Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

कोशिश जारी रखो (प्रेम और रोमांस)
कोशिश जारी रखो (प्रेम और रोमांस)
कोशिश जारी रखो (प्रेम और रोमांस)
Ebook53 pages22 minutes

कोशिश जारी रखो (प्रेम और रोमांस)

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

कोशिश जारी रखो (प्रेम और रोमांस)
कॉपीराइट
तालिका
दो शब्द
अपना रूप
मारिया और मंजू
घर जाने के बाद
अगली सुबह
फ़ोन कॉल के बाद
तैयारी के साथ
पति की वापसी
कुछ दिनों के बाद
कुछ बाद मे
पति के साथ डेट

इसमें कोई संदेह नहीं है के शादी के पंद्रह वर्षो के बाद पति पत्नी के बीच प्रतक्ष्य या अप्रतक्ष्य तनाव जरूर आ जाता है और इसके कई कारण हो सकते हैं, पर कभी कभी दोनों के बीच एक ऐसे कारण से दूरी आने लगती है जिसके बारे में शायद दोनों में से किसी ने भी कभी सोचा नहीं होता है।

दोस्तों हमारी कहानी के पति पत्नी के बीच भी ऐसा ही कुछ होता है और दोनों के बीच दूरियां कुछ इस कदर बढ़ जाती हैं के पत्नी कुछ कुछ पथभ्रमित होती हुई सी लगने लगती है और ऐसा लगता है के अब शादी टूटने की कगार पर है, लेकिन फिर अचानक एक ऐसा मोड़ आता है के...

शुभकामना

मोहिनी कुमार

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateSep 21, 2022
ISBN9781005843069
कोशिश जारी रखो (प्रेम और रोमांस)

Read more from मोहिनी कुमार

Related to कोशिश जारी रखो (प्रेम और रोमांस)

Related ebooks

Reviews for कोशिश जारी रखो (प्रेम और रोमांस)

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    कोशिश जारी रखो (प्रेम और रोमांस) - मोहिनी कुमार

    दो शब्द

    इसमें कोई संदेह नहीं है के शादी के पंद्रह वर्षो के बाद पति पत्नी के बीच प्रतक्ष्य या अप्रतक्ष्य तनाव जरूर आ जाता है और इसके कई कारण हो सकते हैं, पर कभी कभी दोनों के बीच एक ऐसे कारण से दूरी आने लगती है जिसके बारे में शायद दोनों में से किसी ने भी कभी सोचा नहीं होता है।

    दोस्तों हमारी कहानी के पति पत्नी के बीच भी ऐसा ही कुछ होता है और दोनों के बीच दूरियां कुछ इस कदर बढ़ जाती हैं के पत्नी कुछ कुछ पथभ्रमित होती हुई सी लगने लगती है और ऐसा लगता है के अब शादी टूटने की कगार पर है, लेकिन फिर अचानक एक ऐसा मोड़ आता है के...

    शुभकामना

    मोहिनी कुमार

    Chapter 2

    अपना रूप

    मंजू ने, मन में निराशा की भावना के साथ, सोचा के ऐसा तो नहीं होना था।

    चालीस बरस की उम्र में एक औरत को किसी से इतना प्यार हो जाना कोई सामान्य बात तो नहीं थी; और वही तो हो रहा था; वो समझ नहीं पा रही थी के उसको क्या होता जा रहा था।

    मेरा भरा पूरा परिवार है; सब कुछ तो है मेरे जीवन में; मेरे पास किसी चीज की कमी नहीं है; मैं दो जवान बच्चों की माँ हूँ, और मैं अपने पति से प्यार करती हूं, फिर मेरी आंखें तरुण को क्यों ढूंढती रहती हैं? उसने बहुत ही उदास और दुखी मन से सोचा।

    जब वह उसी कैंटीन के दूर वाले हिस्से में बैठे तरुण को लंबे समय से देख रही थी, उसे ऐसा महसूस होने लगा जैसे उसके चेहरे पर शर्म की लाली छा रही थी।

    मंजू वास्तव में भ्रमित और स्पष्ट रूप से शर्मिंदा महसूस कर रही थी लेकिन उस मौके पर वह अपने उस अचानक उमड़ आये प्रेम को किसी भी तरह से दबाने में असफल हो रही थी; उसको समझ ही नहीं आ रहा है

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1