बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या)
By सुनयना कुमार
()
About this ebook
बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या)
कॉपीराइट
तालिका
दो शब्द
भयानक अतीत
माँ के बाद
नाश्ते के दौरान
मुलाक़ात
तलाश
बाप से आमना सामना
भानु प्रताप की हत्या
पुलिस को सूचना
और पूछताछ
मंदाकिनी के जाने के बाद
सुबूत
थोड़ा और करीब
खुलासा
ये एक ऐसी रोमांचक और रहस्य से भरी हुई कहानी है जो अंत तक आपको बैठाये रखेगी और अंत तक पढ़ने को मजबूर कर देगी!
ज्यों ज्यों घटनाएं आपके सामने आती जाएंगी आप और भी उलझते जाएंगे और दिमाग पर जोर देना शुरू कर देंगे, लेकिन अंत में जो खुलासा होगा उसके बारे में आपने कल्पना भी नहीं की होगी! तो बस अब तैयार हो जाइये इस जासूसी उपन्यास में घुसने के लिए...
शुभकामना
सुनयना कुमार
Read more from सुनयना कुमार
कठिन डगर प्रेम की Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमन की बातें (लघु उपन्यास) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsवो एक रात Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsउस लड़की का कुबूलनामा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअनिश्चितता Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsयूँ हुई शादी (प्रेम और सम्बन्ध) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअलविदा (प्रेम और परिवार) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसिसकते चश्मे (लघु उपन्यास) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्यार भूला नहीं (यादें) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsखिड़की से (रहस्य) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबराबर प्यार करना Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related to बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या)
Related ebooks
खिड़की से (रहस्य) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsयूँ हुई शादी (प्रेम और सम्बन्ध) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsछोटे छोटे डर (भूतिया कहानियाँ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसमय के साथ भटकना Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsऐ गौथिक क्रिसमस ऐन्जल (हिन्दी भाषा - Hindi Language Edition) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअंतिम अस्वीकृति (प्रेम और रोमांस) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमेरी पाँच कहानियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलघु कथाएँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratings३० लाल वस्त्र रचयिता: योहैन ट्विस Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsविनाशिका Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAparimeet Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPath Ke Davedar (Hindi) Rating: 5 out of 5 stars5/5शोषित पराजित...पीड़िता से विजेता Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकहानियाँ सबके लिए (भाग 4) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsवो आ रहा था: डरावनी कहानियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्रेम के अधलिखे अध्याय (एक उत्कृष्ट उपन्यास) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअसमंजित अतृप्ता Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAgyatvas Ka Humsafar (अज्ञातवास का हमसफ़र) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 39) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsदूसरी औरत Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsManovratti Aur Lanchan (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsBhayanak mahal: भयानक महल Rating: 5 out of 5 stars5/5आखिर बिक गयी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsCoffee Shop (Chuski Mohhabbat Ki..) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsDo Mahine Chaubis Din Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsNirmala (Hindi) Rating: 3 out of 5 stars3/5Gira Hua Aadmi Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsरहस्य और रोमांच Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsपीली साड़ी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsएक मोहक चुम्बन: चिरस्थायी विरासत Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या)
0 ratings0 reviews
Book preview
बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या) - सुनयना कुमार
दो शब्द
ये एक ऐसी रोमांचक और रहस्य से भरी हुई कहानी है जो अंत तक आपको बैठाये रखेगी और अंत तक पढ़ने को मजबूर कर देगी!
ज्यों ज्यों घटनाएं आपके सामने आती जाएंगी आप और भी उलझते जाएंगे और दिमाग पर जोर देना शुरू कर देंगे, लेकिन अंत में जो खुलासा होगा उसके बारे में आपने कल्पना भी नहीं की होगी! तो बस अब तैयार हो जाइये इस जासूसी उपन्यास में घुसने के लिए...
शुभकामना
सुनयना कुमार
Chapter 2
भयानक अतीत
बारिश हो रही थी। एक छोटी सी लड़की रात के कड़े आलिंगन में बंधी, बगीचे में पूरी तरह से स्थिर खड़ी, बारिश को अपनी त्वचा पर प्रहार करने दे रही थी।
बरसात को बहुत अधिक पसंद करने वाली होने के नाते, वह हमेशा के लिए बारिश में नृत्य करना चाहती थी। लेकिन, वह बस खड़ी रही, बूंदों को उसके पूरे शरीर को भिगाने देती रही, बस अपने आँसुओं को भारी बारिश के साथ मिलाने के लिए खड़ी थी।
अचानक घर से निकली दुनिया की तमाम वेदनाओं के साथ एक जोर की चीख-पुकार मच गई। छोटी बच्ची घर के अंदर भागी।
सपनों की क्रूरता से कोई कैसे बच सकता है? या बुरे सपने से? या सपनों के अंदर के सपने से? जब भी वह झपकी लेने के लिए अपनी आँखें बंद करती थी तो वो दृश्य हमेशा ही उसके सामने आ जाता था उसके दिल को चीरने और उसको यातना देने के लिए।
सपने जो उसे भयानक अतीत में ले जाते थे, जिन यादों को गहराइयों में दबा दिया गया था, हमेशा वो यादें सपनो में उसका पीछा करती थी। कोई अपनी ही छाया से कैसे बच सकता है?
एक शैतानी चेहरा उसपर हंस रहा होता था और उसकी माँ के बालों को खींचकर पास की दीवार पर उसके सर को पटक देता था और फिर माँ को बार बार थप्पड़ और लात घूंसे मारता था; बुरी तरह से आतंकित मन्दाकिनी माँ की कमर के इर्द गिर्द बाहें डालकर उससे चिपटी रहती थी।
उसकी माँ मंदाकिनी को जानवर की पिटाई से बचाने की कोशिश करती रहती थी।
उसको दिखा था के कैसे अचानक उसकी मां ने रोना बंद कर दिया था। उसकी निगाहें छत पर टिकी थीं। शैतान ने थूक दिया था, बकवास!
और माँ को उसने फिर से लात मारी थी और एक जंगली की तरह चला गया था।
Chapter 3
माँ के बाद
सुबह के सूरज ने खिड़की से झाँका तो मंदाकिनी ने अपनी आँखें खोलीं। उसने सपने के बारे में, अपने जीवन के बारे में सोचा।
मंदाकनी ने अपने राक्षस पिता भानु प्रताप से पहली लात तब खाई थी, जब वह अपनी माँ के गर्भ में थी। हालाँकि, उसकी माँ के मजबूत गर्भाशय ने उसे उस राक्षसी हिंसा से बचा लिया था, लेकिन माँ पेट के अंदर के एक घाव के साथ अस्पताल पहुँच गयी थी।
वहां, मंदाकिनी का समय से पहले ही जन्म हो गया था और उसे पंद्रह दिनों तक इनक्यूबेटर में रखा गया था। उसका शैतानी पिता, अपने शैतानी दिमाग से, न