वासना से प्यार तक
By टी सिंह
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पहले प्रेमी को
हमारा वैलेंटाइन
मुझे पत्नी कैसे मिली
मेरे सपनो की लड़की
वासना से प्यार तक
उसकी तलाश में
उसके प्रेमी को बचाया
उसका बचा खुचा
उफ़ पत्नी
तुम जैसे अच्छे नहीं हैं
तुम हो कौन
तलाक के बाद
सुबह की आस
सिर्फ तीन दिन में
वो बोली वो बोला
वो फिर मिली
वो पहला प्यार
वो कैसे मिली
वो दूर हो गयी
वो बदलाव
सिर्फ नजर मिली
सिर्फ लिंडा
शाज़िया का प्रेम
शादी की पहली सालगिरह
शब्दों से परे
समझौता
प्यार वाली बोतल
प्यार को भूलना
प्यार ही प्यार
प्रेम रतन धन पायो
प्रेम की परख
प्रेम का देवता
प्रेम का बुखार
पूर्ण हो गयी
फूल पत्नी के लिए
दो शब्द
हर नौजवान लड़का और लड़की जीवन के एक ऐसे मोड़ पर जरूर पहुँचते हैं जहां उन के मन में मोहब्बत के फूल खिलते हैं, और ऐसा महसूस करते हुए वो खुद को औरों से ऊपर या बेहतर भी समझने लगते हैं, परन्तु वो ये नहीं देख पाते हैं के उनसे पहले करोड़ों अरबों लोगों ने प्यार किया था, अब भी कर रहे हैं, और आगे भी करते रहेंगे, और वो लोग भी यही विश्वास रखते थे, या हैं, के वो औरों से ऊपर है।
अपने प्यार के अनुभव को खुद ही जज बनकर पास या फेल कर देना बहुत ही छोटी सोच का प्रतीक है। औरों के प्यार भरे जीवन में क्या होता है, या क्या हुआ था ये जानना बहुत जरूरी है, खुद को किसी भी तराजू में तौलने से पहले। और इसके लिए जरूरत होती है प्रेम कहानियों को पढ़ने की, दुनिया के अलग अलग हिस्से में रहने वाले लोगों की प्रेम कहानियां।
हमारी इस किताब में जो कहानियां हम आपको भेंट कर रहे हैं वो एक खजाना है उन प्रेमियों के लिए जो प्रेम की तह तक पहुंचना चाहते हैं और अपने जीवन में उन खूबसूरत पलों को लाना चाहते हैं जो लम्बे समय तक बरक़रार रह सकें।
तो लीजिये इन कहानियों के समुन्दर में डुबकी लगाइये और फिर बाहर आकर खुद को देखिये! आप खुद को एक परिवर्तित इंसान के रूप में पाएंगे। धीरे धीरे और समझकर पढ़ने के लिए किसी भी कहानी के कई पक्षों पर ध्यान देना जरूरी होता है। अगर सिर्फ मनोरंजन के लिए ही पढ़ना चाहते हैं तो फिर तो ये एक बहुत ही मनोरंजक कहानियों से भरी किताब है। और अगर हर पक्ष को ध्यान में लेकर पढ़ना चाहते हैं तो एक दिन में एक ही कहानी पढ़िए और फिर उसपर विचार कीजिये।
शुभकामना
टी सिंह
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Book preview
वासना से प्यार तक - टी सिंह
पहले प्रेमी को
कॉलेज में साहित्य की पढ़ाई करते समय एक पंक्ति ने मुझपर बहुत प्रभाव डाला था वो पंक्ति थी: आपका पहला प्यार हमेशा के लिए नहीं रहता है!
हालाँकि पहली बार उसको पढ़ते समय मुझे वो पंक्ति झूठ ही लगी थी क्योंकि मैं भी उन लोगों में से ही थी जो पहला प्यार पहला प्यार का ढोल पीटते रहते है, लेकिन समय और अनुभव के साथ मुझे ये यकीन हो गया के वो एक बहुत ही कड़वा सत्य था। तुम्हें तो शायद अब वो सब बातें याद भी नहीं होंगी!
मुझे आज भी वो रात याद है जब बास्केटबॉल के खेल के बाद तुमने जिम के अंदर मेरे हाथों को थामकर कितने प्यार से कहा था,अच्छा हो या बुरा, हम दोनों हमेशा ही साथ रहेंगे!
तुम तो कहते थे,जब तुम बूढ़ी हो जाओगी और तुम्हारे बाल सफ़ेद हो जायेंगे और चेहरे पर झुर्रियां आ जाएंगी तब भी मैं तुम्हारे साथ रहूँगा और मेरे प्रेम में कोई कमी नहीं आएगी!
अब तो मुझे ठीक से नींद भी नहीं आती है क्योंकि मैं डरती रहती हूँ के मेरे साथ सपनो में भी धोखा हो जाएगा।
मैं तो सोचती थी के जीवन गुलाब के फूलों की सेज है और मैं सोचती थी के प्यार का सूरज हमेशा ही चमकता रहेगा, लेकिन मैं गलत थी।
मैं ये भूल गयी थी के गुलाब के फूलों में कांटे भी होते हैं और सूरज को बहुत बार बादल छुपा लेते हैं और सूरज को भी ग्रहण लग जाता है।
मैं तुम्हारे स्पर्श को भी नहीं भूल पायी हूँ। तुम्हारा प्यारा कोमल स्पर्श! मैं उस रात को कैसे भूल सकती हूँ जिस रात को हम दोनों समुद्र के किनारे नए वर्ष के आगमन की पार्टी में मजे ले रहे थे।
हम दोनों एक दूसरे के हाथ थामे समुद्र के किनारे आग के चारों तरफ चक्कर लगा लगाकर नाचे थे।
क्या तुमको याद है जब तुम मुझे एक बड़े से पेड़ के नीचे ले गए थे और वहां जाकर तुमने मुझे कहा था के तुम मुझसे प्यार करने लगे थे, सिर्फ मुझे ही! क्या तुमको उस रात को दिए गए वचन याद है? तुमने तो मुझे उस रात को नयी आशाओं नयी उमंगों से भर दिया था।
मुझे याद है के उस रात को तुमने किस तरह से मेरी आँखों में देखा था। मैं तुम्हारी आँखों में डूबकर बाहर निकलने का रास्ता खोज रही थी लेकिन मैं तो तुम्हारे जादू के प्रभाव में इस कदर डूब गयी थी के मुझे डूबने में ही असीमित आनंद आने लगा था।
मैं तो आज भी अपने होठों पर तुम्हारे होठों को महसूस करती हूँ। फिर मैं कैसे हमारा वो पहला चुम्बन भूल सकती हूँ? आज भी मैं आंखें बंद करके तुम्हारे चेहरे को देखती हूँ और मेरा दिमाग तुम्हारे विचारों से भर जाता है!
मुझे अब भी तुम्हारी बाहों का वो सुख याद है जिसको तुमसे अलग होने के बाद भी मैं भूलना नहीं चाहती हूँ!
याद है कैसे तुम हर समय अपनी बांह मेरे कन्धों पर रखा करते थे! लेकिन क्या करूँ क्योंकि यादें तो सिर्फ यादें ही हैं! कुछ भी कर लूँ वही दृश्य मेरे दिमाग में बार बार आते रहते हैं!
मैं तो तुम्हारे लिए हर एक से लड़ने को भी तैयार रहती थी लेकिन वो काम मैं अकेली कैसे कर सकती थी! मुझे तुम्हारी जरूरत थी।
मुझे अपनी। हमारी।लड़ाई लड़ने के लिए तुम्हारे मुंह से प्रेम के तीन शब्दों की जरूरत थी। मैं किसी का भी सामना करने को तैयार रहती थी लेकिन तुमने कभी भी मेरे जैसा जज़्बा या साहस नहीं दिखाया था!
तुम चले गए, मुझे छोड़कर चले गए, तुम हम सबको छोड़ गए। लेकिन किसके लिए? पैसे के लिए? तुमने मेरे मम्मी डैडी से पैसे ले लिए और उन पैसों को लेकर अपने परिवार के साथ दूर चले गए। तुमने हमारे प्रेम को बेच दिया था।
तुम बिना एक शब्द कहे, बिना गुडबाय कहे ही चले गए और मुझे पीछे बिखरा हुआ छोड़ गए! तुमने उन लोगों को हमें अलग करने दिया क्योंकि तुमको पैसे चाहिए थे जो तुमको मेरे मम्मी डैडी ने दे दिए थे। मेरी कीमत थी वो जो तुमने उनसे ली थी।
मैंने तुमको कहाँ कहाँ नहीं खोजा? मैं आज भी समुद्र के किनारे की उस पहाड़ी गुफा में सिर्फ इस उम्मीद से जाती हूँ के शायद कभी तुम मुझे वहाँ घूमते हुए मिल जाओ भले ही किसी और के साथ!
कभी जब मैं समुद्र के किनारे अकेली खड़ी लोगों की भीड़ में तुमको ढूँढ रही होती हूँ तो मुझे लगता है के तुम अचानक ही पीछे से आ जाओगे और मुझे अपनी बाहों में कसकर भर लोगे! लेकिन ऐसा कभी भी नहीं होता है!
तुमने झूठ बोला! हर चीज में झूठ बोला! तुमने प्रेम के बारे में झूठ बोला और मैंने विश्वास कर लिया और तुम्हारे झूठ को सच मान लिया। मैंने तुमपर नहीं नहीं तुम्हारे प्यार पर यकीन किया।
मैं तुमसे प्यार करती थी और अब भी करती हूँ और आज भी मैं यही हूँ तुम्हारा इन्तिजार करती हुई।अब शायद मेरा दिल धीरे धीरे मुझे ये यकीन दिलाने लगा है के पहला प्यार वैसा नहीं होता है जैसा मैं सोचा करती थी। अगर पैसे चाहिए थे तो मुझसे मांगकर देखते मैं कहीं से भी लाकर दे देती लेकिन अपने प्रेमी यानी तुमको कलंकित नहीं होने देती। तुम मेरी नजरों में बहुत गिर गए हो।
अब मैं ये कहने की हिम्मत नहीं कर रही हूँ के मैं हमेशा तुम्हारा इंतजार करती रहूंगी। क्योंकि मैं सीख गयी हूँ के लड़की के लिए और लड़के के लिए प्यार की अलग अलग परिभाषा और अनुभव होता है।
कभी तुम्हारी थी
मोनिका
Chapter 2
हमारा वैलेंटाइन
वो गंभीर स्वर में बोला,"समय हाथ से बालू की तरफ फिसल गया है! लेकिन हमारे प्रेम की तरह ये हवेली आज भी पूरी शक्ति के साथ और गर्व से खड़ी है!
इसकी दीवारों को तो देखो। नीले पत्थर की ये दीवारें दूर से ही चमकती हैं और देखने वाले को अपनी भव्यता और सौंदर्य का आभास करवाती हैं!"
उसकी पत्नी ने कहा,तो ये है तुम्हारा सरप्राइज! इस हवेली को दिखाने के लिए मुझे तुम इतनी दूर से हवाई जहाज में लेकर आये हो?
था तो वो बहुत ही सुन्दर नजारा। ऊँचे ऊँचे पेड़ों की पंक्तियाँ दूर तक दिख रही थी। कहीं कहीं दो पेड़ ऊपर जाकर इस तरह से मिल रहे थे जैसे दो प्रेमी एक दूसरे के चुम्बन में खोये हुए थे!"
वो पत्नी की तरफ देखकर बोला,तुम ये सब देखकर किसी सोलह साल की लड़की की तरह से क्यों मुस्कुरा रही हो?
वो सोचने लगी और उसकी आँखों में भी चमक आ गयी और वो बोली,क्या तुमको याद नहीं है? वो नए छात्रों की पिकनिक! उस दिन में इस हवेली के सामने ठीक वहां खड़ी थी जब मेरी और तुम्हारी मुलाकात हुई थी!
और ठीक इसी जगह पर तो मैंने पांच वर्षों के बाद तुम्हारे सामने विवाह का प्रस्ताव भी रखा था!
वो मुस्कुरा दिया।
दोनों एक साथ ही बोल उठे,ये जगह ही हमारे लिए वैलेंटाइन है!
वो बोली,सुनो! चौदह वर्ष बीत गए हैं।अब ऐसा क्या हो गया है के हम दोंनो के बीच दूरियां बढ़ने लगी हैं। देखो ना तुम मुझे खुश करने के लिए हज़ारों मील दूर से इस जगह हवाई जहाज़ से लाये हो! लेकिन इतने पास होकर भी हम दूर क्यों हैं अब?
तुम जानती हो के दूरी किसने बनाई थी! अरे वो लड़की मेरे दफ्तर में मेरे साथ काम करती थी। उस शाम को वो दफ्तर में बेहोश हो गयी थी और मैं बाहों में उठाकर कार तक ले गया था। तुमने तो बस यही देखा था। लेकिन तुमने ये नहीं देखा था के मैं उसको लेकर अस्पताल गया था और फिर उसके साथ रात भर अस्पताल में ही रहा था। और यही सच है।
वो गुस्से से बोली,ये कहानी मुझे तुम साल में कितनी बार सुनाते हो। तलाक तुम देना नहीं चाहते हो क्योंकि तुमको अपने दो बच्चों के साथ उनकी माँ भी चाहिए है। तीन साल से हम एक बिस्तर पर नहीं सोये हैं। यही तो सच है हमारे जीवन का!
यही साबित करने को आज मैं तुमको यहाँ लाया हूँ।
तभी अचानक एक कार उनके पास रुकी। कार में से एक सुन्दर मर्द एक जवान औरत निकले। देखकर ही लगता था के उनकी नयी नयी शादी हुई थी।
वो औरत उसके पास आयी और बोली,ओह मिस्टर शर्मा आप तो जल्दी ही आ गए यहाँ।अरे हाँ ये मेरे पति है।और ये हैं मेरे दफ्तर के बॉस मिस्टर शर्मा।
मेरी पत्नी हैरानी से हम तीनो को देख रही थी। मैं उसकी आँखों में पश्चाताप और ग्लानि देख चुका था।
कुछ देर बाद वो जवान औरत और उसका पति हवेली की तरफ चल दिए।
मैंने पत्नी से कहा,आओ वापिस चलते हैं। आज का वैलेंटाइन डे हो गया! चलो कहीं खाना खाते हैं।
मैं टैक्सी की तरफ जाने को पलटा ही था के मेरी पत्नी ने मेरा हाथ पकड़ लिया,मुझे माफ़ नहीं करोगे! मैं तीन वर्षो से आपको धोखेबाज़ समझ रही थी।प्लीज माफ़ कर दो!
मैं मुस्कुरा दिया और उसका हाथ थामकर टैक्सी की तरफ चल दिया। हमारा वो वैलेंटाइन डे हमें फिर से पास ले आया था
लेकिन टैक्सी में और फिर घर वापिस आते समय हवाई जहाज में मेरी पत्नी की मुझसे आंखें मिलाने की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन घर के अंदर आते ही वो मुझसे लिपट गयी और जोर जोर से रोने लगी।मैं धीरे धीरे मुस्कुरा रहा था।
तभी मेरे फ़ोन पर एक मेसेज आया,कैसा रहा मेरा अभिनय, बॉस? ये किराए के पति को खोजने में बहुत समय लग गया था लेकिन अब उम्मीद है के सब ठीक होगा। तो कल मिलेंगे!
मैंने मुस्कुराकर फ़ोन को स्विच ऑफ कर दिया और अपनी पत्नी को लेकर अंदर वाले कमरे की तरफ चल दिया। उसके चेहरे पर अब एक बड़ी सी मुस्कान थी।
Chapter 3
मुझे पत्नी कैसे मिली
मैं अपनी पत्नी से कैसे मिला और कैसे शादी हुई अपने अपने दृष्टिकोण के आधार पर एक रोमांटिक कहानी भी कहा जा सकता है!
हम दोनों की मुलाकात एक बहुत ही लोकप्रिय सोशल मीडिया ग्रुप में हुई थी। वो वही लड़की थी जिससे मैं भविष्य में शादी करने वाला था।
वो उस सोशल साइट पर बहुत सक्रिय रहती थी लेकिन कभी भी अपनी तसवीरें नहीं डालती थी। सिर्फ उसके प्रोफाइल पर ही एक फोटो थी उसकी। वो तस्वीर मुझे काफी खूबसूरत लगी थी।
हम दोनों की अच्छी बातचीत शुरू हो गयी थी और ज्यादातर विषयों पर हम दोनों का मत भी एक ही होता था। ज्यादातर विचार उन्ही विषयों पर होते थे जो ग्रुप में चल रहे होते थे।
वो देश के पश्चिमी समुद्र के किनारे में रहती थी और वो जगह मेरे घर से बहुत ही दूर थी हज़ारों मील दूर लेकिन फिर भी इस बात पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
धीरे धीरे हम दोनों ने एक दूसरे पर विश्वास कर लिया और फ़ोन पर बातें करनी शुरू कर दी।
जब मैंने पहली बार फ़ोन पर उसकी आवाज सुनी मैं उस आवाज की मधुरता में पूरी तरह से डूब गया। अगर पहली आवाज से प्यार जैसा कोई मुहावरा होता तो शायद हमारा मामला पहला ही होता!
हालाँकि हम दोनों एक दूसरे के कभी मिले नहीं थे लेकिन हमरा रिश्ता गंभीर होता चला गया। मैं उसके प्रेम में पूरी तरह डूब चुका था। लेकिन एक बात अजीब थी।
जब कभी भी मैं उसको मेरे साथ वीडियो चैट करने को कहता था तो वो हर बार किसी ना किसी बहाने से टाल देती थी।
कई महीनो तक बस ऐसे ही चलता रहा। मैंने भी उससे किसी प्रकार की जिद नहीं की। शायद मुझे उससे वीडियो चैट करने या मिलने की जिद करनी चाहिए थी।
अगले कई महीनो तक भी हम दोनों सिर्फ बातचीत के माध्यम से एक दूसरे के नजदीक रहे। हम काफी निजी बातें भी करने लगे थे तब तक।
वो इतनी सही बातें करती थी के मैं बिना प्रभावित हुए रह ही नहीं सकता था। वो मेरे जीवन में मुझसे मिली किसी भी औरत से अधिक मेरे नजदीक थी कम से कम बातचीत में तो!
मुझे लगने लगा के मैंने वो आदर्श औरत पा ली थी जो मेरी जीवनसाथी होने वाली थी।
उसके साथ मुझे बस एक ही समस्या थी। जब कभी भी मैं उससे मिलने की बात करता था वो कोई ना कोई बहाना कर देती थी और कारण बताती थी के हमें और इंतजार क्यों करना चाहिए!
तभी मुझे आभास हुआ के कुछ तो गड़बड़ थी। अगर वो मुझसे कुछ छुपा रही थी तो मैं उस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाना चाहता था।
उसने मुझसे कहा था के लोगों से मिलने में उसको बहुत शर्म आती थी इसीलिए वो मुझसे मिलने को तैयार नहीं थी!