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कहानियाँ सबके लिए (भाग 3)
कहानियाँ सबके लिए (भाग 3)
कहानियाँ सबके लिए (भाग 3)
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कहानियाँ सबके लिए (भाग 3)

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About this ebook

एक नयी सांस
चाल और हार
बस यही है
वर्षों की प्रताड़ना
होटल
फिर भी तुम ही
प्रेम कहानी की तरह
फूलों के सपने
प्यार होता जा रहा है
कहानी लम्बी है
सुखी
दास्तान
कमरे में अकेला
गुलाब
संकल्प पर विश्वास
मासूम
फूल किसने भेजे हैं
प्यार की भाषा
याद
मुस्कान
गिटार
वो लड़की
हवाएँ प्यार की
वर्षों से
उपन्यास

दो शब्द

ये कहानी वाला समूह के विभिन्न लेखकों के द्वारा लिखी गयी अनेकों विषयों पर बहुत ही रोचक कहानियाँ है। इस श्रंखला में आपको करीब तीस पुस्तकें मिलेंगी। ये सभी कहानियाँ आप अपने मोबाइल, कंप्यूटर, आई पैड या लैपटॉप पर सिर्फ कुछ पैसे चुकाकर ही पढ़ सकते हैं।

इस संग्रह को आप डाउनलोड करके सेव भी कर सकते हैं बाद में पढ़ने के लिए। हमें आपको सहयोग की जरूरत है इसलिए इन कहानियों को अपने मित्रों के साथ भी सांझा कीजिये!

धन्यवाद

कहानी वाला

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJan 7, 2023
ISBN9798215919569
कहानियाँ सबके लिए (भाग 3)

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    कहानियाँ सबके लिए (भाग 3) - कहानी वाला

    एक नयी सांस

    सोच में डूबी हुई पूर्वी बस स्टैंड पर बहुत देर से खड़ी थी और उसने उस रुट पर चलने वाली कई बसों को छोड़ दिया था।

    उसके अंदर से कोई चीज उसको कोस रही थी और उसको वैसा ना करने को कह रही थी जैसा वो करना चाहती थी।

    उसका दिल बार बार उसके तीन छोटे बच्चों की तरफ ही जा रहा था जो अभी दुनिया में जीना सीख रहे थे।

    वो जानती थी के उसका एक गलत कदम उसके बच्चों के जीवन में क्या उथल पुथल मचा सकता था और वो फिर उससे कितनी घृणा करेंगे और शायद वो जीवन में फिर कभी किसी पर विश्वास ही नहीं करेंगे।

    उसकी दूसरी चिंता उसके पति राजेश की प्रतिक्रिया थी जो कुछ दिनों से जैसे उसका नाजायज लाभ उठा रहा था और उसके अस्तित्व को जैसे भूल ही गया था।

    इसमें कोई संदेह नहीं था के वो अपने तीनो बच्चों के लिए एक बहुत अच्छा पिता था, लेकिन उसकी और पूर्वी की दूरी हर दिन बढ़ती ही गयी थी।

    कुछ दिनों में ही पूर्वी के लिए वो सबकुछ सहन करना मुश्किल हो गया था। राजेश अपने काम में ही डूबा रहता था और रात को भी घर बहुत देर से आता था और बहुत थका हुआ होता था।

    घर आकर भी वो पूर्वी को नजरअंदाज करने लगा था और उससे बात तक नहीं करता था। पूर्वी खुद को बहुत अकेली महसूस करने लगी थी।

    काम में वो अपने दफ्तर में बैठी ना जाने कितनी ही फाइलों के बोझ तले दबी रहती थी और अपनी बिखरती विवाहित जिंदगी के कारण लोगों से मिलती जुलती भी नहीं थी।

    और तभी उसके ही दफ्तर के दूसरे विभाग का एक आदमी वीर उसकी ज़िन्दगी में आ गया था।

    पहली बार वो किसी दफ्तरी काम से ही आया था और कुछ दफ्तरी बातों के बाद वो दोनों निजी बातें भी करने लगे थे।

    वो बोलने में बहुत तेज़ था और अपनी बुद्धि और अपनी बातों से लोगों को तुरंत ही अपनी तरफ आकर्षित कर लेता था।

    कुछ ही दिनों में पूर्वी और वीर के बीच भी दोस्ती हो गयी। दोनों को एक दूसरे के साथ बैठकर बातें करना अच्छा लगने लगा।

    शादी से पहले पूर्वी बहुत सुन्दर हुआ करती थी और हमेशा ही सजी रहती थी लेकिन कुछ समय से उसने खुद पर ध्यान देना ही छोड़ दिया था। उसका पूरा समय परिवार की देखभाल में ही गुजर जाता था।

    वो ३८ बरस की हो गयी थी और उसकी सुंदरता कुछ कुछ ढलने लगी थी। लेकिन वो तब भी बहुत आकर्षक थी।

    उसकी बड़ी बड़ी काली आंखें उसके सुन्दर चेहरे पर बहुत ही मनभावक लगती थी। व्यवहार से वो बहुत शर्मीली थी और यही उसकी असली सुंदरता थी।

    लेकिन उसकी चिंताओं के कारण उसने अपनी सुंदरता के बारे में सोचना ही छोड़ दिया था। ४५ बरस का वीर बहुत सुन्दर था लेकिन वो भी शादी शुदा था और उसके भी बच्चे थे लेकिन वो बहुत ही जवान दिखता था।

    जब लोग उसकी उम्र का अंदाज़ा लगाते थे तो उसको बहुत अच्छा लगता था। वो बहुत ही मिलनसार था।

    पूर्वी भी उसके हंसमुख स्वाभाव के कारण वीर को पसंद करने लगी थी। उससे मिलने के बाद पूर्वी की खोयी हुई हंसी धीरे धीरे वापिस आने लगी थी।

    धीरे धीरे वो दोनों और भी नजदीक आने लगे और अपने अपने निजी और पारिवारिक जीवन के बारे में भी एक दूसरे को खुलकर बताने लगे। उससे बातें करके पूर्वी कुछ समय के लिए अपने दुःख दर्द भूल जाती थी। वीर ने उसको जीवन में सकारात्मक सोचने के महत्त्व के बारे में बता दिया था। वो एक बार फिर से तरुणी सी महसूस करने लगी थी। उसको जीवन फिर से अच्छा लगने लगा था।

    वो जानती थी के वो शादीशुदा बच्चों वाली औरत थी लेकिन इसके बावजूद भी वो वीर से खुलकर मिलने लगी थी। उसको लगने लगा के एक युग के बाद कोई उसकी तरफ ध्यान दे रहा था और उसको खूब हंसाने लगा था।

    वीर ने उसको एक बार फिर से सुन्दर महसूस करने के लिए बाध्य कर दिया था और उसको जीना जैसे फिर से सिखा दिया था।

    शादी से पहले वो बहुत ही रोमांटिक स्वाभाव की हुआ करती थी और कहानियों और उपन्यासों के नायकों से भी प्रेम करने लगती थी।

    उसने कल्पना की थी के राजेश से उसकी शादी किसी परियों की कहानी जैसे ही होने वाली थी जहां प्यार और खुशियां ही खुशियां होंगी। लेकिन जिंदगी की सच्चाइयां बहुत कठोर साबित हुई।

    शादी के पंद्रह बरसों के बाद उससे सहन नहीं हुआ और वो कुछ और ही सोचने लगी। वो सपने देखने वाली औरत थी और उसका पति राजेश एक बिलकुल व्यवहारिक व्यक्ति था।

    दोनों के व्यक्तित्व बिलकुल फरक फरक थे। वो शायद महसूस करता था के वो बड़ी उम्र के हो गए थे और उनको गंभीर व्यवहार करना चाहिए था लेकिन वो तो और भी प्यार चाहती थी।

    वो उसकी बाहों में ही खोयी रहना चाहती थी और रह रहकर और प्यार की मांग करती थी। वो उसका समय चाहती थी लेकिन वो तो परिवार के स्तर को ऊपर उठाने के लिए सिर्फ पैसे कमाने में ही व्यस्त रहता था।

    वो कहता था के वो अपना कर्त्तव्य निभा रहा था। अपनी दौड़ में राजेश अपनी जीवनसाथी पूर्वी को तो जैसे भूल ही गया था या कम से कम पूर्वी को तो ऐसा ही लगता था।

    उसको उस दिन बस स्टैंड पर खड़े खड़े बहुत देर हो गयी थी लेकिन उसको समय का ज़रा भी आभास नहीं था। किसी अन्य दिन तो वो सबसे पहली बस पर ही किसी तरह चढ़ जाया करती थी और बच्चों के पास घर पहुँच जाती थी।

    तभी अचानक उसके बैग में रखा हुआ उसका मोबाइल फ़ोन बजने लगा। उसके घर से बहुत सी मिस कॉल आयी हुई थी। उसने घर फ़ोन करके कुछ बहाना बनाकर परिवार के लोगों को चिंता मुक्त कर दिया।

    उस रात को उसको नींद ही नहीं आयी। वीर ने उसके सामने शादी का प्रस्ताव जो रख दिया था वो उसके मुंह से शादी की बात सुनकर सन्न रह गयी थी। लेकिन वो उनके सम्बन्ध को और भी सुदृढ़ बनाना चाहता था। पूर्वी उससे प्रेम करती थी ये सत्य था लेकिन उसने उस सम्बन्ध के अंतिम परिणाम के बारे में कभी भी नहीं सोचा था।

    वो बहुत ही असमंजस में थी के क्या उसको राजेश के साथ अपनी बिखरी ज़िन्दगी जारी रखनी चाहिए या फिर प्यार में एक बार फिर से डूबकर वीर का प्रस्ताव स्वीकार कर लेना चाहिए!

    वो रात भर बिस्तर पर करवटें बदलती रही। सुबह जब वो उठी तो उसका सर दर्द हो रहता। राजेश पहले ही काम पर जा चुका था।

    वो उस दिन काम पर नहीं जाना चाहती थी और घर पर रहकर बस यही निर्णय लेना चाहती थी के उसके लिए क्या ठीक था और क्या गलत।

    तभी उसने दीवार पर लटकी अपने कॉलेज के दिन की एक फोटो देखी। उस फोटो में वो अपने दोस्तों के साथ थी और वो सभी बहुत सुन्दर दिख रहे थे जवानी के उन दिनों में! वो मुस्कुराने लगी तभी अचानक उसकी मुस्कराहट गायब हो गयी क्योंकि उसको लगा के अब किसी को भी उसकी चिंता नहीं थी। वो सिर्फ पति और बच्चों की देखभाल करने वाली एक मशीन सी ही बन गयी थी।

    वो सोचने लगी के उसको बदले में क्या मिला था! राजेश की उदासीनता! बच्चे अपनी पढ़ाई में ही लगे रहते थे और किसी के पास भी उसके लिए समय नहीं था।

    उसने गहरी सांस लेकर एक बार फिर से अपनी आंखें बंद कर ली। वो जानती थी के वीर भी अपनी पत्नी और परिवार से खुश नहीं था। लेकिन वो वीर के साथ बहुत खुश रहती थी। उसके अंदर से एक आवाज पूर्वी को कह रही थी के उसको प्यार को एक और मौक़ा देना चाहिए था।

    उसने अपने फ़ोन को खोल लिया और वीर के बहुत से मेसेज देखे। वो बार बार उसके निर्णय का अनुरोध कर रहा था। पूर्वी ने उसको उनके मिलने के स्थान पर मिलने के लिए मेसज भेज दिया। उन्होंने दोपहर के बाद मिलना निश्चित किया।

    उस दिन पूर्वी ने उसकी पसंद की गुलाबी साड़ी पहनी और अपने चेहरे और बालों पर भी विशेष ध्यान दिया। वो अपने प्रेमी के लिए बहुत ही खूबसूरत दिखना चाहती थी।

    उसने समाज को बिलकुल ही भुला दिया था और उसको अब किसी की कोई परवाह नहीं थी। वो अब खुद के लिए जीने के बारे में सोच रही थी।

    उस दोपहर को वो करीब दो बजे घर से निकलकर एक छोटे से कैफ़े में पहुँच गयी। वही पूर्वी और वीर के मिलने का गुप्त स्थान था। पिछले कुछ महीनो में वो अक्सर वहां ही मिलते रहे थे। वीर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। उसने फूलों का एक गुलदस्ता पूर्वी को दिया और मुस्कुरा दिया।

    एक क्षण को तो पूर्वी उन लाल गुलाब के फूलों की सुगंध में ही खो गयी। उसको सबकुछ अच्छा लगने लगा था। सब कुछ कितना रोमांटिक हो गया था उसके जीवन में एक बार फिर से!

    उन्होंने कॉफ़ी का आर्डर दिया। दोनों एक दूसरे की आँखों में डूबे हुए थे। पूरी शांति थी दोनों के बीच में।

    तभी वो मुस्कुराई और बोली, "मैं जानती हूँ के तुम मेरा जवाब सुनने के लिए कितने उत्सुक हो। जानते हो।

    आज सुबह मैंने तुमसे शादी करने का निर्णय कर लिया था। मैं उस जीवन से तंग आ गयी थी। तुमने मुझे खुद से प्रेम करना फिर से सिखा दिया है, वीर। लेकिन।"

    वो चिंता से उसको ही देखे चला जा रहा था। एक गहरी सांस लेकर वो फिर बोली, "लेकिन मेरे भाग्य में बच्चों की देखभाल करना भी लिखा है। मैं जब उदास होती हूँ और रोया करती हूँ तो मेरे बच्चे मेरे आंसू साफ़ कर देते हैं। वो मुझे फिर से हंसाने की कोशिश करते है। वो मेरे बिना अधूरे रह जाएंगे।

    तुमने मुझे फिर से जीना सिखाया है और उसके लिए मैं जीवन भर तुम्हारी आभारी रहूंगी। लेकिन मेरे बिना मेरा परिवार बिखर जाएगा।

    और फिर शायद मेरे बच्चे प्रेम पर कभी विश्वास ही नहीं करेंगे अगर मैंने उनको छोड़कर तुमसे शादी कर ली तो।

    मैं सिर्फ अपने स्वार्थ

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