स्वर्ग वहीं था
By मोहिनी कुमार
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पति पति के रिश्ते की ये एक बहुत ही खूबसूरत कहानी है जिसमें एक वो समय आता है जब पति पत्नी को बहुत हलके में लेना शुरू कर देता है और अन्य चीजों को कुछ ज्यादा ही महत्त्व देना शुरू कर देता है।
फिर एक दिन जीवन में वो मोड़ आता है जब ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है के पति को आभास होने लगता है के वो वास्तव में ही अपने उन वादो को भूलने लगा था जो उसने कभी अपनी प्रेमिका से किये थे, लेकिन उसकी प्रेमिका उसकी पत्नी बनने के बाद भी उतनी ही अडिग थी जितनी वो पहले थी! प्यार की ये बहुत ही सुन्दर और सरल कहानी है जो आपको गुदगुदाएगी, हंसाएगी, ग़मगीन कर देगी, और फिर बहुत राहत देगी।
शुभकामना
मोहिनी कुमार
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स्वर्ग वहीं था - मोहिनी कुमार
स्वर्ग वहीं था
मोहिनी कुमार
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कॉपीराइट@२०२२ मोहिनी कुमार
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तालिका
स्वर्ग वहीं था
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तालिका
दो शब्द
सुबह सुबह
पुरानी चिट्ठी
दुर्घटना
अस्पताल
प्रार्थना
चार दिन बाद
होश आने के बाद
दो शब्द
पति पति के रिश्ते की ये एक बहुत ही खूबसूरत कहानी है जिसमें एक वो समय आता है जब पति पत्नी को बहुत हलके में लेना शुरू कर देता है और अन्य चीजों को कुछ ज्यादा ही महत्त्व देना शुरू कर देता है।
फिर एक दिन जीवन में वो मोड़ आता है जब ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है के पति को आभास होने लगता है के वो वास्तव में ही अपने उन वादो को भूलने लगा था जो उसने कभी अपनी प्रेमिका से किये थे, लेकिन उसकी प्रेमिका उसकी पत्नी बनने के बाद भी उतनी ही अडिग थी जितनी वो पहले थी! प्यार की ये बहुत ही सुन्दर और सरल कहानी है जो आपको गुदगुदाएगी, हंसाएगीग़मगीन कर देगी, और फिर बहुत राहत देगी।
शुभकामना
मोहिनी कुमार
सुबह सुबह
आइए इस साल दिवाली पर क्रिसमस मनाएं। कैसा रहेगा?
उसने कहा और खाने की मेज पर पड़े अखबार को हाथ से थपथपा दिया।
राधिका, कृपया इस तरह नाटकीय मत बनो। सेब की तुलना आलू से मत करो,
मैंने कहा और भाप से भरी चाय की चुस्की ली।
"एक ही बात है, कबीर। जब आप कहते हैं कि हम किसी और दिन अपनी शादी की सालगिरह मनाएंगे, तो यह उतना ही अच्छा होता है जितना एक सेब की खीर में आलू