अनपेक्षित (भय और रहस्य)
By मोहिनी कुमार
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अनपेक्षित (भय और रहस्य)
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इस लघु उपन्यास में आपको आज की एक ऐसी आधुनिक कहानी पढ़ने को मिलेगी जिसमें रहस्य, रोमांच, असमंजस, और मनोरंजन सबकुछ है।
कहानी की नायिका एक ऐसे जाल में फंस जाती है जिसमें से निकलने के लिए उसको कई हत्यायों का साक्षी होना पड़ता है लेकिन वो और भी गहराई में धंसती चली जाती है। कहानी अंतिम पेज तक आपको बाँध कर रखेगी क्योंकि हर पेज पर कुछ न कुछ अनपेक्षित होता है!
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शुभकामना
मोहिनी कुमार
फ़ोन कॉल
इसीलिए जब भी दुल्हन भव्य साज सज्जा के साथ अंदर आती ही, मुझे दूल्हा वो मूर्ख लगता है जो जानबूझकर कानूनी गुलामी स्वीकार करने को तैयार होता है, भले ही उस दिन वो दुनिया का सबसे खुश इंसान दिखता है!
तभी फ़ोन की घंटी की आवाज आती है. कौन है अब फ़ोन पर? जब भी मैं इस फिल्म को शुरू करती हूँ कोई ना कोई फ़ोन करके मेरा मूड खराब कर देता है!
कैरोलीन ने फिल्म को रोककर फ़ोन उठा लिया।
हेलो?
हाय! मैं, नार्मन बोल रहा हूँ।
अरे क्या चल रहा है, कहाँ हो तुम? कोई कॉल या मैसेज नहीं आया, क्या हुआ?
नॉर्मन: कैरोलीन, क्या तुम अभी व्यस्त हो?
कैरोलिन: नहीं, और बताओ तुम कैसे हो?
नॉर्मन: मैं ठीक हूँ, मुझे बस एक मदद चाहिए है।
कैरोलीन: क्या हुआ? मुझे बताओ?
नॉर्मन: मुझे एक सेल फोन नंबर चाहिए है।
कैरोलीन: किसका?
नॉर्मन: सैम।
कैरोलीन: कौन सा सैम?
नॉर्मन: माफ़ करना, तुम उसको नहीं जानती हो।
कैरोलीन: क्या? क्या तुम मेरे साथ मजाक कर रहे हो?
नॉर्मन: सुनो, मैं तुम्हें बताऊंगा कि वह नंबर कैसे मिलेगा। वह फेसबुक में है और मैं उसकी फेसबुक आईडी तुमको दूंगा, उसे अपना दोस्त बनाओ, उसके नजदीक जाओ और उसका फ़ोन नंबर प्राप्त करके मुझे दे दो।
कैरोलीन: सैम कौन है?
नॉर्मन: मैं तुमको सब कुछ बता दूंगा, पहले तुम वह नंबर प्राप्त करो।
कैरोलिन: नॉर्मन, मुझे यकीन नहीं है कि मैं यह कर सकती हूं।
नॉर्मन: चिंता मत करो; तुम कर सकती हो। इसलिए तो