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गुड, एविल एंड सुपरनैचुरल Good, Evil and Supernatural (Ghost Storybook)
गुड, एविल एंड सुपरनैचुरल Good, Evil and Supernatural (Ghost Storybook)
गुड, एविल एंड सुपरनैचुरल Good, Evil and Supernatural (Ghost Storybook)
Ebook90 pages51 minutes

गुड, एविल एंड सुपरनैचुरल Good, Evil and Supernatural (Ghost Storybook)

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कहानियों के कुछ अंश...

मैंने मुख्य दरवाजे को हिलते हुए देखा। उसी क्षण गाय के घर में गाय को उछलते हुए देखा। मुख्य दरवाजे से स्टोर-रूम तक के सभी दरवाजे एक के बाद एक हिलते चले गए। अंत में स्टोर-रूम का दरवाजा जोर से हिला। हवा की एक लहर स्टोर-रूम में घुस गयी। गाय ने कुछ दिनों पहले ही एक बछड़े को जन्म दिया था। बछड़ा स्टोररूम में बंधा हुआ था। बछड़ा जो कि सोया हुआ था अचानक उठकर उछलने लगा। हम भाई–बहन डर गए। तभी मैंने अपनी गर्दन के चारो तरफ हवा को दबाव के साथ घूमते हुए महसूस किया। मैं डर गया कि क्या गुरू अखंडानंद मेरा गला दबाना चाहते हैं?
***
अचानक वह चिल्लाई, “मैं अपने ए.पी. को नहीं छोड़ सकती! ए.पी. सिर्फ मेरा है! ए.पी. मेरा है।” मैंने कहा, “यही उससे कहो!” उसने डरते हुए कहा, “नहीं! वह बहुत डरावनी है!” मैंने पूछा, “क्या उसके लंबे–लंबे दांत हैं? क्या उसका चेहरा भयावह है?” उसने कहा, “नहीं! वह खुबसूरत है। लेकिन मुझे उससे डर लग रहा है।” मैंने पूछा, “उम्र कितनी है उस औरत की?” उसने कहा, “25 साल की होगी। वह मुझे ए.पी. को छोड़ने के लिए कह रही है। ए.पी. को बुलाओ। मुझे अपने ए.पी. के पास जाना है।”
***
उसके चेहरे के भाव पूरी तरह अजनबी व खतरनाक थे। पता नहीं क्यों मेरी रीढ़ के निचले हिस्से में डर की सिहरन दौड़ने लगी। मैंने खुद को संभाला और उससे पूछा, “क्या हुआ? सु? (मैं उसे सु कहकर पुकारता था।)” वह कुछ इस तरह मुस्कुराई मानो मेरा मजाक उड़ा रही थी। फिर उसने दोस्ती भरे मगर कठोर भाव से कहा, “तुम उसे बचा नहीं पाओगे। मैं सुनीता को बूँद–बूँद कर मार दूँगी। कुछ नहीं कर पाओगे तुम।”
***
वह मंगलवार की रात थी। मैं ध्यान लगाकर पद्मासन की मुद्रा में बैठा था। तभी मुझे मेरे आस–पास से पायल की आवाज आने लगी, मानो पायल पहने हुए कोई लड़की या महिला आकर मेरे आस–पास चल रही हो। मैं बिना डरे ध्यान लगाए बैठा रहा। लेकिन कुछ समय पश्चात नूपुर की आवाज मेरे बहुत पास आ गयी, मानो वह मेरे आसन पर चढ़ गयी हो। मतलब वह मेरे बेहद करीब थी। मैं फिर भी उठा नहीं। तभी बंद कमरे में जाने कहाँ से और कैसे हवा का एक झौंका आकर मुझसे लिपटने लगा। हवा का स्पर्श बड़ा ही मस्ती भरा, बड़ा ही मनमोहक था। मैं उसे खुद से दूर करने में असफल रहा।
***
फिर से मुझे ऐसा लगा कि मैं जंगल में लेटा हुआ हूँ। तभी मैंने एक खूंखार भेड़िये को करीब दस फीट दूर से अपनी तरफ सधे हुए कदमों से बढ़ते हुए देखा। वह मेरे सिर की तरफ बढ़ रहा था। उसके चलने से नीचे गिरे हुए सूखे पत्तों से खड़खड़ाहट की आवाजें आ रही थीं। भेड़िया मेरे बाएं कान के पास आकर भयानक अंदाज में गुर्राया। डर की ठंडी लहर मेरे पूरे शरीर में दौड़ गयी। भेड़िया मेरे बाएं कान से मेरे शरीर में घुसने लगा।
***
कुछ मिनट के पश्चात मैंने अपनी छठी इंद्री से देखा कि आसमान से एक दिव्य रथ नीचे उतर रहा है। रथ नीचे उतरता हुआ हमारे मुहल्ले की गलियों की तरफ बढ़ रहा है। उस रथ में सफेद घोड़े लगे हुए हैं। रथ पर गुरू अखंडानंद सवार हैं। मैंने रथ को हमारे घर की तरफ आते हुए देखा।
***
उस रात अधजगी नींद, व अधजगे सपने में अचानक मैं खुद को बहुत हल्का महसूस करने लगा। एक अजनबी साँवली सी लड़की मेरे सपने में आई। मगर उसका मेरे पास होना अपनेपन से भरा हुआ था। उसने प्रेम से मेरा हाथ थामा और मुझे अपने साथ लेकर उड़ चली। वह मुझे लेकर एक पेड़ की ऊँची डाल पर पहुँच गयी। सपने में मुझे एहसास था कि वह एक भूत है। लेकिन मुझे जरा भी डर नहीं लग रहा था। बल्कि मैं भी उसके साथ बहुत अपनापन महसूस कर रहा था। उसने अपनी उपस्थिति से मुझपर ढेर सारा प्यार उडेला। जब सुबह मैं उठा तो काफी प्रसन्न व उड़ता हुआ सा महसूस कर रहा था।
***
तभी एक भयानक अनुभव ने मुझे हिला कर रख दिया। मैंने देखा कि मेरे आस–पास की सभी वस्तुएँ जैसे जल रही थीं। उन सबसे गर्म तरंगे निकल रही थीं जैसे तपते हुए लाल लोहे से निकलता है या बहुत ज्यादा गर्म हो जाने पर तवे से निकलने लगता है। चीजें धुँधली भी पड़ने लगीं थीं। हर एक चीज, इंसान, जानवर सबकुछ पिघलते हुए व धुआँ छोड़ते हुए दिख रहे थे।
***
नमस्कार! मैं अनुराग पांडेय हूं (1978 से)। मैं लेखक, कवि, गीतकार और कंप्यूटर प्रोग्रामर हूं। मेरी कविताएँ भारत के राष्ट्रीय समाचार पत्रों और पत्रिकाओं जैसे नवभारत टाइम्स, कादम्बिनी आदि में प्रकाशित हुई हैं। मैंने लेडी इंस्पेक्टर, शाका लाका बूम बूम, आदि विभिन्न टीवी शोज तथा इंडोनेशियाई टीवी के लिए (कहानी / संवाद / पटकथा) लेखन कार्य किया है। वर्तमान में मैं भारत के भुवनेश्वर शहर में रहता हूँ । ध्यान, योग, रहस्य, अलौकिक गतिविधियां, प्रेम, संबंध मेरे लिखने-पढ़ने के कुछ पसंदीदा विषय हैं।

Languageहिन्दी
PublisherAnurag Pandey
Release dateOct 18, 2020
ISBN9781005469238
गुड, एविल एंड सुपरनैचुरल Good, Evil and Supernatural (Ghost Storybook)
Author

Anurag Pandey

Anurag S Pandey is a writer, poet and computer programmer. His poems have been published in national newspapers and magazines of India like Navbharat Times, Kadambini etc. He has written Story/ Screenplay/ Dialogues for various TV Shows like Lady Inspector, Shaka Laka Boom Boom, Indonesian TV shows etc. At present he lives in Bhubaneswar, India. Meditation, yoga, mystery, paranormal & supernatural activities are some of his favorite topics to read and write.

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    गुड, एविल एंड सुपरनैचुरल Good, Evil and Supernatural (Ghost Storybook) - Anurag Pandey

    पत्नी और प्रेमिका भूत (Wife and beloved ghost)

    23 जून 2007 मेरे जीवन का सबसे भाग्यशाली दिन था। इस दिन सुनीता मेरी पत्नी बनी थी। यह एक अरेंज मैरिज था। 26 फरवरी, 2007 को हमारी सगाई होनेवाली थी। उसी दिन मैं अपनी माँ के साथ उसके घर पहुँचा। यह उससे मेरी पहली मुलाकात थी। लेकिन हम एक दूसरे के लिए अजनबी की तरह महसूस नहीं कर रहे थे। सगाई के बाद हम तीन दिनों तक उसके घर पर रहे। जब चौथे दिन हम लौट रहे थे, तो मेरे लिए अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना कठिन लग रहा था। उसकी पलकें भी बार–बार भीग रही थी। हम दो शरीर एक आत्मा की तरह महसूस कर रहे थे। हम ऐसा महसूस कर रहे थे जैसे हम एक-दूसरे के लिए बने हों, जैसे हम एक-दूसरे को कई जन्मों से जानते हों। 23 जून को मिलने का वादा कर मैं वहाँ से लौट आया।

    उसके बाद मुझे अप्रत्याशित वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा। मेरा सारा काम बंद हो गया और मुझे अपनी सेविंग्स से रोज का खर्चा निकालना पड़ रहा था। मुझे लगा कि मुझे अपनी शादी स्थगित करनी पड़ेगी। लेकिन मैं इसके लिए किसी भी तरह खुद को तैयार नहीं कर सका। शायद किस्मत ने हमारी शादी के लिए वही दिन चुना था। यही कारण था कि प्रतिकूल स्थिति में भी मैं शादी करने के लिए तैयार हो गया था। मैंने कुछ कर्ज का इंतजाम किया और खुद को कम बजट की शादी के लिए तैयार कर लिया। मैंने अपने, अपने परिवार और कुछ दोस्तों के लिए द्वितीय श्रेणी स्लीपर बर्थ का आरक्षण किया। ट्रेन से यह दो दिनों का सफर था। हमें 21 जून को उसके शहर के लिए रवाना होना था।

    लेकिन 19 जून की रात एक कुत्ते ने मुझे जबर्दस्ती काट लिया। मैं अपने एक रिश्तेदार से मिलने गया था। मैं मुख्य सड़क से एक संकरी गली में घुस गया। यह गली लगभग 200 मीटर लंबी थी। गली के आखिर पर मेरे रिश्तेदार का घर था। जैसे ही मैं गली में घुसा, एक आवारा कुत्ता मुझपर भूँकने लगा। मैं रूका और कुत्ते को देखा। ऐसा लगा जैसे कुत्ते की मानसिक स्थिति अस्थिर थी। वह अनिश्चय की स्थिति में दिख रहा था। जैसे ही मैं रूका, कुत्ता भी रूक गया और मुझपर भूँकता रहा। मैं अपने रास्ते पर बढ़ चला। कुत्ता भूँकता हुआ मेरा पीछा करने लगा। वह मुझसे लगभग 10 फीट का फासला बनाए हुए था। कुत्ते के व्यवहार को देखकर मैं निश्चिन्त हो गया था कि वह मुझे नहीं काटेगा। मैं अपने रिश्तेदार से मिला और गली से होता हुआ मुख्य सड़क की तरफ लौट पड़ा। फिर से वही कुत्ता मेरा पीछा करता हुआ मुझपर भूँकने लगा। अब भी वह मुझसे लगभग 10 फीट की दूरी बनाए हुए था। अब मैं पूरी तरह आश्वस्त था कि वह कुत्ता मुझे बिल्कुल भी नहीं काटेगा। लेकिन जैसे ही मैं मुख्य सड़क पर पहुँचा, कुत्ता अचानक जोर–जोर से भूँकने लगा। वह मुझसे अपनी दूरी भी कम करने लगा। मैंने रूककर कुत्ते को देखा। मुझे स्पष्ट महसूस हुआ कि वह कुत्ता असमंजस की स्थिति में था। कुत्ता कुछ कदम पीछे हटा फिर पुनः मेरी तरफ अग्रसर हुआ। मैंने झुककर एक पत्थर उठाया। कुत्ता कुछ कदम पीछे हट गया। मैं अपने रास्ते पर बढ़ चला। अचानक वह कुत्ता मुझपर तेजी से झपटा और मेरे पैर को अपने जबड़े से पकड़ने की कोशिश करने लगा। मुझे अच्छी तरह याद है कि वह कुत्ता इस वक्त भी असमंजस की स्थिति में था। कुत्ते ने मेरा पैर छोड़ दिया और पीछे हटकर भूँकने लगा। मैंने अपने पैर की खबर ली तो वहाँ दाँतों के तीन निशान

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