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तुम्हारी कमी है, माँ (उपन्यास)
तुम्हारी कमी है, माँ (उपन्यास)
तुम्हारी कमी है, माँ (उपन्यास)
Ebook119 pages59 minutes

तुम्हारी कमी है, माँ (उपन्यास)

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About this ebook

कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो हमेशा के लिए पढ़ने वालों के दिल में अपनी जगह बना लेती हैं और जीवन में बहुत लम्बे समय तक बार बार याद आती हैं। ये एक ऐसा ही उपन्यास है जो आपके मन में अपना स्थान बना लेगा।

कहानी बहुत ही सहज और सरल है पर अगर इसके एक एक पक्ष को आप बहुत ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको ऐसे बहुत से पक्ष ऐसे भी दिखेंगे जो शायद शब्दों में बयान नहीं किये गए हैं। हमारी ये किताब निश्चय ही आपका मन मोह लेगी।।

शुभकामना

टी सिंह

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJul 4, 2022
ISBN9780463770764
तुम्हारी कमी है, माँ (उपन्यास)

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    तुम्हारी कमी है, माँ (उपन्यास) - टी सिंह

    टी सिंह

    www.smashwords.com

    Copyright

    Copyright@2022 टी सिंह

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    Table of Content

    तुम्हारी कमी है, माँ (उपन्यास)

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    Table of Content

    दो शब्द

    तुम्हारी कमी है, माँ

    1

    2

    3

    4

    5

    एक दुखद प्रेम

    दरवाजा खोलो (रहस्य और रोमांच)

    भाग 1

    भाग 2

    भाग 3

    भाग 4

    दो शब्द

    कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो हमेशा के लिए पढ़ने वालों के दिल में अपनी जगह बना लेती हैं और जीवन में बहुत लम्बे समय तक बार बार याद आती हैं। ये एक ऐसा ही उपन्यास है जो आपके मन में अपना स्थान बना लेगा।

    कहानी बहुत ही सहज और सरल है पर अगर इसके एक एक पक्ष को आप बहुत ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको ऐसे बहुत से पक्ष ऐसे भी दिखेंगे जो शायद शब्दों में बयान नहीं किये गए हैं। हमारी ये किताब निश्चय ही आपका मन मोह लेगी।।

    शुभकामना

    टी सिंह

    तुम्हारी कमी है, माँ

    1

    आकाश पर घने बादल छाए हुए थे। मौसम काफी सुहाना सा ही हो गया था क्योंकि गर्मी से कुछ रहत मिल गयी थी। कभी बूंदाबांदी होने लगी थी तो कभी रुक जाती थी और फिर अचानक ही तेज़ बारिश होने लगती थी।

    वो छुट्टी का दिन था इसलिए बरसात से कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि सभी घर के अंदर ही थे। माँ ने उस दिन खीर पूड़े बनाये थे सबके लिए। जब रसोई में सबकुछ तैयार हो गया तो वहीं से माँ ने आवाज लगाकर अपने पति और बेटे को आवाज लगाई के वो आकर खीर पूड़े खा लें।

    पापा ने बेटे ऋषि की तरफ देखकर हँसते हुए बहुत ही प्यार भरे लहजे में कहा,तेरी माँ को पकाने खाने के आलावा और कोई काम नहीं है! जब देखो ये पक गया है आओ खा लो!

    पति की आवाज पत्नी ने रसोई में सुन ली थी। उसने वहीं से कहा,अन्न में ही प्राण हैं! ज्ञानी कह गए हैं के 'जैसा अन्न होता है वैसा ही मन होता है।' और अगर खाना पीना ज़रूरी नहीं होता तो भगवान् हर इंसान के शरीर में पेट क्यों लगाते! भगवान् भी चाहते हैं के इंसान अच्छे से पेट भरें और भूख शांत करें!

    बाप बेटा रसोई के साथ वाले डाइनिंग रूम के मेज के साथ लगी कुर्सियों पर बैठ गए और माँ तुरंत ही खीर पूड़े ले आयी। दोनों ने अपनी अपनी प्लेटों में खीर और पूड़े रख लिए।

    तोड़कर पहला ग्रास खाने के बाद ऋषि ने मुस्कुरा कर पापा की तरफ देखकर कहा,पापा, मम्मी ने इतने चाव से इतने स्वादिष्ट खीर पूड़े बनाये हैं। प्लीज आलोचना तो मत कीजिये। खाइये खाइये, बहुत ही स्वादिष्ट हैं!

    माँ ने एक गरमा गरम पूड़ा पापा की प्लेट में रखते हुए माँ ने भी हँसते हुए कहा,इनको तो मेरी हर बात के विरुद्ध बोलना ही होता है। शायद मेरी आलोचना किये बिना इनका खाना हैं ही नहीं होता है।

    बेटा ऋषि, तेरी माँ सच में ही बहुत अच्छी है तेरा और मेरा दोनों का कितना ख़याल रखती है। घर को कितना अच्छा रखती है। हर चीज साफ़ सुथरी है। एक पैसा भी फजूल खर्च नहीं करती है। और तूने देखा नहीं जब गाँव से तेरी दादी आती हैं तो तेरी माँ दादी के साथ कितनी मीठी बन जाती है! पापा ने खाते खाते ऋषि की तरफ देखकर जैसे उसको कुछ समझाते हुए कहा।

    मैं सब समझती हूँ आपकी बातों को! पहले तो जो मन में आता है वो कह देते हो और फिर तुरंत ही सफाई कर देते हो। पगले मुंह कड़वा करवा देते हो और फिर तुरंत ही मुंह में मिठाई डाल देते हो! माँ ने हँसते हुए कहा। कुछ सोचकर माँ ने फिर कहा,हां याद आया। दफ्तर से आते समय अपने नाईट सूट के लिए कपडा खरीद कर लेते आइयेगा। मैं नाईट सूट सिल दूँगी।

    तुम मेरी चिंता छोड़ो, इस ऋषि की चिंता करो। मेरा क्या है जो दोगी वो ही पहन लूँगा। ऋषि की पोस्टिंग की चिट्ठी आने ही वाली है। और देख लो ऋषि कह रहा था के इम्तिहान अगली बार देगा क्योंकि इस बार तैयारी ठीक से नहीं हुई थी, पर फिर भी पास हो गया और फिर इंटरव्यू भी पास कर लिया। पी सी एस में पास होना कोई छोटी बात नहीं है। मैं जानता हूँ के मेरा बेटा लायक है, आखिर है किसका बेटा! पापा ने खीर के साथ पूड़े का एक टुकड़ा खाते हुए मजे ले ले कर कहा।

    जी ठीक कहा आपने! अगर बेटा अच्छा होता है तो लोग कहते हैं के बाप का बेटा है, पर अगर बेटा बुरा निकल आता है तो लोग कहते हैं के माँ के द्वारा बिगाड़ा हुआ बेटा है! माँ ने पापा की तरफ देखकर कहा। ऋषि उन दोनों को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था।

    माँ ने तभी दोनों की प्लेट में एक एक गर्म पूड़ा और रख दिया और उनकी कटोरियों में और खीर डाल दी। ऋषि ने हंसकर कहा,"चलिए अब आप दोनों अपना ये झगड़ा छोड़िये। मैं तो आप दोनों का ही बेटा हूँ! लोगों के कहने से

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