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प्रेम के अधलिखे अध्याय (एक उत्कृष्ट उपन्यास)
प्रेम के अधलिखे अध्याय (एक उत्कृष्ट उपन्यास)
प्रेम के अधलिखे अध्याय (एक उत्कृष्ट उपन्यास)
Ebook61 pages28 minutes

प्रेम के अधलिखे अध्याय (एक उत्कृष्ट उपन्यास)

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About this ebook

आइये आज आप इस उपन्यास के माध्यम से कुशल लेखक और साहित्यकार राजा शर्मा के साथ साहित्यिक यात्रा पर निकलें। यह उपन्यास सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है; यह अपने पात्रों के साथ एक गहरा संबंध बनाता है, आपको एक जवान लड़की के प्यार और बाप-बेटी के एक अटूट बंधन की कहानी में खींचता है।

एक बार जब आप शुरू करेंगे, तो यह पुस्तक एक अप्रतिरोध्य बवंडर बन जाएगी, जिसे दबाना असंभव होगा। इसकी कथा आपको मंत्रमुग्ध कर देगी, जिससे आप कहानी को अनिश्चित काल तक जारी रखने के लिए उत्सुक रहेंगे। लेकिन निश्चिंत रहें, इस उपन्यास की कहानी का अंत आपकी आत्मा पर एक चिरस्थायी छाप छोड़ देगा।

अब और इंतजार क्यों करें? राजा शर्मा के पात्रों की मनोरम दुनिया में डूब जाएँ और एक अविस्मरणीय साहसिक यात्रा पर निकल पड़ें!

........"मैं पहेलियों और विचारों का एक ऐसा भंवर हूँ जिसमें मैं हर दिन ही डूबती उबरती रहती हूँ लेकिन उस भंवर से बाहर नहीं आ पाती हूँ; मेरे विचार भटकते रहते हैं, ढहते रहते हैं समय से बर्बाद हुए घरों को, निराशा के परिदृश्य में घूमते हुए, विलाप से गूंजते हुए, और भूले हुए कोनों के एकांत में रुकते हुए, उन्हें सुधारने की बेताबी से तलाश करते हैं। मैं प्रत्येक टुकड़े को एक पहेली की तरह सावधानी से एक साथ रखती हूँ, लेकिन अपने प्रयासों के बावजूद, मैं सच में तो क्या कल्पना का ताज महल भी नहीं बना सकी। मैं शायद शाहज़हां के उन कारीगरों में से एक हूँ जिसके पास कला और कौशल की कोई कमी नहीं है लेकिन ना जाने क्यों मेरी कला आज तक यथार्थ में परिणित नहीं हुई है; शायद मुझमें कुछ तो कमी है जिसके कारण मुझे अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं हो रहा है..."

मैं इन शब्दों को पढ़कर स्तब्ध हो गयी और बहुत ही गहरी सोच में डूब गयी। ये शब्द मेरे नहीं थे; ये मनोरमा के द्वारा लिखे गए थे और मैंने पहले कभी नहीं पढ़े थे। मैं उसकी डायरी के पन्नों को जल्दी जल्दी पढ़ने की कोशिश करने लगी।

मैं हैरान थी के मनोरमा अपने अंदर इतना तूफ़ान लिए हुई थी और उस तूफ़ान को अपनी डायरी में शब्दों के रूप में सजा रही थी। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था के मनोरमा जैसी लड़की इतना सुन्दर गद्य कैसे लिख सकती थी.............

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateOct 29, 2023
ISBN9798215531754
प्रेम के अधलिखे अध्याय (एक उत्कृष्ट उपन्यास)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    प्रेम के अधलिखे अध्याय (एक उत्कृष्ट उपन्यास) - Raja Sharma

    अध्याय 1

    मैं पहेलियों और विचारों का एक ऐसा भंवर हूँ जिसमें मैं हर दिन ही डूबती उबरती रहती हूँ लेकिन उस भंवर से बाहर नहीं आ पाती हूँ; मेरे विचार भटकते रहते हैं, ढहते रहते हैं समय से बर्बाद हुए घरों को, निराशा के परिदृश्य में घूमते हुए, विलाप से गूंजते हुए, और भूले हुए कोनों के एकांत में रुकते हुए, उन्हें सुधारने की बेताबी से तलाश करते हैं। मैं प्रत्येक टुकड़े को एक पहेली की तरह सावधानी से एक साथ रखती हूँ, लेकिन अपने प्रयासों के बावजूद, मैं सच में तो क्या कल्पना का ताज महल भी नहीं बना सकी। मैं शायद शाहज़हां के उन कारीगरों में से एक हूँ जिसके पास कला और कौशल की कोई कमी नहीं है लेकिन ना जाने क्यों मेरी कला आज तक यथार्थ में परिणित नहीं हुई है; शायद मुझमें कुछ तो कमी है जिसके कारण मुझे अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं हो रहा है…

    मैं इन शब्दों को पढ़कर स्तब्ध हो गयी और बहुत ही गहरी सोच में डूब गयी। ये शब्द मेरे नहीं थे; ये मनोरमा के द्वारा लिखे गए थे और मैंने पहले कभी नहीं पढ़े थे। मैं उसकी डायरी के पन्नों को जल्दी जल्दी पढ़ने की कोशिश करने लगी।

    मैं हैरान थी के मनोरमा अपने अंदर इतना तूफ़ान लिए हुई थी और उस तूफ़ान को अपनी डायरी में शब्दों के रूप में सजा रही थी। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था के मनोरमा जैसी लड़की इतना सुन्दर गद्य कैसे लिख सकती थी!

    जैसे जैसे मैं उसकी डायरी में लिखे शब्दों को पढ़ती गयी मेरे मन में उसके लिए प्रशंसा बढ़ती चली गयी। मैं समझ ही नहीं पा रही थी के इतनी सी लड़की शब्दों का इतना सुन्दर तानाबाना कैसे बुन सकती थी!

    तभी मनोरमा ने डायरी मेरे हाथ से ले ली और खुद पढ़कर मुझे उसकी कुछ और रचनायें सुनाने लगी। मैं दीवानी सी बस सुनती ही रह गयी।

    जब उसने ये पंक्ति पढ़ी तो मैं ताली बजाये बिना नहीं रह सकी! उसने लिखा था,हम डूबने की कगार पर थे, लेकिन फिर भी किसी महासागर में हमें पूरी तरह से डुबाने के लिए अधिक गहराई नहीं बची थी!

    ऐसी सुन्दर पंक्ति तो मैंने महान लेखकों की किताबों में भी नहीं पढ़ी थी। मैं खुद को रोक नहीं सकी और पूछ ही बैठी,तुम इतनी सुन्दर पंक्तियाँ कैसे लिख लेती हो?

    उसने जवाब नहीं दिया और हलके से अपनी डायरी

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