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जुगनू और चांद
जुगनू और चांद
जुगनू और चांद
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जुगनू और चांद

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About this ebook

पुस्तक *"जुगनू एंड चाँद"* लेखक *श्री* की कविताओं का संग्रह है। सम्राट केतन शर्मा*. जैसा कि शीर्षक से पता चलता है, इस पुस्तक में दो मुख्य पात्र हैं। जुगनू अपनी प्रेमिका को प्यार से चांद बुलाता है और हम सभी जानते हैं कि जुगनू कितनी भी कोशिश कर ले, जुगनू चांद तक कभी नहीं पहुंच सकता, यही कारण है कि इस किताब में दो अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं। कहाँ तो जुगनू ने अपनी प्रेयसी पर असीम प्रेम बरसाया है और कहाँ तो ऐसा लगता है मानो जुगनू को सारे संसार के दुःख, पीड़ा ने घेर लिया है। सभी रचनाएँ लेखक के दिल के बहुत करीब हैं। जिसमें लेखक ने प्रेम और विरह को सामंजस्य के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि पाठक जुगनू के प्यार के अनुभव का आनंद लेंगे।

Languageहिन्दी
Release dateJan 7, 2024
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    जुगनू और चांद - सम्राट केतन शर्मा

    (मुझे याद है ……..)

    मुझे याद है आज भी वो जब आप एक ठेला चला कर भी

    मेरी हर ख्वाहिशों को पूरा करते थे ।

    मम्मी बताती है की कैसे आप मुझे बचपन में कंधो पर बैठा कर घुमाया करते थे ।

    मम्मी बताती हैं की आप मेरे तेज रोने की वजह से कैसे

    घबराया करते थे ।

    जब आप जाते थे दिल्ली तो मेरे लिए कितने खिलौने लाया करते थे ।

    मुझे याद हैं आज भी जब आप मेरे लिए कितने सारी अपनी जरूरतों को भूल जाया करते थेl

    मुझे याद है जब मैं रोता था तो आप मुंझे किस तरह हँसाया करते थे ।

    मुझे त्यौहारो पर नए कपड़े दिला कर खुद पुराने ही पहन लिया करते थे |

    हाँ मुझे याद है आज भी वो मेरी चश्मे वाली पिचकारी और वो नाचने वाली कारें जो आप मेरे लिये लाया करते थे ।

    वो पापा ही थे मेरे जो मुझे मेरे कॉलेज बाइक से और खुद काम पे पैदल चले जाया करते थे ।

    मुझे याद हैं आज भी जब आप सिर्फ आठवी तक पढ़े थे और मेरे हाई स्कूल पास होने पर मुझसे ज्यादा आप खुश हुए थेl

    हाँ कैसे भी हो किसी के पापा पर उस बच्चे के लिए उसके पापा ही सब कुछ हुआ करते हैंl

    हाँ नहीं हैं अब वैसे कुछ भी दिन पर आज भी वो दिन कभी-कभी याद आ जाया करते हैं ।

    हर पिता का सपना होता हैं की उसका बेटा उससे ज्यादा कामयाब हो

    आप भी कभी फिक्र न करना चाहे जहाँ भी आप हो

    मैंने हारना कब सीखा हैं ।

    मैं कभी हार नही सकता क्योंकि मैंने चलना आपसे जो सीखा हैं ।

    हाँ बस इतना ही लिख पाया आपके लिए क्योंकि अभी इतना ही मैंने सीखा हैं ।

    वो हसीन लड़की

    एक तो वो इतनी हसीन

    और उसपे भी उसके बालों में गुलाब होता हैं

    ग़ुलाबी गाल उसके और लब गुलाब के से

    और दूजा फिर उसके हाथ मे होता हैं

    अश्क नही उतरते आँखों से उसकी

    फूल झड़ते हैं वो शख्स अगर कभी रोता हैं

    आती है उठ कर जब वो बगीचे से अपने

    तितलियाँ उदास होती हैं बग़ीचा रोता हैं

    शाम ढले फिर रात को जब वो सोने जाती हैं

    चाँद जागता हैं , जुगनू पहरा देता हैं

    सुब्ह सुबह फिर सूरज अपनी

    किरणों से उसका कमरा रौशन कर देता हैं

    मुस्कराये जब भी जैसे कोई कली ख़िल रही हो

    देखने पे उसको अक्सर ऐसा लगता हैं

    उसकी कोई बात करे उसके कोई किस्से छेड़े

    हाय ये सुनकर दिल को कितना अच्छा लगता हैं

    क़भी तितलियाँ छू कर तो कभी सूरज उसे छेड़ता हैं

    कभी उसकी ज़ुल्फ़ तो कभी मेरा दिल उसे छेड़ता हैं

    हम ही जलाते हैं

    हम ही जलाते ख़त तुम्हारे और फ़िर आँसुओ से बुझाते हैं

    राख समेत कर हाथों से अपने फिर उसे माथे से लगाते हैं

    हम ही करते हैं सारा दिन इंतजार उसका

    रात फिर उसे नजरअंदाज कर चले जाते है

    हम ही लाते हैं फूल उसके लिये

    और आते ही सामने उसके,हाथों में कहीं छुपा लिए जाते है

    हम ही लिखते हैं ख़त उसे

    और हम ही उसे पढ़ते और रख लिये जाते हैं

    हम ही देते हैं आवाज़ दर पे जाकर उसके

    फिर अपने ही आवाज़ पे लौट आते हैं

    हम तो भूल गए सारी बेवफाई उनकी

    फिर भी कहां वो अपने ठिकाने पर आते है

    सारी उम्र हमनें सिर्फ उससे प्यार किया

    फ़िर भी कहां अब वो हमारे होते है

    सच

    बहुत दिनों बाद मैंने व्हाट्सएप और फ़ेसबुक लॉगिन की थी

    एक तेरे मेसेज के आने की उम्मीद मैने की थी

    शायद तुम्हें भी मेरी फिक्र या याद आयी हो

    तुम्हारे दिल ने शायद फिर से तुझसे की रुसवाई हो

    जब तुम्हें मेरी ये खबर आयी हो

    पर फिर मेरी सोच धोखा खायी थी

    तेरा न कोई मेसेज न कोई कॉल आयी थी

    तेरी ये अदा बहुत कुछ जतायी थी

    की तू अब मेरी नही परायी थी

    कुछ इस तरह यारो उसने अपनी रुसवाई जतायी थी

    पर शायद तुझे पता नही

    मैं जान कर रहा था बाहर

    न दी थी मैंने खबर घर पर

    बस एक बात पता करने का जुनून था मुझ पर

    तू जैसा बोला करती थी क्या थी तू सचमुच हैं वैसी ही बाहर

    हा टूट गए थे पहाड़ मुझ पर

    जब पता चला तू नही वैसी जैसी दिखती बाहर

    मुझे संभाल लो

    मैं बहुत अकेला हूँ तुम्हारे जाने के बाद

    कभी तो आकर मेरा हाल पूँछ लो

    हाँ मैं जानता हूँ बहुत मसरूफ हो तुम जिंदगी में अपनी

    पर क़भी तो वक़्त निकाल कर मेरा हाल पूँछ लो

    कोई नहीं है मेरे पास जो हैरान हो मेरे हाल से

    आकर तुम्ही कम से कम मेरा हाल पूँछ लो

    बनाने में किसी की जिंदगी बिगड़ रही हैं मेरी

    तुम आकर प्लीज् मेरी जिंदगी संभाल लो

    गर नही तुम्हें फुर्सत मुझसे मिलने, बात करने की

    तो सारी उम्र में अपनी कुछ पल ही निकाल लो

    ये आँखे दुःखती हैं रो रोकर अब तेरे इंतज़ार में

    तुम अबके आकर इनसे अपने ख़्वाब निकाल लो

    बुझ गया तुम्हारा जलाया दिया कमरे में मेरे

    आकर अब तुम इसे फिर से जला लो

    घिर रहा हूँ मैं बहुत अंधेरो में अपने

    तुम मेरे कमरे से ये अंधेरा निकाल लो

    साँसे मेरी धीमी हो रही ,शराब ज्यादा हो गयी

    बिखरा हैं लहू कही तो कहीं सिगरेटों का धुँआ

    तुम आकर मुझे इन सबसे निकाल लो

    जा रहा हूँ अब मैं इस जहां से तेरे

    की इस बार ,की इस बार ,की इस बार

    मुझे अपने गले से लगा लो

    क्यों

    क्यो खड़े हैं आज सब सिराहने मेरे

    क्यो आज मुझे इस तरह लिटाया गया हैं

    क्यो बहा रहें आज सब आँसू मुझे देख कर

    क्यो आज मुझे सफ़ेद चादर उड़ाया गया हैं

    क्यो मुझें देख देख कर रो रही हैं मेरी माँ

    क्यो आज उसे भी यहाँ बुलाया गया हैं

    आये हो तुम जब आओ पास बैठो मेरो

    चलो आज तो तुम्हे हमसे मिलाया गया हैं

    क्यो देख रहे आज लोग बार बार चेहरा मेरा,हटा कर चादर

    क्यो ये मुझें सोने नही देते आज तो केतन सोने गया हैं

    क्यो छू रहे हैं आज सब पैर मेरे

    क्यो आज मुझें भगवान बनाया गया हैं

    क्यो बांध रहे सब रस्सी से मुझे

    क्यो मुझे आज फूलों से सजाया गया हैं

    क्यो चल रहे हैं सब आज साथ मेरे

    क्यो आज मुझें इस तरह उठाया गया हैं

    क्यो पहनाये जा रहे आज नए कपड़े मुझें

    क्यो आज मुझे इस तरह नहलाया गया हैं

    क्यो आज ढ़ाक रहे हैं सब लकड़ियों से मुझे

    क्यो आज मुझे तुलसी, कपूर ,घी चंदन लगाया गया हैं

    क्यो लिटाया गया हैं मुझे आज इस तरह के बिस्तर पे

    क्यो लोगो को अब मुझसे दूर हटाया गया हैं

    क्या है ये सब और मुझे क्यो जलाया गया हैं

    क्यो आज मेरे अपनो के हाथों मेरा वजूद मिटाया गया हैं।

    क्यो आज सब मुझें इतना याद कर रहे

    क्यो आज इतना मुझे प्यार किया गया हैं

    क्या आज मैं मर गया हूँ

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