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कहानियाँ सबके लिए (भाग 7)
कहानियाँ सबके लिए (भाग 7)
कहानियाँ सबके लिए (भाग 7)
Ebook265 pages2 hours

कहानियाँ सबके लिए (भाग 7)

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About this ebook

एक नाटकीय जीवन
बात दिल की
क्या यही प्यार है
क्षमा चाहिए
पहले वाली
गलती थी
वो अंतिम दिन
परी का दीवाना
मंत्रमुग्ध
वो रात वाली औरत
मेरा अस्तित्व
ज़िंदा रहती है कहानी
हाथ थामे हुए
भीगी अँखियाँ
रातों का विचलन
ख्वाहिश
मेरे दिल की बात
मेरे बिना
दिल वाली
अज्ञात नंबर
डाह और प्यार
वो समझती
अचानक बना प्रेमी
प्यार मेरा
नीचे ऊपर
विवाह
प्यार आज का
तरीका
अंतिम रेलगाड़ी
भाग जाते हैं
इंसान बन जाते हैं

ये कहानी वाला समूह के विभिन्न लेखकों के द्वारा लिखी गयी अनेकों विषयों पर बहुत ही रोचक कहानियाँ है। इस श्रंखला में आपको करीब तीस पुस्तकें मिलेंगी। ये सभी कहानियाँ आप अपने मोबाइल, कंप्यूटर, आई पैड या लैपटॉप पर सिर्फ कुछ पैसे चुकाकर ही पढ़ सकते हैं।

इस संग्रह को आप डाउनलोड करके सेव भी कर सकते हैं बाद में पढ़ने के लिए। हमें आपके सहयोग की जरूरत है इसलिए इन कहानियों को अपने मित्रों के साथ भी सांझा कीजिये!

धन्यवाद

कहानी वाला

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJan 9, 2023
ISBN9798215077269
कहानियाँ सबके लिए (भाग 7)

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    कहानियाँ सबके लिए (भाग 7) - कहानी वाला

    एक नाटकीय जीवन

    वो मेरे जीवन में आयी तो मैं सिर्फ 'लाइट, एक्शन, कैमरा" में ही अपना जीवन खोजा करता था। उसके आने के बाद सब बदल गया। पहले मैं एक नाटकीय जीवन जी रहा था। मेरा जन्म एक सम्मानित परिवार में हुआ था।

    मैं अभिनय कला सीखते हुए बड़ा हुआ था और फिर फिल्म उद्योग में एक सितारा ही बन गया था। फिर भी उस जीवन में धीरे धीरे मेरा जीवन मुझे ही नीरस सा महसूस होने लगा क्योंकि कोई नयापन नहीं दिख रहा था।

    मेरे जीवन में नीरसता को ना आने देने के लिए मेरे पास बहुत से दोस्त थे जो मुझे प्यार करते थे। आधी आधी रातों को हम बार में बैठे मदिरा का आनंद लेते थे और बाहर की दुनिया से कुछ समय के लिए कट जाते थे।

    उस शाम को भी मैं हमेशा की तरह ही अपने मनपसंद बार में पहुंचा। वो बार शहर से कुछ बाहर एक शांत इलाके में था। वहां मुझे कुछ निजीपन प्राप्त होता था। मैंने एक पेग व्हिस्की ली और लोगों को पीते और नाचते देखने लगा।

    तभी किसी ने मेरी नजर को अपनी तरफ आकर्षित किया। हाँ वही थी! सफ़ेद् सलवार कमीज में, सितारों वाले दुपट्टे के साथ।

    मुझे वो उस नरक रुपी वातावरण में कोई अप्सरा सी ही लगी। मैंने तो कभी किसी लड़की से प्रेम के बारे में सोचा तक नहीं था।

    उस लड़की की एक झलक ने ही मुझे कुछ सोचने पर बाध्य कर दिया। मैं खुद को उसके साथ अकेले में देखने लगा, सिर्फ कल्पना में ही, लेकिन मेरी कल्पना में मैं उसके साथ खुश दिख रहा था।

    बार में बज रहे संगीत ने अचानक ही मुझे मेरी कल्पना से वापिस वर्तमान में खींच लिया। मैं उसको बार में लोगों की भीड़ में खोजने लगा लेकिन वो मुझे कहीं भी नहीं दिखी।

    मैं खुद को ही दोष देने लगा के मैं क्यों कुछ देर के लिए कल्पना में डूब गया था! मैं सोचने लगा के क्या मैंने वास्तव में ही उस सुन्दर लड़की को वहाँ देखा भी था या वो सिर्फ कल्पना ही थी!

    एक महीना बीत गया लेकिन मेरी उस लड़की की कल्पना से बाहर नहीं आया था। मेरी नयी फिल्म रिलीज़ हो गयी थी और मैं बहुत व्यस्त हो गया था। बहुत सी मीटिंग थी और अलग अलग चैनलों पर इंटरव्यू भी देने थे।

    एक दिन मेरे मैनेजर ने मुझे मेरे फ़ोन पर एक मेसेज भेजा,सर! देश का एक बहुत बड़ा अखबार आपका इंटरव्यू छापना चाहता है!

    एक सुबह दस बजे मैं इंटरव्यू के कमरे में दाखिल हुआ। मैंने एक लड़की को गुलाबी सलवार कमीज में वहां देखा।

    उसकी पीठ मेरी तरफ थी। मुझे लगने लगा के कहीं वो वही लड़की तो नहीं थी जिसको मैंने उस शाम को बार में देखा था।

    मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा जब उसने मुड़कर मेरी तरफ देखा। हाँ वो वही लड़की थी जिसकी मैं कल्पना करता रहा थाउसको पहली बार उस बार में देखने के बाद!

    इस बार उसको देखते ही मेरा दिमाग तो जैसे सन्न हो गया था। उसने अपना परिचय दिया। उसका नाम मीरा था।

    उसकी मीठी आवाज और निहायत ही खूबसूरत चेहरे ने मुझे तो जैस मंत्रमुग्ध ही कर दिया था। उसके बदन से उठती खुशबु मुझे दीवाना बनाने लगी!

    फिर भी मैंने किसी तरह खुद पर नियंत्रण रखा और इंटरव्यू पूरा कर लिया। वो मेरे सामने बैठकर ही इंटरव्यू ले रही थी।

    मेरे जीवन का वो सबसे प्यारा इंटरव्यू था। मैंने तो कभी ये अंदाजा भी नहीं लगाया था कभी कल्पना भी नहीं की थी के किसी लड़की की सामान्य सी मुस्कान किसी के जीवन में सब कुछ ही बदल सकती थी।

    उसकी सुंदरता और मधुर व्यव्हार से इतना प्रभावित हो गया के उस दिन के बाद मैं टेलीविज़न पर उसका हर कार्यक्रम देखने लगा।

    वास्तव में मैंने तो उसका पीछा तक करना शुरू कर दिया था। लेकिन मैं नहीं जानता था के मैं अपने मन की बात उसको कैसे कहूं!

    मैं खुद एक स्टार एक बहुत लोकप्रिय अभिनेता होते हुए भी उस लड़की तक पहुँच पाने में खुद को असमर्थ महसूस कर रहा था। आखिर एक दिन मैंने उसको मिलने का फैसला कर लिया।

    मेरे दिमाग में बहुत से प्रश्न थे के कैसे मिलूंगा, क्यों मिलूंगा, मिलने के बाद क्या कहूंगा इत्यादि इत्यादि! और अगर उसने इनकार कर दिया तो क्या होगा! में उससे मिलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था!

    दिन बीतने लगे लेकिन मैं उसका पीछा किसी न किसी तरह करता रहा! उस दिन मैं अपने दफ्तर में बैठा कुछ सोच रहा था के तभी मेरा मैनेजर अंदर आया और उसने कहा के कोई चन्दा लेने आया था।

    मैंने इंकार कर दिया लेकिन मैंने देखा के मेरा मैनेजर उस चंदे से होने वाले कार्यक्रम में बहुत रूचि दिखा रहा था। वो मुझे उस कार्यक्रम के बारे में बताने लगा।

    उसने कहा के उस कार्यक्रम को एक मीरा नाम की लड़की आयोजित कर रही थी। मैं तो अपनी कुर्सी से ही उठकर खड़ा हो गया और तुरंत बोला,अरे जल्दी करो जल्दी करो। उस लड़की को तुरंत ही अंदर भेजो!

    मुझे ना जाने क्या हुआ के मैं तुरंत ही दीवार पर लगे हुए अपने आईने में खुद को देखकर बाल सँवारने लगा और अपने कपड़ों को ध्यान से देखने लगा।

    मैंने वो पागलपन किसी लड़की के लिए पहली बार किया था। शायद वही किसी इंसान के प्यार में डूबने के पहले संकेत थे।

    तभी मेरे शानदार दफ्तर के दरवाजे पर हलकी सी दस्तक हुई और फिर कुछ देर में मीरा धीरे से अंदर आ गयी।

    वो उस दिन भी पहले की तरह ही खूबसूरत दिख रही थी। वो अपने कार्यक्रम के बारे में बताने लगी लेकिन मैं तो सिर्फ उसको ही देख रहा था।

    उसकी बात पूरी होते ही वो मेरी तरफ आशा से देखने लगी लेकिन मैं तो कहीं और ही खोया हुआ था। मेरा दिमाग कह रहा था के हिम्मत करके उसको अपने मन की बात बता ही दूँ लेकिन मेरे पास हिम्मत नहीं थी।

    मेरे दिल और दिमाग में एक संघर्ष शुरू हो गया। मेरे मुंह से अचानक ही निकल गया,आप चिंता मत करें मैं इस कार्यक्रम में भाग लूंगा और हर संभव मदद करूँगा!

    आखिर मुझे उससे संपर्क करने और बातें करने का एक कारण तो मिल ही गया था। अगले कुछ दिनों में उससे और कई बार मिला और धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए अच्छे दोस्तों की तरह।

    उसकी एक एक बात और उसका एक एक विचार मेरे मन में उसके प्रति प्रेम को और भी बढ़ाने लगा था। वो रूप की सुंदरी ही नहीं थी उसका तो दिल भी बहुत सुन्दर था। मैं अपने जीवन में कभी उस जैसी लड़की से नहीं मिला था।

    उसके मन में कहीं न कहीं एक छोटा सा बच्चा उसकी उस उम्र में भी बैठा था! वो जब खिलखिलाती थी तो घंटियाँ सी बजने लगती थी। उसने दुनिया के प्रति मेरे दृष्टिकोण को ही बदल दिया।

    मुझे अपना जीवन अब और अधिक सुन्दर और अर्थपूर्ण लगने लगा। जब वो मेरे साथ होती थी मुझे दुनिया स्वर्ग सी ही लगती थी। मैं खुद से भी अधिक प्रेम करने लगा था।

    मैंने उसके साथ मिलकर उस कार्यक्रम के लिए बहुत पैसे इकट्ठे कर दिए और सब कुछ अच्छे से हो गया। हमने अपने लक्ष्य को पा लिया था।

    मुझे लगा के वो चंदा मेरी तरफ से उस लड़की के लिए पहला उपहार था। वो बहुत ही खुश थी। उसने हमारी सफलता के उपलक्ष्य में मेरे लिए एक छोटी सी निजी पार्टी का आयोजन किया।

    मैंने सोचा के उस पार्टी में मैं उसको अपने मन की बात बता ही दूँगा भले ही कुछ भी हो जाए! वही शायद सही समय था क्योंकि वो बहुत ही निजी पार्टी थी। मैंने लाल गुलाब के फूलों का एक बुके लिए और उसकी पार्टी की तरफ चल दिया।

    मैं पार्टी के स्थान पर पहुँच गया। हॉल के अंदर मैं मीरा को खोजने लगा। तभी मैंने देखा के वो सुर्ख लाल सलवार कमीज में सजी धजी हुई कुछ ही दूरी पर खड़ी थी। वो लाल गुलाबों की तरह ही सुन्दर दिख रही थी।

    मैं सीधा उसके सामने गया और झुककर एक घुटने पर बैठ गया और कांपते होटों से उसको कह ही दिया,आई लव यू, मीरा!

    मैं बहुत घबरा रहा था क्योंकि उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी मैं नहीं जानता था! तभी उसके मुंह से निकला,नहीं!

    मेरी आँखों से आंसू गिरने लगे क्योंकि उसके नहीं ने मुझे घायल कर दिया था। मैं उठकर खड़ा हो गया और सर नीचे किये उसकी आगे की प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगा।

    तभी अचानक उसने मेरे हाथ से फूलों का गुलदस्ता ले लिया और मेरे दोनो हाथो को अपने हाथों में ले लिया। "नहीं नहीं। मेरा कहने का मतलब था नहीं ये नहीं हो सकता क्योंकि आप तो फ़िल्मी दुनिया में सुपर स्टार हैं

    और आप मेरे जैसी एक टेलीविज़न चैनल में काम करने वाली लड़की से कैसे प्यार कर सकते हैं।

    मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ था सिर्फ इसलिए ही मेरे मुंह से 'नहीं' निकल गया था । सॉरी। मेरा उस 'नहीं'' का मतलब इंकार नहीं था। जी मैं भी आपसे बस इतना ही कहूंगी के आई लव यू टू।। पर मैं एक लड़की हूँ कैसे पहले कह सकती थी। जी हाँ मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ।"

    मुझे तो जैसे एक नया जीवन ही मिल गया। मैंने तुरंत ही आगे बढ़कर उसको अपनी बाहों में ले लिया और उसके कान में कहा,बहुत सी लड़कियों और अभिनेत्रियों के साथ काम किया है लेकीन तुम ही वो अप्सरा हो जो मेरी पत्नी बनेगी। उसने भी मुझे कसकर उसकी बाहों में भींच लिया!

    Chapter 2

    बात दिल की

    हलकी हलकी हवा और खुले आकाश का आनंद लेते हुए हरीश और अनीता हर क्षण को जैसे जी रहे थे और उनके चेहरों पर भी उनकी ख़ुशी साफ़ साफ़ दिख रही थी। हर तरफ एकदम शान्ति थी।

    तभी अचानक अनीता ने उस शांति को तोड़ते हुए हरीश को कहा,हरीश, तुम जानते हो सब लोग अच्छे हैं, लोग सुंदरता देखते हैं, उनको सुंदरता से प्रेम है क्योंकि उनके अंदर भी वही स्तिथि होती है। लोगों के अंदर की सुंदरता ही सब लोगों को देवदूत बना देती है! सभी लोग बहुत अच्छे हैं इस दुनिया में!

    हरीश जोर से हंसने लगा।; उसकी हंसी को सुनकर अनीता अपने सपनो के संसार से बाहर आ गयी। हरीश ने हँसते हुए ही कहा,ठीक है! तुम्हारी हर बात के पीछे कोई ना कोई तर्क होता है! अब इस बात के पीछे तुम्हारा क्या तर्क है?

    अनीता उसकी तरफ देखकर मुस्कुराई और सर ऊपर उठाकर बोली,"ऊपर आकाश में देखो, हरीश! कितना बड़ा और खुला है ये हमारा आकाश!

    आकाश का एक छोटा सा टुकड़ा ही तुमको चकित कर देता है के वो छोटा सा टुकड़ा कितने बड़े आसमान का हिंसा है! इतना बड़ा है लेकिन घमंड नहीं है।

    वो देखो वो चिड़ियाँ! कितनी मुक्त है ना वो आकाश में? इन पंछियों के लिए हर दिन ही एक नया प्रारम्भ होता है, नए नए रोमांच होते हैं उनके लिए हर दिन ही, वो आकाश में अपनी तरह के अन्य पंछियों से मिलते हैं, नए नए काम करते हैं, नए नए क्षितिज खोजते हैं, और फिर हर शाम को थककर अपने अपने घोंसलों में आ जाते हैं।

    शाम को यही पंछी अपने गर्म घोंसलों में मीठी नींद में सो जाते हैं सिर्फ अगले नए दिन की कल्पना करते हुए ही! कितना आश्चर्यजनक होता अगर हम लोग भी इन्ही पंछियों की तरह होते!"

    तभी मंद पवन के साथ मीठी मीठी खुशबु आयी। वो एक ऐसी प्राकृतिक खुशबु थी जो ना जाने कहाँ से आती है ना जाने कहाँ चली जाती है।

    हरीश उसके चेहरे को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था। अनीता वहीँ नहीं रुकी,"क्या तुम इस खुशबू से घृणा कर सकते हो, हरीश? क्या

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