Manchala मनचला
By Pratik Verma
4.5/5
()
About this ebook
Manchala is expression of love. manchala is self experience of author Pratik Verma through the poetry. Manchala is about most common experiences we all get, every youth can enjoy this poetry.
मनचला प्यार का इझहार है....! मनचला है एक कहानी, खुद के अनुभव कि, एक लेखक प्रतिक वर्मा के, कविता के माध्यम से. मनचला हमे आने वाले बहुत बार आने वाले अनुभव के बारे मै है. हर एक युवा के अनुभव के बारे मै.
Related to Manchala मनचला
Related ebooks
तेरा ख्याल Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकुछ अनकहे जज़्बात: मन की बोली Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsHaathon Mein Tera Haath Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsDil ke Kalam se Kaagaz par Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAndaaz-e-Bayaan अन्दाज़-ए-बयाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमेरे जीवन के एहसास Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsतुम बिन Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMere He Shunya Mein Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमेरी आत्मा की छाया: हार्ट का केस स्टडी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsथोडी नादान, थोडी चालाक: मेरी कलाम Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकुछ हिस्से प्यार के: शब्दो का जाल Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअनुरक्ति Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकम्बख्त यादें: तेरी यादों से जिंदगी गुलजार कर ली मैने। Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsBhataktein Shabd Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsपल्लव, प्रेम के Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsEk Baar To Milna Tha Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMann Ki Gujarish मन की गुजारिश Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलिखूँ तुम्हारे लिए (write for you) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsइश्क की किताब Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगुमशुदा जिंदगी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsजुगनू और चांद Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्य मञ्जूषा (काव्य संकलन) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअल्फा़ज ऐश्वर्य के Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकांच से अल्फाज़ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबयार विरह की Rating: 5 out of 5 stars5/5स्नेह बंधन: उद्धरण पुस्तक Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलीव जस्ट डॉनट एक्सिस्ट Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsथोड़ा सा धुआं रह गयाल Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsDiwaswapna Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsआज की दुनिया: काव्य संग्रह Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for Manchala मनचला
5 ratings3 reviews
- Rating: 5 out of 5 stars5/5Truly amazing, you will get what you deserve in life and beautiful poetry from your heart
- Rating: 4 out of 5 stars4/5It is a feeling expressed from the core of my heart. Read it, sing it and enjoy my world.....
With all due respect to everyone who are, were and will be a part of my life.. - Rating: 4 out of 5 stars4/5Amazing words from Pratik Verma. Well written poetry good going
Book preview
Manchala मनचला - Pratik Verma
जाऊं कहां मैं तेरे बिना
बता मुझे ऐ मेरे हमसफर
तेरी लत लगी है मुझे
पीने दे तेरी हर नजर
कतरा कतरा कर मैंने
इस प्यार के सागर को बनाया है
तू जो नहीं तो कुछ भी नहीं
हर जगह सिर्फ तेरा साया है
पास हो तुम मेरे
तो यह जहां मेरा है
दूर जो चली जाए तू
तो सिर्फ गम का बसेरा है
खुदा से यही मांगता हूं
बंद पलकों में सूरत हो तेरी
जब मैं ना रहूं
तो कबर में तस्वीर हो तेरी
सोचता हूं तुझे
सोचता हूं तुझे चाहता हूं तुझे
दिल में कशिश है पाने की तुझे
तेरा साया इशारे करें
पीछा करे दिल मेरा तू जहां-जहां चले
रुक जा कहता है समा
तू थम जा मेरी खातिर ए दिलरुबा
देख शाम होने को है
ढलता हुआ सूरज खोने को है
सुन ले मेरी पुकार अंधेरा होने को है
फिर ना यह शाम आएगी
रह जाएगी तो सिर्फ यह काली रात
सांसें मेरी कह रही है
तू देदे मेरा साथ
जब जब तू चलती है
जब जब तू चलती है
पायल तेरी ये बजती है
जब-जब पायल बजती है
सांसें मेरी हर मोड़ पर तरसती है
रोक दो इस पायल की छम छम को
मुड़ कर देखो जरा हमें
जी भर के देख लेने दो
कहीं ऐसा ना हो
पायल के घुंघरू टूट जाए
और आंखें तुम्हारी
हमें देखने के लिए तरस जाए
महसूस करने दो पायल की आंहटे
जी लेने दो चंद लम्हे
क्या पता फिर कभी
हो ना हो यह बरसाते
कह दो इस पायल से
हमें ऐसे जख्म ना दे
मरहम ना लगा सके तो क्या
घुंगरू समझकर हमदम बना ले
सुनती जा ए बरसात
सुनती जा ए बरसात की रात
थोड़ी जो रहे गई प्यार भरी बात
ले चल संग तू मुझे
ताकी छू सकू हर मोड पर तुझे
बरसने दे होठो से
भीग जाने दे इन लम्हो मे
बंद कर पलके मेरी
मेहसुस करने दे हर बूँद को तेरी
फिर उस मोड पर मै खडा रह जाऊंगा
तेरी राह तकते हुए
भिगने की कशिश में खो जाऊंगा
तुझे पुकारेंगे मेरे गीत
कभी कोयल के सुरीले संगीत
तू आना जरूर
कही प्यासी रैना जाये न बीत
पर
ना सोचने की कोशिश करता हूँ
पर सोचे बगैर रह नही पाता हूँ
भूलने की कोशिश करता हूँ
पर याद के बगैर सो नही पाता हूँ
मरने की कोशिश करता हूँ
पर तुझे छोड कर दूर जाना नही चाहता हूँ
कमजोर दिल को मजबूत बनाने की
कोशिश में खुद से ही हार जाता हूँ
चेहरे पर हँसी तो है पर
मन को रोने से रोक नही पाता हूँ
तुझसे नफ़रत तो बहुत करता हूँ
पर प्यार की हद में उसे भी भूल जाता हूँ
दारु
दारु के नशे को नशा ना समझना
मेरे गम का नशा इतना है
मैंकदे की