Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

एक बार ही होता है (रोमांटिक उपन्यास)
एक बार ही होता है (रोमांटिक उपन्यास)
एक बार ही होता है (रोमांटिक उपन्यास)
Ebook71 pages31 minutes

एक बार ही होता है (रोमांटिक उपन्यास)

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

"प्रेम कहानियों के समुद्र में, कुछ हर्षित, कुछ दुखद, और कुछ रहस्यमय कहानियों के बीच, प्रतिभाशाली लेखक टी. सिंह द्वारा लिखित यह एक उपन्यास सामने आया है। यह साहित्यिक उत्कृष्ट कृति आपको उथल-पुथल भरी प्रेम यात्रा पर ले जाएगी, जो आपको रुकने और विचार करने के लिए मजबूर करेगी। यह आपको आकर्षित करेगी एक ऐसे दायरे में जहां 'क्या होगा अगर' और 'क्या है' के बीच की रेखा जटिल भावनाओं की दृश्यावली में धुंधली हो जाती है।

जैसे ही आप इस उत्कृष्ट रचना के पन्ने पलटेंगे, आप स्वयं को भावनाओं के सागर में गहराई तक डूबता हुआ पाएंगे, एक ऐसा विसर्जन जो इतना गहरा होगा कि आप इसकी गहराई में बिताए गए हर पल को संजो कर रखेंगे। आपको अपने आप को इस कहानी के प्रवाह से दूर करना असंभव लगेगा।

टी. सिंह का सुरुचिपूर्ण गद्य, सरल और मनोरम दोनों, इस उपन्यास को उनकी साहित्यिक रचनाओं के बीच एक अलग दायरे में ले जाता है, जो आने वाले वर्षों के लिए आपकी आत्मा पर एक अमिट छाप छोड़ देगा।

हम आपको इन पन्नों के पात्रों को अपनाने, उनकी उभरती नियति के गवाह बनने और उनके गहन अनुभवों को साझा करने का दायित्व सौंपते हैं। टी. सिंह द्वारा रची गयी इस उपन्यास की दुनिया से मंत्रमुग्ध होने और हमेशा के लिए बदलने के लिए तैयार हो जाइए।"

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateNov 1, 2023
ISBN9798215965139
एक बार ही होता है (रोमांटिक उपन्यास)

Read more from टी सिंह

Related to एक बार ही होता है (रोमांटिक उपन्यास)

Related ebooks

Reviews for एक बार ही होता है (रोमांटिक उपन्यास)

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    एक बार ही होता है (रोमांटिक उपन्यास) - टी सिंह

    शुभम ने अपनी गाडी अपने दफ्तर की ऊँची इमारत के पीछे बनी पार्किंग में खड़ी की। उसके मोबाइल फ़ोन की घंटी बजने लगी। उसने गाड़ी को लॉक किया और फिर बाहर निकलकर फ़ोन सुनने लगा। फ़ोन रोहिणी का था। उसके दिल की धड़कन कुछ तेज़ हो गयी।

    हाय रोहिणी, कैसी हो? उसने जल्दी जल्दी बहुत ही उत्सुकता से पूछा।

    मैं ठीक हूँ, दूसरी तरफ से बहुत ही धीमा सा, थका हुआ सा स्वर आया।

    अरे क्या हुआ? तुम्हारी आवाज़ बहुत धीमी है। कोई गंभीर बात है क्या? रोहिणी के ठंडे उत्तर से शुभम चिंतित हो गया था।

    शुभम…शुभम… वह झिझकी, और फिर चुप हो गयी।

    मुझे बताओ रोहिणी, क्या बात है? क्या कुछ हुआ है? शुभम को अब चिंता होने लगी थी।

    शुभम, मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ! अब बात करना बहुत ही ज़रूरी हो गया है। रोहिणी ने फिर से धीमे स्वर में कहा।

    ठीक है, लेकिन मुझे बताओ तो सही के बात क्या है? और तुम इतनी घबराई सी क्यों लग रही हो? शुभम ने ऊँचे स्वर में कहा।

    नहीं। फ़ोन पर नहीं। मुझे तुमसे मिलना है, रोहिणी की फिर से धीमी आवाज आयी लेकिन इस बार उसकी आवाज़ में कुछ विश्वास था।

    क्या मैं तुम्हारे घर आ जाऊँ? उसने तुरंत ही पूछा।

    नहीं। नहीं, घर पर नहीं। क्या हम कल सुबह कहीं बाहर मिल सकते हैं? रोहिणी ने कहा।

    सुबह? कहने के साथ ही शुभम कुछ सोचने लगा।

    क्यों? कोई प्रॉब्लम है क्या? रोहिणी ने उसकी चुप्पी के बाद बोला।

    दरअसल, कल सुबह मेरी बहुत महत्वपूर्ण मीटिंग है। रुको, मैं अपने बॉस से पता करता हूँ, मैं बॉस से पूछकर तुमको बताता हूँ के कल सुबह मुझे बाहर जाने का समय मिल सकता है के नहीं। क्या हम सुबह की जगह किसी और समय नहीं मिल सकते हैं?

    नहीं। नहीं, यह ठीक है। कृपया अपनी मीटिंग मिस न करें। तो फिर हम कब मिल सकते हैं? रोहिणी ने कहा।

    मीटिंग दोपहर के भोजन तक समाप्त हो जाएगी। इसलिए हम दोपहर करीब 1 बजे मिल सकते हैं। शुभम ने उसको समझाते हुए कहा।

    ठीक है। मैं कैफेटेरिया में तुम्हारा इंतजार करूँगी, रोहिणी ने कहा।

    ठीक है। मुझे उम्मीद है…

    इससे पहले के शुभम आगे कुछ बोल पाता और अपनी बात पूरी करता, रोहिणी ने दूसरी तरफ से फ़ोन काट दिया। शुभम को बहुत ही हैरानी हुई लेकिन उसको इतना तो संशय हो गया था के रोहिणी अवश्य ही किसी बड़ी मुसीबत में थी और वो खुद निर्णय नहीं ले पा रही थी।

    वो घटना अब भी शुभम को एक बहुत ही भयानक सपने के जैसी लग रही थी। उस सड़क दुर्घटना का चित्र

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1