लिखूँ तुम्हारे लिए (write for you)
By ARUN GUPTA
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About this ebook
This book is an anthology, poems are related to love and social issue.
यह पुस्तक, कविताओं का संग्रह है जिसमे सामजिक मुद्दों व् प्रेम से सम्बंधित कविताये है यह एक 157 pages की पुस्तक है जिसमे 90 से अधिक कविताये |
है | कुछ कविताये जीवन में होने वाली घटनाओ व् कुछ काल्पनिक प्रेम को दर्शाती है
ARUN GUPTA
Hi, I am Arun Gupta. I am a teacher. I like to write on social issues and love related poems. My Email- arungupta25j@gmail.com
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लिखूँ तुम्हारे लिए (write for you) - ARUN GUPTA
परिचय
यह कवि की तीसरी काव्य पुस्तक है, इसमें कवि ने सामाजिक मुद्दों से सम्बंधित कविताये लिखी है
इस पुस्तक में प्रेम को शब्दों के माध्यम से अभी व्यक्त किया गया है | इससे पूर्व तीन पुस्तक होगा सवेरा
तथा दूसरी पुस्तक नया सवेरा
एक अन्य कहानी की पुस्तक वो कौन
प्रकाशित हो चुकी है |
कवि अरुण गुप्ता
एक अध्यापक है, जिनकी शैक्षिक योग्यता M.Sc, B.Ed है| वर्तमान में उत्तर प्रदेश के बदायूँ जिले में अध्यापक पद पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे है |
Email-arungupta25j@gmail.Com
खो जाता हूँ मैं
तुम्हे देख मंदिर मस्जिद सब भूल जाता हूँ मैं
तुम में एक देवी पाता हूँ मैं
देखता हूँ जब तुम्हे,
देखता रह जाता हूँ मैं
खोना नहीं चाहता कभी भी
फिर भी, तेरे ख्यालो में खो जाता हूँ मैं
तू मुस्कुरा देती है जब
तो मुस्कुरा जाता हूँ मैं
बिना बात के ना जाने कितनी बात बताता हूँ मैं
भूल कर सब बातें अपनी
तुझ में खो जाता हूँ मैं
ढूंढ़ता हूँ खुशियाँ ना जाने कहाँ कहाँ
हर मंदिर में जाता हूँ मैं
चैन सुकून सब तेरे पास ही है
इसलिए तेरे पास ही आता हूँ मैं
खोना नहीं चाहता खुद को
फिर भी तुझ में खो जाता हूँ मैं
डूब जाऊं
डूब जाऊं ख्यालो में तेरे,
या जागूँ रात भर मैं
आवाज़ सुनूँ मै तेरे पायल की
या तेरे लिए गुनगुनाऊँ मैं
देखूं जब भी तुझे मैं
देख कर मुस्कुराऊँ मैं
खुद को भूल कर,
तुझ में खो जाऊं मैं
देखूं सपने मैं रात दिन
या पानी पर तेरी तस्वीर बनाऊँ मैं
देखूं जब रात में आसमान को,
चाँद से सुंदर तुझे पाऊँ मै
तारों से कह दूँ तुम भी देखो मेरे चाँद को
फिर बतलाओ अपने चाँद को
बस देखना ही, नज़र ना लगाना
और मेरे चाँद से सुंदर, अपने चाँद को अब ना बताना
आओ हम राम बने
मैं राम नाम को हूँ जपता
मेरे अंदर राम बसे
राम राम ही है कण कण में
राम नाम से ही मुक्ति मिले
आओ हम सब राम बने
सीखे हम राम के व्यक्तित्व से,
निरंतर हम आगे बढ़े
चाहे जीवन में कितने भी शूल मिले
सब से हम लड़ कर आगे बढ़े
आओ हम भी राम बने
जीवन सरल नहीं है इस जग में
पग पग पर है शूल बिछे
डरे नहीं हम तनिक भी
राम सा साहस हम रखें
आओ हम भी राम बने
जीवन में हो समस्या कैसी भी
विनम्र हम बने रहे
मानव को मानव हम समझे
सबरी हो या हो केवट या हो कोई और जाति
सब हमारे लिए मानव ही रहे
आओ हम सब राम बने
मेहँदी
लगाई क्यों है यह मेहँदी
क्या कोई शादी हो रही
सज रही है कोई किसी के लिए
या कोई सहेली तुम्हारी पराई हो रही
मेहँदी लगा कर क्यों आकर्षित करना हो चाहती
तुम तो बला की खूबसूरत हो,
फिर मेहँदी में अपने हाथ क्यों सनाती
रहने दो मेहँदी दूसरों के लिए
तुम्हारे खूबसूरत हाथ ही काफी है पागल