर से उसको शारीरिक सुख दिया और अपने जाल में फंसा लिया।

    जब कारमेन अपने शानदार शरीर का स्वाद जोश को चखा रही थी उसके कुछ दोस्त चुपके से शहर के अंदर दाखिल हो गए थे बिना किसी अनुमति के।

    क्योंकि जोश और कारमेन सम्भोग में डूबे हुए थे शहर के गेट पर कोई चौकीदार नहीं था इसलिए कारमेन के दोस्तों के लिए अंदर जाना सरल हो गया था।

    क्योंकि कारमेन के पास अब फैक्ट्री में काम नहीं था वो तस्करों के एक दल की सक्रिय सदस्य बन गयी थी। लेकिन वो साथ ही साथ अपना शरीर बेचकर भी पैसे कमा लेती थी।

    अपने ग्राहकों को लेकर कारमेन जिस घर में जाती थी उस घर की मालकिन ब्लांका थी। उसको सब लोग मैडम कहते थे।

    कारमेन कई बार जोश को भी उस घर में लाई थी लेकिन मैडम ने जोश से कहा था के उसको कारमेन से सावधान रहना होगा क्योंकि वो गलत कामो में संलग्न थी।

    जोश को तो जैसे किसी चीज की परवाह ही नहीं थी क्योंकि वो तो कारमेन के प्रेम में अंधा ही हो चुका था।

    एक रात को जोश उसी मैडम ब्लांका के वैश्यालय में कारमेन का इंतजार कर रहा था। वो कुछ देर के बाद आयी लेकिन उसके साथ जोश का लेफ्टिनेंट भी था जिसको वो फंसा कर लाई थी। जोश को गुस्सा आ गया।

    हालांकि लेफ्टिनेंट उसका अधिकारी था जोश उस लेफ्टिनेंट से लड़ने को तैयार हो गया। दोनों में तलवार का द्वन्द हुआ और जोश ने उस लेफ्टिनेंट को मार दिया।

    जोश की नौकरी पद सब कुछ छूट गया और वो अपराधी घोषित कर दिया गया। कारमेन उसको सलाह देती है के जोश को ग्रामीण क्षेत्र में जाकर शरण लेनी चाहिए।

    जोश कारमेन के कुछ डाकू और तस्कर दोस्तों डैनकेयर, एरिस्टोटल, सेनोरिटा, और जुआनेले के साथ चल दिया। कुछ ही दिनों में जोश ने उस डाकुओं और तस्करों के जीवन को स्वीकार लिया।

    वो भी एक डाकू बन गया और धीरे धीरे लोग उसके नाम से ही डरने लगे। लोग उसको जोश द बास्क कहने लगे थे।

    जोश और अन्य तस्कर पहाड़ों में छुप कर रहते थे। कुछ दिन बाद कारमेन भी उनके पास आ गयी। जोश और कारमेन ने सबके सामने ही खुलकर अपना प्रेम प्रसंग फिर से शुरू कर दिया।

    वास्तव में कारमेन की पहले शादी हो चुकी थी और उसका डाकू पति एल टुएर्टो जेल में था। लेकिन जब वो एक दिन जेल से वापिस आ गया कारमेन और जोश के खुले आम प्रेम प्रदर्शन पर रोक लग गयी।

    पहले तो जोश की इच्छा हुई के वो कारमेन के पति एल टुएर्टो से भी तलवार का द्वन्द करे लेकिन वो रुक गया क्योंकी कारमेन का पति बहुत ही खतरनाक और बहुत ही शक्तिशाली था। जोश परिस्थिति से समझौता कर लेता है।

    उधर कारमेन जोश को यकीन दिलाने की कोशिश करने लगी के वो सिर्फ जोश से ही प्रेम करती थी। उसने बताया के जब वो चौदह बरस की थी उसके माता पिता ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसको एल टुएर्टो के हाथों बेच दिया था।

    कारमेन जोश के साथ उतनी ही बार सम्भोग करने लगी जितनी बार वो अपने पति के साथ करती थी।

    अन्य सभी डाकू और तस्कर ये जानते थे के कारमेन रातो को चुपके चुपके जोश के पास जाती थी और उसको खुश करती थी लेकिन सभी डाकू और तस्कर चुप रहे क्योंकि वो और खून खराबा नहीं चाहते थे।

    जोश चुपचाप डाकुओं और तस्करों के साथ काम करता रहा और कई बार सरकार के फौजियों से भी टकराया। आखिर जब जोश से रहा नहीं गया उसने कारमेन की मदद से एल टुएर्टो की ह्त्या कर दी।

    इसी दौरान कारमेन की नजर एक बहुत ही सुन्दर नौजवान पर पड़ गयी। वो एक बहुत ही सुन्दर बहादुर था और उसका नाम लुकास था।

    एक दिन जोश कारमेन और लुकास को नंगे एक दूसरे से चिपटे हुए बिस्तर पर देख लिया और फिर उसने लुकास की ह्त्या कर दी। वो कारमेन को लेकर वहां से भाग गया और एक चर्च में जाकर छुप गया।

    वहां पर जोश कारमेन से पूछने लगा के उसने ऐसा क्यों किया था और उस नौजवान लुकास के साथ सम्भोग क्यों किया था।

    कारमेन ने साफ़ साफ़ कह दिया के वो अब जोश को प्रेम नहीं करती थी। वो कहती है,"मैंने जो कुछ किया अपने शरीर की आग को संतुष्ट करने के लिए किया है।

    पहले मेरा पति मेरे साथ जबरदस्ती सम्भोग करता था क्योंकि मैं बहुत छोटी थी। उसके जेल जाने के बाद मुझे मर्दों के साथ सोना पड़ता था क्योंकि मुझे पेट भरने को पैसे चाहिए होते थे। तुमसे मैंने सम्बन्ध बनाया क्योंकि तुम एक फौजी थे और मेरी सुरक्षा कर सकते थे।

    मेरे पति के वापिस आने के बाद मुझे तुम दोनों को ही खुश करना होता था और मेरे लिए वो एक मशीन जैसा काम ही हो गया था क्योंकी उसमें प्रेम नहीं था सिर्फ शरीरों का खेल था। लुकास से मुझे प्रेम हुआ लेकिन तुमने उसको मार दिया।

    अब अगर तुम चाहो तो मुझे मार सकते हो मुझे अब कोई अफ़सोस नहीं है।"

    जोश ने उसको अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए लेकिन अचानक ही उसने अपने जेब से एक तेज़ चाकू निकाल कर कारमेन के पेट में घुसा दिया।

    Chapter 2

    किस तरह बिकती रही

    सुबह जब उस बड़े से नरम बिस्तर पर माधुरी की आंख खुली तो उसको एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ के उसने अपनी सुहागरात अपने पति मोहनराज के साथ उस पांच सितारा होटल के शानदार कमरे में मनाई थी।

    तरह तरह की सुन्दर चीजो से सजा हुआ वो बड़ा कमरा माधुरी के लिए किसी राजमहल के कक्ष से कम नहीं था। उसने पलंग पर देखा तो उसके पति मोहनराज उसकी बगल में सोये हुए थे।

    वो उसको देखकर मुस्कुरा दी और फिर अपने कपडे समेटती हुई कमरे के अंदर ही के बाथरूम की तरफ चल दी।

    वैसे तो वो खुश थी लेकिन जैसे ही उसने बाथरूम के आईने में खुद को देखा उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे।

    उसको अपना रत्नगिरी के पास का वो छोटा सा गाँव याद आ गया जहां वो अपने बूढ़े माता पिता और दो छोटी बहनों और एक छोटे भाई के साथ रहती थी।

    माधुरी १२वीं पास करके आगे की पढ़ाई के बारे में सोच रही थी परन्तु उसके पिता के तीन बीघा खेतों से इतनी कमाई नहीं होती थी के वो उसको आगे पढ़ा सकते।

    आगे की पढ़ायी के लिए उसको रत्नागिरी में जाकर पढ़ना था।

    उसके पिता उसकी फीस और अन्य खर्चों की व्यवस्था कर ही रहे थे के एक दिन उसके पिता बेहोश हो कर गिर पड़े। उनको तुरंत ही शहर के अस्पताल ले जाया गया। जो पैसे माधुरी को उसके पिता ने शहर में कॉलेज की फीस के लिए दिए थे वो पिता को अस्पताल में दाखिल कराने में ही खर्च हो गए।

    पिता की हालत बहुत गंभीर थी। डॉक्टरों ने बताया के उसके पिता के फेफड़ों में समस्या थी और उनके ऑपरेशन के लिए कम से कम तीन लाख रुपयो की जरूरत थी। माधुरी की अनपढ़ माँ तो कुछ जानती समझती ही नहीं थी।

    पिता को अस्पताल में दाखिल करवाकर वो गाँव आ गयी ताकि पैसे इकट्ठे कर सके, स्वाभाविक ही था गाँव के लोगों से उधार लेकर, लेकिन गाँव के एक जमींदार ने उसको सिर्फ बीस हज़ार ही दिए।

    उस गाँव के आढ़ती के बेटे के कुछ दोस्त उन दिनों गाँव आये हुए थे। जैसे ही उधार मांगने की उम्मीद से माधुरी आढ़ती के घर पहुँची आढ़ती का जवान बेटा अपने दो दोस्तों के साथ बैठ कर खा पी रहा था।

    माधुरी की व्यथा कथा सुनकर वो सोचने लगा। उसने अपने दोस्त मोहनराज की तरफ देखा। तीनो ही शहर में साथ साथ काम करते थे। कुछ देर के बाद मोहनराज और आढ़ती का बेटा दूसरे कमरे में चले गए।

    पैसे तो तुमको मिल जाएंगे, माधुरी लेकिन एक शर्त पर, आढ़ती के बेटे ने कहा।

    जी कहिये? मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ, बेचारी क्या कर सकती थी।

    तुमको पिता के ठीक होते ही मेरे दोस्त मोहनराज से शादी करके मुंबई जाना होगा। हम तुम्हारे परिवार को तीन लाख के आलावा भी एक लाख और देंगे। ठीक है?

    माधुरी के तो होश ही उड़ गए लेकिन पिता के लिए उसने बात मान ली। एक हफ्ते के बाद उसकी और मोहनराज की शादी हो गयी। बेचारा बाप चुपचाप सब देखता ही रह गया।

    आईने में खुद को देखकर माधुरी सोच रही थी के उसके दुःख के दिन बीत गए थे क्योंकि उसके पति ने पिछले दिन उसको मुंबई में खूब घुमाया फिराया था और अच्छी अच्छी जगहों पर खाना खिलाया था। बहुत से कपडे भी खरीद कर दिए थे।

    जैसे ही वो बाथरूम से बाहर आई उसने देखा के उसके पति उठकर बैठ गए थे और उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे।माधुरी, आज मैं हमारे लिए नया घर देखने जाउंगा। मुझे रात को आने में शायाद देर हो जाएगी। तुम यहीं रहना होटल में अगर कुछ चाहिए हो तो घंटी बजा कर मंगवा लेना। टेलीविज़न देखना और मजे से खाना पीना।

    बेचारी माधुरी उस शहर में अकेली उस होटल के कमरे में छोड़ दी गयी थी। वो बेचारी नहीं जानती थी के उसके पति मोहनराज ने उसको दुबई के तीन शेखों को एक महीने के लिए दस लाख में बेच दिया था और अब शाम को मोहनराज नहीं वो तीनो शेख ही उसके कमरे में आने वाले थे। । एक और मजबूर औरत इंसान से सामान बन गयी थी।

    Chapter 3

    दीदी का प्रेमी

    वो अपनी बहन की सबसे प्यारी सहेली रीमा से बहुत ही आकर्षित था। वो उसको दिल से ही पसंद करता था।

    जब कभी भी उसकी बहन की सहेली रीमा उसकी बहन के साथ बैठी होती थी वो किसी ना किसी बहाने से उसके पास आता जाता रहता था और चक्कर लगाता रहता था।

    वो एक क्षण के लिए भी रीमा को अपनी आँखों से दूर नहीं होने देना चाहता था!

    उधर उसकी बहन की सहेली रीमा को भी मालुम हो चुका था के वो उसको चोर नजरों से देखता रहता था। लेकिन उसको नजर उठाकर देखने में शर्म आती थी और वो आंखें नीचे किये बैठी रहती थी।

    वो हमेशा ही रीमा के आने का इंतजार करता रहता था पर कई दिन बीत गए थे रीमा उसकी बहन से मिलने नहीं आयी थी।

    वो अपनी बहन से पूछना चाहता था के रीमा क्यों नहीं आ रही थी पर क्योंकि वो उसकी बड़ी बहन थी इसलिए उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी!

    वो पिछले कुछ दिनों से बैचैन था और उसको ये भी भय था के कहीं रीमा उसकी छुप छुप कर देखने वाली हरकत के बारे में उसकी बड़ी बहन को बता ही ना दे!

    रीमा तो नहीं आ रही थी लेकिन उसकी बड़ी

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