सुराग (रोमांच, रहस्य)
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About this ebook
प्यार, सम्बन्ध विच्छेद, शादी, और एक अपराध की ऐसी कहानी है जिसको आप तब तक नहीं समझ पाएंगे जब तक आप इस कहानी की अंतिम पंक्ति को नहीं पढ़ लेंगे क्योंकि पूरी कहानी का रहस्य अंतिम पंक्ति में ही खुलता है!
प्यार और धोखे की ये एक बहुत ही खूबसूरत कहानी है जिसमें एक अद्भुत प्रेम त्रिकोण होते हुए भी इसको प्रेम कहानी नहीं कहा जा सकता है; आपको इस कहानी को समझने के लिए इसको पूरा पढ़ना ही होगा!
अध्याय एक
अध्याय दो
अध्याय तीन
अध्याय चार
अध्याय पांच
अध्याय छे
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Book preview
सुराग (रोमांच, रहस्य) - प्रोफेसर राजकुमार शर्मा
अरविंद ने पूछा, 'अगर मैं यहां बैठूं तो क्या आपको बुरा लगेगा? 'मुझे इस पूरे कैफेटेरिया में एक खाली टेबल नहीं मिल रही है।'
'ज़रूर, बैठिये,' आरती ने मुस्कुराते हुए उससे कहा, 'मैं वैसे भी जाने वाली थी।'
अरविन्द ने देखा कि आरती की थाली में अभी भी दो चपातियाँ बाकी थी; और फिर उस लड़की की मुस्कान ने उसको कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया; वो जबरदस्ती मुस्कुराई थी; ऐसी ही मुस्कान अरविन्द का मैनेजर अपने चेहरे पर तब लाता था जब अरविन्द उससे तरक्की या सैलरी बढ़ाने की बात करता था; लेकिन अरविन्द को लगा के अब वो लड़की उन दो चपातियों को बिना खाये ही उठने लगी थी और वहां से जाने लगी थी।
वह उठने ही वाली थी कि अरविंद ने कहा, 'वास्तव में मुझे खेद है। मैं तो बस आपके साथ बैठकर बात करने का बहाना बना रहा था, लेकिन आप स्पष्ट रूप से मेरे साथ एक टेबल भी साझा नहीं करना चाहती हैं। कृपया अपना दोपहर का भोजन समाप्त करें,' अरविन्द ने काफी कठोर आवाज में कहा, 'मैं एक और टेबल ढूंढता हूं।'
अरविंद जिस दिन से इस कंपनी में आया था, उसी दिन से आरती से बात करने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन वे अलग-अलग टीमों में थे, वास्तव में अलग-अलग विभाग थे, उन्हें कभी मौका नहीं मिला; और उसने सोचा कि उसे उससे बात करने का बहाना ढूंढ़ना होगा, लेकिन पिछले दो महीनों से उसे कोई बहाना नहीं मिल रहा था।
उस दिन जब उसने उसे कैफेटेरिया में अकेली बैठी देखा, तो उसने सोचा कि यह उसके लिए उससे बात करने