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बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या)
बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या)
बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या)
Ebook84 pages35 minutes

बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या)

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बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या)
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तालिका
दो शब्द
भयानक अतीत
माँ के बाद
नाश्ते के दौरान
मुलाक़ात
तलाश
बाप से आमना सामना
भानु प्रताप की हत्या
पुलिस को सूचना
और पूछताछ
मंदाकिनी के जाने के बाद
सुबूत
थोड़ा और करीब
खुलासा

ये एक ऐसी रोमांचक और रहस्य से भरी हुई कहानी है जो अंत तक आपको बैठाये रखेगी और अंत तक पढ़ने को मजबूर कर देगी!

ज्यों ज्यों घटनाएं आपके सामने आती जाएंगी आप और भी उलझते जाएंगे और दिमाग पर जोर देना शुरू कर देंगे, लेकिन अंत में जो खुलासा होगा उसके बारे में आपने कल्पना भी नहीं की होगी! तो बस अब तैयार हो जाइये इस जासूसी उपन्यास में घुसने के लिए...

शुभकामना

सुनयना कुमार

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateOct 10, 2022
ISBN9781005827816
बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या)

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    बदले की खुशबू (रहस्यमयी हत्या) - सुनयना कुमार

    दो शब्द

    ये एक ऐसी रोमांचक और रहस्य से भरी हुई कहानी है जो अंत तक आपको बैठाये रखेगी और अंत तक पढ़ने को मजबूर कर देगी!

    ज्यों ज्यों घटनाएं आपके सामने आती जाएंगी आप और भी उलझते जाएंगे और दिमाग पर जोर देना शुरू कर देंगे, लेकिन अंत में जो खुलासा होगा उसके बारे में आपने कल्पना भी नहीं की होगी! तो बस अब तैयार हो जाइये इस जासूसी उपन्यास में घुसने के लिए...

    शुभकामना

    सुनयना कुमार

    Chapter 2

    भयानक अतीत

    बारिश हो रही थी। एक छोटी सी लड़की रात के कड़े आलिंगन में बंधी, बगीचे में पूरी तरह से स्थिर खड़ी, बारिश को अपनी त्वचा पर प्रहार करने दे रही थी।

    बरसात को बहुत अधिक पसंद करने वाली होने के नाते, वह हमेशा के लिए बारिश में नृत्य करना चाहती थी। लेकिन, वह बस खड़ी रही, बूंदों को उसके पूरे शरीर को भिगाने देती रही, बस अपने आँसुओं को भारी बारिश के साथ मिलाने के लिए खड़ी थी।

    अचानक घर से निकली दुनिया की तमाम वेदनाओं के साथ एक जोर की चीख-पुकार मच गई। छोटी बच्ची घर के अंदर भागी।

    सपनों की क्रूरता से कोई कैसे बच सकता है? या बुरे सपने से? या सपनों के अंदर के सपने से? जब भी वह झपकी लेने के लिए अपनी आँखें बंद करती थी तो वो दृश्य हमेशा ही उसके सामने आ जाता था उसके दिल को चीरने और उसको यातना देने के लिए।

    सपने जो उसे भयानक अतीत में ले जाते थे, जिन यादों को गहराइयों में दबा दिया गया था, हमेशा वो यादें सपनो में उसका पीछा करती थी। कोई अपनी ही छाया से कैसे बच सकता है?

    एक शैतानी चेहरा उसपर हंस रहा होता था और उसकी माँ के बालों को खींचकर पास की दीवार पर उसके सर को पटक देता था और फिर माँ को बार बार थप्पड़ और लात घूंसे मारता था; बुरी तरह से आतंकित मन्दाकिनी माँ की कमर के इर्द गिर्द बाहें डालकर उससे चिपटी रहती थी।

    उसकी माँ मंदाकिनी को जानवर की पिटाई से बचाने की कोशिश करती रहती थी।

    उसको दिखा था के कैसे अचानक उसकी मां ने रोना बंद कर दिया था। उसकी निगाहें छत पर टिकी थीं। शैतान ने थूक दिया था, बकवास! और माँ को उसने फिर से लात मारी थी और एक जंगली की तरह चला गया था।

    Chapter 3

    माँ के बाद

    सुबह के सूरज ने खिड़की से झाँका तो मंदाकिनी ने अपनी आँखें खोलीं। उसने सपने के बारे में, अपने जीवन के बारे में सोचा।

    मंदाकनी ने अपने राक्षस पिता भानु प्रताप से पहली लात तब खाई थी, जब वह अपनी माँ के गर्भ में थी। हालाँकि, उसकी माँ के मजबूत गर्भाशय ने उसे उस राक्षसी हिंसा से बचा लिया था, लेकिन माँ पेट के अंदर के एक घाव के साथ अस्पताल पहुँच गयी थी।

    वहां, मंदाकिनी का समय से पहले ही जन्म हो गया था और उसे पंद्रह दिनों तक इनक्यूबेटर में रखा गया था। उसका शैतानी पिता, अपने शैतानी दिमाग से, न

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