सुनो! अजनबी!
By मोहिनी कुमार
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वो लड़की
मैथिली
उम्मीद
अगला कदम
वो चली गयी
तीन वर्ष बाद
आखिर
दो शब्द
प्यार तो उन दोनों को शायद कुछ ही दिनों की देखा देखी में हो गया था पर ना जाने कौन सी ऐसी चीज थी जिसने उनको पास आने से तो क्या एक दूसरे को बातचीत करने से भी कई महीनो तक दूर रखा था!
एक ही दफ्तर में, एक ही छत के नीचे, कुछ ही दूरी पर एक दूसरे को देखते हुए बैठे और काम करते हुए, दोनों ही चाहते थे के अपने मन के भावो को एक दूसरे के सामने व्यक्त कर दें, परन्तु शायद अहंकार बीच में आ जाता था, या फिर समाज और लोगों की देखती हुई आंखें जो उनको दूर ही रखती थी!
आखिर तीन वर्षो की दूरी के बाद अचानक एक ऐसा मोड़ आया जहां पर उनको भरपूर मौका मिला एक दूसरे को कुछ कहने का! लेकिन ये कहानी उस बीच के समय की है जब वो एक दूसरे से बहुत कुछ कह देना चाहते थे परन्तु कह नहीं पाए थे!
शुभकामना
मोहिनी कुमार
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सुनो! अजनबी! - मोहिनी कुमार
वो लड़की
आज लंच में क्या है भैया?
कबीर ने उत्सुकता से कैटरर (खाने की व्यवस्था करने वाला) से पूछा।
जो कुछ भी आप चाहते हैं, सर!
कैटरर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
कबीर की केटरर से बातचीत हो रही थी और अचानक उसे एक लड़की दिखाई दी।
भूरी आँखों वाली चुलबुली लड़की। उसके बाल मुलायम सोने के रंग के थे जो उसके कंधों के ऊपर से नीचे की तरफ लहरा रहे थे।
उसकी पतली कमर थी और उसका एकदम साफ़ रंग था; उसकी त्वचा जैसे संगमरमर की तरह चमक रही थी।
उसकी खूबसरत आँखों के ऊपर उसकी पतली कटीली भौवें उसकी सुंदरता को कुछ और भी बढ़ा रही थी।
उन मिश्री जैसे मीठे होंठों पर एक बहुत ही दिलकश मुस्कान थी, उसका बहुत ही सभ्य और शिष्ट व्यक्तित्व था; इन खूबसूरतियों ने कबीर को क्षण भर में ही मंत्रमुग्ध कर दिया।
सर, मीठे में क्या लेंगे? गुलाब जामुन या खीर?
कैटरर ने फिर पूछा।
भगवान! क्या ख़ूबसूरती है!
कबीर ने उस लड़की को देखकर आह भरी।
क्षमा करें, श्रीमान। आपने क्या कहा मैं समझा नहीं,
कैटरर ने भ्रमित होकर कहा।
कुछ नहीं, भैया। आज किसी भी मीठे की कोई जरूरत नहीं है,
कबीर ने कैटरर को उसके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान के साथ सूचित किया।
कैटरर एक पल के लिए कबीर को निहारता ही रह गया और फिर कतार में खड़े दूसरों लोगों की सेवा में लग गया।
कबीर के साथी टेबल पर उसका इंतजार कर रहे थे और वह उस लड़की की तलाश में लगा हुआ था। वह एक झटके में गायब हो गई थी।
उसने काफी देर तक उस लड़की को कैफेटेरिया में इधर उधर देखा पर वो कहीं नहीं दिखी। आखिर हारकर वो अपने साथियों के पास चला गया और उनके