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प्यार भूला नहीं (यादें)
प्यार भूला नहीं (यादें)
प्यार भूला नहीं (यादें)
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प्यार भूला नहीं (यादें)

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प्यार भूला नहीं (यादें)
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विषय सूची
दो शब्द
मुलाकात और दोस्ती
दोस्ती टूट गई
वो लड़की और आगे
कुछ दिनों बाद
दो वर्षो के बाद
फिर दिल्ली में

स्कूल से शुरू हुई दोस्ती की कहानी स्कूल में बिछड़ने के समय तक प्यार में नहीं बदली थी, लेकिन दूरियों ने बहुत फरक ला दिया था दोनों के ही जीवन में!

दोस्ती, प्यार, सम्बन्ध विच्छेद, और फिर आकस्मिक मुलाक़ात की ये कहानी लगता है के सुखद अंत तक पहुँच ही जाएगी लेकिन अंतिम पंक्ति तक जो आशा पाठक रखता है वो अचानक ही बिखर जाती है और कुछ और ही हो जाता है...तो पढ़िए ये सुन्दर प्रेम कहानी!

शुभकामना

सुनयना कुमार

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateOct 30, 2022
ISBN9781005838751
प्यार भूला नहीं (यादें)

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    प्यार भूला नहीं (यादें) - सुनयना कुमार

    दो शब्द

    स्कूल से शुरू हुई दोस्ती की कहानी स्कूल में बिछड़ने के समय तक प्यार में नहीं बदली थी, लेकिन दूरियों ने बहुत फरक ला दिया था दोनों के ही जीवन में!

    दोस्ती, प्यार, सम्बन्ध विच्छेद, और फिर आकस्मिक मुलाक़ात की ये कहानी लगता है के सुखद अंत तक पहुँच ही जाएगी लेकिन अंतिम पंक्ति तक जो आशा पाठक रखता है वो अचानक ही बिखर जाती है और कुछ और ही हो जाता है...तो पढ़िए ये सुन्दर प्रेम कहानी!

    शुभकामना

    सुनयना कुमार

    Chapter 2

    मुलाकात और दोस्ती

    हमारी कहानी का प्रारम्भ भी किसी सामान्य सी सीधी सादी परम्परागत कहानी की तरह ही होता है, और शायद आपको ऐसा लगे के और नहीं यार, फिर से वही प्रेम कहानी? जी नहीं रुकिए, रुकिए! प्रारंभ से कुछ नहीं होता है, आगे देखिये के क्या क्या होता है!

    कुछ वर्ष पहले की बात है; एक छोटे से शहर में एक स्कूल था जहां लड़के और लडकियां साथ साथ पढ़ते थे; स्कूल में एक लड़का और एक लड़की थे। लड़के का नाम साहिल और लड़की का नाम मनीषा था।

    साहिल बेहद मेहनती, अपने लक्ष्यों के प्रति ईमानदार लेकिन बहुत शर्मीला और शांत स्वभाव का व्यक्ति था और वो ज्यादा किसी से बात नहीं करा करता था; वो ज्यादातर खुद में ही खोया रहता था, लेकिन इसका मतलब ये नहीं के वो निराश या उदास था, जबकि वो लड़की मनीषा बहुत ही प्यारी, और बहुत ही प्यारे स्वाभाव की थी और सबसे खुलकर बातें किया करती थी।

    यूं भी कह सकते हैं के साहिल अंतर्मुखी था और मनीषा बाह्यमुखी थी। वो ज्यादा देर तक चुप या

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