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पंखुड़ी गुलाब की (सुन्दर उपन्यास)
पंखुड़ी गुलाब की (सुन्दर उपन्यास)
पंखुड़ी गुलाब की (सुन्दर उपन्यास)
Ebook72 pages37 minutes

पंखुड़ी गुलाब की (सुन्दर उपन्यास)

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About this ebook

जहाँ उत्कृष्ट गद्य और साफ़ सुथरे लेखन की बात आती है वहाँ राजा शर्मा का नाम अपने आप ही चला आता है। उनके लिखे बहुत से उपन्यासों ने हज़ारों पाठकों के मन में अपनी जगह बना ली है और उनके पाठकों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ती जा रही है।

"पंखुड़ी गुलाब की (सुन्दर उपन्यास)" नाम की इस पुस्तक में राजा शर्मा आपको एक अलग ही दुनिया में ले जा रहे हैं। वो दुनिया है भारत से अमरीका गयी मोहिनी और अमेरिका में ही पलकर बड़े हुए सिद्धार्थ की। इस उपन्यास में बहुत ही सरल और सजीव ढंग से उनके जीवन के उतार चढ़ावों को प्रदर्शित किया गया है। कहानी के किसी ना किसी मोड़ पर आपको ऐसा लगने लगेगा जैसे के आप उन दोनों को पहले से ही जानते हैं और आप भी उनकी कहानी का एक हिस्सा हैं।

हम ये बात यकीन से कह सकते हैं के राजा शर्मा जी के इस उपन्यास की ये कहानी आपने आज तक पढ़ी हुई सभी कहानियों से फरक है और ये कहानी आपके दिलोदिमाग पर बहुत ही गहरा प्रभाव छोड़ेगी।

तो आइये अब देरी मत कीजिये और पढ़ना शुरू कर दीजिये। हम आपको विश्वास दिलाते हैं के एक बार जब आप पढ़ना शुरू करेंगे तो अंतिम पंक्ति तक किताब को बीच में बंद नहीं करेंगे।

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateNov 14, 2023
ISBN9798215394977
पंखुड़ी गुलाब की (सुन्दर उपन्यास)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    पंखुड़ी गुलाब की (सुन्दर उपन्यास) - Raja Sharma

    छोटा सा सुन्दर घर और उस घर में रहने वाले दो लोग, मोहिनी और सिद्धार्थ, एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे। जीवन का काफी बड़ा हिस्सा दोनों ने साथ साथ बिताया था और उनके जीवन को देखकर कोई भी यही कहता के वो बहुत खुश थे।

    पर उस रात को कमरे में काफी सन्नाटा था और ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे के वातावरण में बहुत तनाव था। सिद्धार्थ और मोहिनी दोनों बड़े से पलंग पर लेटे हुए थे और दोनों की नज़रें ऊपर छत को ही निहार रही थी। इसी स्थिति में काफी समय बीत गया था लेकिन दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई थी। दोनों अपनी अपनी सोच में बहुत ही गहराई से डूबे हुए थे।

    तभी अचानक ही मोहिनी की आँखों में उम्मीद की किरण के साथ साथ चमक भी दिखने लगी; उसने बिना सिद्धार्थ की तरफ देखे ही धीमे स्वर में बात शुरू की,सिद्धार्थ, मुझे लगता है के अब मुझे लगने लगा है के मेरे जीवन में एक बहुत बड़ा खालीपन आ गया है और अब ये खालीपन मेरे लिए सहन करना बहुत ही मुश्किल होने लगा है। मुझे अब ये यकीन होने लगा है के मुझे अब एक बच्चा चाहिए है! मैं माँ बनाना चाहती हूँ! क्या मैं ठीक सोच रही हूँ, सिद्धार्थ?

    सिद्धार्थ ने उसकी बात पूरी गंभीरता से सुन तो ली लेकिन फिर कुछ देर सोचने के बाद उसने बिना मोहिनी की तरफ देखे बोला,तुम मेरे फैसले को तो जानती ही हो, हो के नहीं? मैं अभी इस जिम्मेदारी को अपने कन्धों पर उठाने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं हूँ। नहीं, अभी तुम बच्चा पैदा नहीं कर सकती हो!

    Chapter 2

    मोहिनी और सिद्धार्थ की शादी को सात साल बीत गए थे लेकिन इस दौरान उन दोनों के बीच कभी भी किसी बात पर असहमति नहीं हुई थी। पर अब शायद एक बड़ी सी खाई तैयार हो चुकी थी और ये बात दोनों ही जान चुके थे।

    मोहिनी को खुद के लिए फैसले पर ही शंका होने लगी और उसको ये भी लगने लगा के क्या उसने सिद्धार्थ के साथ शादी करके ठीक किया था।

    मोहिनी ने अपने से पांच साल छोटे सिद्धार्थ से अपनी ख़ुशी से ही शादी की थी। लेकिन अब तक दोनों के बीच में कभी भी कोई मनमुटाव और कड़वाहट नहीं आयी थी और सब कुछ बहुत ही ठीक से चल रहा था।

    अपनी खुशियों को एक दूसरे के साथ सांझा करते हुए उनके जीवन के शादीशुदा सात साल कैसे बीत गए थे उनको पता ही नहीं चला था। लेकिन अब अचानक ही सिद्धार्थ के मुंह से ये सुनकर के वो अभी बाप बनने की जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं था, वो बहुत ही परेशान और क्रोधित हो गयी थी। उसको कुछ भी समझ नहीं आ रहा था के उसको अब आगे क्या प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए थी।

    मोहिनी अब पैतीस साल की हो गयी थी और फिर शादी के सात साल के अनुभव ने उसको बहुत कुछ समझा दिया था और वो जानती थी के उसने बच्चे की जो मांग की थी वो किसी भी तरह से गलत या तर्कसंगत नहीं थी। एक

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