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कहानियाँ सबके लिए (भाग 5)
कहानियाँ सबके लिए (भाग 5)
कहानियाँ सबके लिए (भाग 5)
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कहानियाँ सबके लिए (भाग 5)

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About this ebook

शर्माता ही रह गया
वो उपहार
मुझसे शादी करोगी
मेरी पत्नी
जून का एक दिन
चिड़िया
आँखों में
न्याय
पहले
बाहों में
बेवफ़ा
कुछ भी नहीं
भगवान् और काम
इतना आसान नहीं
उड़ गया
सैर
आ रही हूँ
फूल
सफर
अंगूठी
आवाज
पुस्तक
हंसी
गरीबी
बर्फ से ढकी चादर

ये कहानी वाला समूह के विभिन्न लेखकों के द्वारा लिखी गयी अनेकों विषयों पर बहुत ही रोचक कहानियाँ है। इस श्रंखला में आपको करीब तीस पुस्तकें मिलेंगी। ये सभी कहानियाँ आप अपने मोबाइल, कंप्यूटर, आई पैड या लैपटॉप पर सिर्फ कुछ पैसे चुकाकर ही पढ़ सकते हैं।

इस संग्रह को आप डाउनलोड करके सेव भी कर सकते हैं बाद में पढ़ने के लिए। हमें आपके सहयोग की जरूरत है इसलिए इन कहानियों को अपने मित्रों के साथ भी सांझा कीजिये!

धन्यवाद

कहानी वाला

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJan 8, 2023
ISBN9798215026205
कहानियाँ सबके लिए (भाग 5)

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    कहानियाँ सबके लिए (भाग 5) - कहानी वाला

    शर्माता ही रह गया

    साले, अगर तुझसे कुछ नहीं हुआ तो हमें बता देना! हम किस दिन काम आएंगे! कठिन समय में दोस्त ही तो काम आते हैं, एक दोस्त ने कहा।

    सभी दोस्त हंसने लगे तो वो खुद भी हंस दिया लेकिन उसके मन पर एक बोझ जैसा बन गया था। वो उसकी शादी की पहली रात थी।

    इसको कितनी बार कहा था के हमारे साथ मंडी होटल में चल एक बार और किसी लड़की के साथ आजमा कर देख ले के मर्द है भी के नहीं पर ये तो शर्माता ही रह गया था। माना ही नहीं शादी से पहले किसी लड़की के साथ होटल के कमरे में जाने के लिए, एक और दोस्त ने कहा।

    ये सुनकर भी वो चुप रहा। दोस्त उसके बारे में और भी बहुत कुछ कहते रहे पर वो कुछ भी नहीं बोला।

    एक तो शादी की थकावट थी और ऊपर से दोस्तों, चाचा ताऊ के बेटों, और भाभियों की गहरी बातों ने उसके मन में तूफ़ान खड़े कर दिए थे।

    पहले तो अरमान को लगता था के शादी कर लेना ही बहुत बड़ा काम था पर अब वो समस्या में था और पल पल गहरी होती रात उसको चुनौती सी ही लग रही थी।

    तभी उसके ताऊ के लड़के ने आकर अरमान से कहा,जा नीचे जा अपनी नयी नवेली दुल्हन के पास! बेचारी कमरे में अकेली बैठी है। जा नीचे जा तुम दोनों का खाना भी कमरे में ही भेज देंगे!

    यार दोस्त बैठे गप्पें मारते रहे। वो सीढ़ियों से नीचे अपने कमरे की तरफ जाने लगा। तभी पीछे से आवाज आयी,ज़रा रुकना! बात सुन!

    उसका एक दोस्त उसकी बांह पकड़कर पास के कमरे में ले गया और बोला,एक दो घूँट लगा ले पहले?

    नहीं यार मैं नहीं पियूँगा, अरमान ने बांह छुड़ाते हुए कहा।

    यार, मेरे पास फ़ौज की रम भी है! दो पेग लगा ले दिल नहीं घबराएगा!

    अरमान को यूं लगने लगा जैसे के वो अपनी नयी दुल्हन के कमरे में नहीं किसी जंग पर जा रहा था। नहीं यार मैं शराब नहीं पियूँगा। उसको स्मेल आ जाएगी! उसको शराब जरा भी पसंद नहीं है!

    कुछ नहीं होगा, दो पेग लगा ले और फिर कुछ इलायचियाँ चबा लेना। खुशबू आएगी मुंह से, ताऊ के लड़के ने कहा।

    लेकिन अरमान ने इंकार में सर हिला दिया।

    तभी ताऊ के बेटे ने अरमान से कहा,वो तो तेरे बापू ने ही कहा था के मैं तुझसे पीने के लिए पूछ लूँ के कहीं खानदान की नाक ही ना कटवा दे पहली रात को ही। मैं तो तेरी हिम्मत बढ़ाने के लिए ही पीने को कह रहा था।

    अरमान ने तब भी कुछ नहीं कहा।

    अच्छा थोड़ी सी वोडका पी ले उसकी तो गंध भी नहीं होती है। आ जा दो पेग लगा ले!

    अरमान ने इंकार कर दिया और अपने कमरे की तरफ चल दिया। कमरे में मोहिनी अकेली बैठी थी। उसके सामने रोटी की थाली सजा कर लगा दी गयी थी। वो अरमान का इंतजार कर रही थी।

    उसने अपने हाथ धोये और तौलिये से हाथ पोंछकर तौलिये को पास की कुर्सी पर रख दिया। वो मोहिनी के सामने बैठ गया और दोनों खाना खाने लगे।

    फ़ोन पर तो वो दोनों पहले कितनी बातें करते थे पर अब दोनों के पास बोलने की हिम्मत ही नहीं थी। रोटी खाते खाते वो दोनों एक दूसरे को चोरी चोरी देख रहे थे।

    खाते खाते कई बार दोनों के हाथ भी एक दूसरे को छू गए। वो दुल्हन के लिबास और गहनों में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।

    रंगो के उस खेल में, जो प्यार और स्नेह के रंगों में बंधा हुआ था, अपने आप ही भावनाएँ जागृत होने लगती हैं। पूरे कमरे में गहरे रंग थे।

    दीवारों को रंग-बिरंगे साज-सज्जा से सजाया गया, फर्श पर लाल गुलाब के फूल थे और पलंग पलग गुलाब की पंखुड़ियों से भरा हुआ था।

    खाते खाते उसको खांसी आ गयी और वो इधर उधर पानी खोजने लगा पर उससे पहले ही एक गिलास उसके होंठों से लग गया,लीजिये पानी पी लीजिये। मोहिनी पहली बार बोली थी।

    पानी पीते हुए अरमान ने देखा के मोहिनी का चेहरा लाल हो गया था। उसकी आंखें नीची हो गयी थी।

    खाना खत्म ही हुआ था के अरमान की बड़ी भाभी दूध के गिलास लेकर अंदर आ गयी और जाते जाते दरवाजा अंदर से बंद कर लेने को कह गयी। लेकिन अरमान के दिल का डर कम नहीं हुआ था।

    सर्दियाँ शुरू हो गयी थी पर तब भी गर्मी का एहसास बाकी था। अरमान ने पंखा चालु कर दिया और पावों पर कम्बल डालकर पलंग के ऊपर के भाग पर पीठ टिकाकर थोड़ा लेट सा गया।

    मोहिनी उससे कुछ दूरी बनाकर सिकुड़ी सी बैठी थी। अरमान ने कहा,पांव ठन्डे हो जाएंगे! आओ पांव कम्बल के नीचे कर लो।

    वो उसकी बगल में आकर पीठ टिकाकर बैठ गयी और फिर उसने अपने पावों को कम्बल के अंदर कर लिया।

    अरमान हैरान था कि वह फोन पर कितनी बातें किया करती थी पर आज वह इतनी शांत बैठी थी मानो बोलना ही भूल गई हो। ऐसा नहीं था कि उन्होंने बात नहीं की थी कभी।

    फ़ोन पर ना जाने कितनी ही रोमांटिक बातें करते थे पर अब तो ऐसा लग रहा था के दोनों के ही मुंह में जुबान नहीं थी।

    अरमान ने खुद को याद किया। वह कक्षा में गायन के लिए प्रसिद्ध था लेकिन जब उसने पहली बार मंच पर गाना शुरू किया, तो उसके पैर कांपने लगे और उसकी जीभ कांपने लगी और वह बिना गाए नीचे आ गया था।

    अब पहली रात का हौवा दोनों पर ही भारी था। अरमान पर कुछ ज्यादा ही था।

    जब से शादी की तारीख तय हुई थी सभी की नजरें और इशारे उसकी तरफ ही रहने लगी थी। और अब पहली रात उसके लिए इतनी भारी हो रही थी।

    उसने जो पढ़ा और सुना था, वह यह था कि पहली रात लड़की पर झपट पड़ना होता है और रात एक ही उद्देश्य के लिए होती है। बाकी सब बातों के लिए तो जीवन ही होता है!

    वो हिम्मत नहीं कर पा रहा था के वो मोहिनी की तरफ बढ़े या नहीं! फिर भी उसने ना चाहते हुए भी हिम्मत करके खुद को मोहिनी की तरफ सरका लिया।

    थोड़ा नीचे झुक कर टेढ़ा होकर उसने अपना सिर मोहिनी की गोद में टिका दिया और लेट गया।

    लेकिन लगता था कि जैसे बातें खत्म हो गई थी। फिर उसे याद आया कि पहली रात का तोहफा अभी बाकी था।

    उसने अपने जेब से एक गिफ्ट बॉक्स निकाला जिसमें एक सोने की सुन्दर अंगूठी थी। उस अंगूठी पर दोनों के नाम के पहले अक्षर खुदे हुए थे।

    वो अंगूठी पहनाते हुए उसके हाथ की मेहंदी को देखने लगा। उसने झुककर पहले अंगूठी को और फिर मोहिनी के हाथ को चूम लिया। फिर वो मोहिनी की आँखों में देखने लग गया।

    उसने मोहिनी के चेहरे को कांपते हाथो से ऊपर किया और फिर उसको चूमने ही लगा था के मोहिनी ने चेहरा पीछे खींच लिया,बत्ती तो बंद कर दीजिए! मोहिनी को बंद कमरे में किसी के द्वारा देख लिए जाने का भय था।

    अँधेरे में सभी को डर लगता है पर उस रात को वो अन्धेरा ऐसा था जिसमें दोनों को रोशनी से डर लग रहा था। वो कुछ भी करने से पहले दोनों को दूध पीना था।

    और फिर मोहिनी के गहने भी उतारने थे। एक घूँट दूध पीकर उसने गिलास मोहिनी के होंठों से लगा दिया। दोनों एक एक घूँट करके पीते रहे जब तक गिलास खाली नहीं हो गया।

    गहने उतार कर रख दो नींद में कहीं कोई नीचे गिर जाएगा, अरमान ने कहा।

    मोहिनी ने उसकी आज्ञा का पालन करते हुए एक एक करके गहने उतार दिए और दराज में रख दिए। अचानक ही मोहिनी के मुंह से निकल गया,और कपडे?

    अरमान के मुंह से भी तुरंत ही निकल गया,वो मैं खुद ही उतार दूंगा!

    मोहिनी का चेहरा फिर से लाल सुर्ख हो गया। उसने नजरें नीची कर ली। अरमान ने भी ना जाने वो जवाब कैसे दे दिया था। वैसे तो वो बहुत ही शर्मीला था।

    शादी से पहले दोस्तों के लाख कहने के बाद भी वो बाजार की किसी लड़की के साथ होटल के कमरे में नहीं गया था।

    उसके मन में एक धारणा सी बन गयी थी के जिंदगी में एक ही पार्टनर के साथ सब कुछ करना है!

    उसके इन खयालो का उसके दोस्त मजाक उड़ाते थे। वो कहते थे के अगर उसको कोई पहले से ही खेली खाई लड़की मिल गयी तो फिर वो क्या करेगा! वो शरमा जाता था।

    अरमान ने मोहिनी से प्यार किया था पर सिर्फ जिस्मानी प्यार नहीं किया था। उसने किताबों में शारीरिक रिश्तों के बारे में बहुत कुछ पढ़ा था।

    फ़ोन पर हर समय चहकने वाली मोहिनी अब उसके सामने गूंगी सी बैठी थी। गहने उतारकर वो पलंग पर लेट गयी थी। कमरे में रोशनदान से बाहर की लाइट आ रही थी।

    वह खिसक कर मोहिनी के पास लेट गया। उसने उसका हाथ पकड़ लिया और अपना चेहरा उसकी ओर कर लिया। वो कितनी देर उसके चेहरे को देखता रहा।

    फिर उसने पास आकर मोहिनी का सिर अपनी बाँह पर इतना पास रख दिया कि दोनों एक दूसरे की साँसों को महसूस कर सकें।

    फ़ोन पर तो तुम चुम्बन के बिना मुझे फ़ोन काटने ही नहीं देती थी और अब ऐसे दूर हो रही हो? अरमान ने मोहिनी के कान में कहा।

    हम कौन सा अभी ही सोने जा रहे हैं? मोहिनी ने उसी स्वर में उत्तर दिया।

    जवाब से अरमान के शरीर में कंपन हो गया। उसकी जीभ ने मोहिनी के कान पर हल्के से वार किया और उसके होंठों ने कान के नीचे के गर्म हिस्से को चूमा।

    अरमान के होठों की पहली छुवन को अपने जिस्म पर महसूस करते ही वो अरमान की बाहों में कसमसा उठी

    लेकिन दूर होने की बजाये वो उसके और पास खिसक आयी और अपनी बाहों को अरमान की पीठ पर कस लिया।

    अरमान के होंठ हिल गए और वह फिर से उसके होठों को छूने लगा। दोनों के शरीर में रक्त का प्रवाह तुरंत बढ़ गया। भाव से आंखें हिलने लगीं। हाथों की पीठ पर अकड़न अचानक से बढ़ गई थी।

    अरमान के हाथ गर्दन से पीछे की ओर और उसके नीचे भी जहाँ तक जा सकते थे घूम रहे थे। बाल और माथा सहला रहे थे। कोई संयम नहीं था, कोई शर्म नहीं थी।

    अचानक एक चुम्बन ने सारी शर्मिंदगी दूर कर दी थी।

    मोहिनी बस उसे अपनी बाँहों में पकड़े हुए थी। जैसे ही

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