विनाशिका
By मोहिनी कुमार
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कुछ शब्द
एक ऐसी लड़की की कहानी जिसके जन्म के साथ ही कुछ न कुछ उल्टा पुल्टा होना शुरू हो गया था! नहीं नहीं! घबराइए मत, कोई दुःख भरी या रुला देने वाली कहानी नहीं है, बल्कि हंसा हंसा कर लोटपोट कर देने वाला एक ऐसा वृतांत है जिसमें उस लड़की के जीवन की बहुत सी सच्ची घटनाओं का चित्रण है!
निष्चय ही ये कहानी आपको हंसने पर नहीं तो कम से कम मुस्कुराने के लिए तो जरूर ही मजबूर कर देगी और आप भी सोचने लगेंगे के क्या कोई इंसान सच में ही इस तरह का ‘विनाशक’ या ‘विनाशिका’ हो सकता है!
शुभकामना
मोहिनी कुमार
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विनाशिका - मोहिनी कुमार
वर्तमान
जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारकबाद, माँ!
मीरा खुशी से चीख पड़ी।
हाँ, मेरी तरफ से भी!
मनीष ने अपनी बहन के शब्दों को ही दोहरा दिया।
देखो माँ, ये ख़ास आपके लिए है,
मीरा ने तीन परतों वाले चॉकलेट केक की ओर इशारा किया, जिसे उसने अपने हाथों में नाजुक ढंग से पकड़ा हुआ था। यह एक महंगा, गहरे भूरे रंग का चॉकलेट केक था।
केक के बीचोबीच लगी एक मोमबत्ती से रंगीन नारंगी प्रकाश बिखर रहा था।
चमेली के फूलों का एक हल्का इत्र कमरे के चारों ओर तैर रहा था। शायद एक सुगंधित मोमबत्ती के कारण!
मैंने भी योगदान दिया, मेरा भी योगदान है इस केक में!
मनीष चिल्लाया।
मैं हंस दी। यह एक आदत थी जिसे मनीष नहीं छोड़ सकता था!
वह कभी भी अपनी बड़ी बहन को महिमा का ताज नहीं छीनने देता था!
हाँ, उन दोनों ने समान रूप से योगदान दिया,
उनके पिता ने भाई बहन के बीच एक संघर्ष विराम के लिए समझौता कराने की कोशिश की।
आह...बस बहुत दिव्य,
मैं टिप्पणी करने से खुद को रोक नहीं सकी। केक निश्चित रूप से सुंदर था।
बहुत ही लजीज बटर क्रीम से केक के ऊपर ४० लिखा गया था जो मुझे अपने जीवन के पिछले सभी वर्षों की याद दिला गया लेकिन मैंने अपने अंदर