Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

अधूरी कविताएँ Adhuri Kavitayen
अधूरी कविताएँ Adhuri Kavitayen
अधूरी कविताएँ Adhuri Kavitayen
Ebook126 pages34 minutes

अधूरी कविताएँ Adhuri Kavitayen

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

नमस्कार! मैं अनुराग पांडेय हूं (1978 से)। मैं लेखक, कवि, गीतकार और कंप्यूटर प्रोग्रामर हूं। मेरी कविताएँ भारत के राष्ट्रीय समाचार पत्रों और पत्रिकाओं जैसे नवभारत टाइम्स, कादम्बिनी आदि में प्रकाशित हुई हैं। मैंने लेडी इंस्पेक्टर, शाका लाका बूम बूम, आदि विभिन्न टीवी शोज तथा इंडोनेशियाई टीवी के लिए (कहानी / संवाद / पटकथा) लेखन कार्य किया है। वर्तमान में मैं भारत के भुवनेश्वर शहर में रहता हूँ । ध्यान, योग, रहस्य, अलौकिक गतिविधियां, प्रेम, संबंध मेरे लिखने-पढ़ने के कुछ पसंदीदा विषय हैं।

"अधूरी कविताएँ" में मेरी 104 रचनाएँ हैं। 70 के आस–पास कविताएँ हैं। लगभग 10 गीत और कमोबेश उतनी ही ग़ज़लें हैं। और बाकी लघु कविताएँ हैं।

पुस्तक से कुछ अंश...

अनदेखे कैद रंग, दुनिया के कैनवास पर बिखरना चाहते हैं...
अजन्मा, अनसुना सुर, हर दिशा में थिरकना चाहते हैं...
जादुई सपने, पिटारों से निकल, हवाओं में बहना चाहते हैं...
अनजाना “मैं” रूबरू होना चाहता है...
और उन सबकी चाहतें, दे रही हैं — बेजुबां बेचैनी...

जैसे सब भीग रहा है अंदर
कोई रस रिस रहा है, फैल रहा है,
बहा जा रहा है अस्तित्व...
तुम्हारी अति–निकटता का बढ़ता बोध,
और प्रज्वलित होती “विरह–अग्नि”,
हँसता हुआ व्याकुल मन,
भीगी आँखों से, ढूँढे तुम्हे शून्य में।
इस तरह याद न किया करो मुझे...

थोड़े से जज़्बात छुपाकर, अपना दामन भर लेते हैं।
दिल ही दिल में प्यारी–प्यारी, तुमसे बातें कर लेते हैं।
धुंधली पड़ गयी हैं सब यादें, उस दुनिया के रंगों की।
इश्क गगन में फिर उड़ने को, नन्हे–नन्हे पर लेते हैं।
पत्थर बनकर मिलना–जुलना, किसको अच्छा लगता है?
दुनियादारी के चक्कर में, हम जीते जी मर लेते हैं।
फूलों के रोने से जब मन, आहत–आहत होता है,
बेबस दिल को समझाने को, जाने क्या हम कर लेते हैं।
बोझिल मन और बोझिल तन को, नई उर्जा से भरने को
जागे ख्वाबों वाला चश्मा, हम आँखों पर धर लेते हैं।

ज़िन्दगी का झोला, मुझसे बोला, क्यूँ भरता है तू इसमे वो सब?
जिसे छोड़ के जाना होगा,
दिल से भी हटाना होगा।
झोला मत कर भारी, कर ले “ज़िन्दगी सवारी”
उड़ ले तू, उड़ ले तू...!
फिर कहाँ यारा उड़ पाना होगा,
ज़िन्दगी ढोकर ले जाना होगा।
ज़िन्दगी का झोला, मुझसे बोला,
ज़िन्दगी है जोड़, मत इसको तू तोड़,
खुद के जैसा बन ले, तू बंदा है बेजोड़।
भूल जा सारी दुनियादारी,
कर ले खुद से तू दिल की यारी,
जुड़ ले तू, मुड़ ले तू...
फिर कहाँ यारा जुड़ पाना होगा,
चाहकर भी न मुड़ पाना होगा।
ज़िन्दगी का झोला मुझसे बोला...

मैं और तू, तू और मैं, संग रहने लगे हैं, दिल में जबसे,
मन मेरा, बन तेरा, तुझसे ही मिलने को है तरसे।
कैसी ये तूने अलख जगाई! जग लागे “ख्वाब”, सच तेरी जुदाई।
अँखियां समाई हो और दूर नज़र से।

अनसुलझा सा लगे, मरासिम तेरा मेरा,
अनछुआ ही सही, पर है तू हासिल मेरा।
ख्वाब सा पास तू, हैं फ़ासले दरमियाँ फ़लक के
रूह के साथ तू, तन्हा मन, संग तेरी महक के।
कैसी ये तूने अलख जगाई!

भारत! मेरे भारत! मेरे दिल की ये चाहत,
दर्द की गर्द हटा दूँ! मुझको मिल जाए राहत!
सूरज बन चमका दूँ, तेरी मिट्टी का सोना,
चंदा बन शब–भर मैं कर लूँ तेरी इबादत!
भारत! मेरे भारत! मेरे दिल की ये चाहत,

बाँह पसारे खड़ा है तू, आ तुझको गले लगा लूँ!
मेरे आँसू पोंछे तू, मैं तेरे आँसू पोछूं।
प्रेम के कच्चे धागों से, मैं सबके दिलों को जोड़ूंगा।
भेद–भाव और जात–प्रांत की जंजीरों को तोड़ूंगा।
गोद में तेरी नाचे प्रेयर, मंत्र, ग्रंथ, आयत,
गाँव–शहर महके “रिश्तों” की प्यारी गर्माहट।
मेरा भारत, मेरी चाहत.......

Adhuri Kavitayen has 104 poems on love, desire, loneliness, pain, beautiful waken dreams, social issues, helplessness, blissful heart, joyous heart, dancing heart, state of speechlessness, correlation of body, mind and soul, beyond mind, beyond the limits of Worldly things and so on...

Languageहिन्दी
PublisherAnurag Pandey
Release dateJul 20, 2020
ISBN9781005961442
अधूरी कविताएँ Adhuri Kavitayen
Author

Anurag Pandey

Anurag S Pandey is a writer, poet and computer programmer. His poems have been published in national newspapers and magazines of India like Navbharat Times, Kadambini etc. He has written Story/ Screenplay/ Dialogues for various TV Shows like Lady Inspector, Shaka Laka Boom Boom, Indonesian TV shows etc. At present he lives in Bhubaneswar, India. Meditation, yoga, mystery, paranormal & supernatural activities are some of his favorite topics to read and write.

Read more from Anurag Pandey

Related to अधूरी कविताएँ Adhuri Kavitayen

Related ebooks

Related categories

Reviews for अधूरी कविताएँ Adhuri Kavitayen

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    अधूरी कविताएँ Adhuri Kavitayen - Anurag Pandey

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1