प्रेम की तस्वीर: सौंदर्य की कलम के परे
By टी सिंह
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आंखें खोलना
दुर्घटना
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कुछ दिनों के बाद
दो हफ़्तों के बाद
तीन हफ़्तों के बाद
दो महीनो के बाद
तीन महीनो के बाद
दिलों की यात्रा
प्रेम की प्रखर चमक
इस दुनिया में जहाँ भावनाओं की गहराई रूप की चमक के नीचे दब जाती है, "प्रेम की तस्वीर: सौंदर्य की कल्पना के परे" जैसा उपन्यास एक ऐसे दस्तावेज के रूप में प्रकट होता है जिसमें इस बात की दलील होती है के सच्चे प्रेम की बदलने वाली शक्ति से दुनिया में कुछ ही हासिल किया जा सकता है। यह उपन्यास मानव हृदय की सहनशक्ति की एक अभूतपूर्व कहानी है।
इस उपन्यास के पन्नों के भीतर, मोहिनी और अनुभव की कहानी सामने आती है, एक ऐसी कहानी जो सामाजिक मानदंडों को चुनौती देती है और प्रेम की रूपरेखा को फिर से परिभाषित करती है। उनकी यात्रा, त्रासदी से जन्मी और करुणा से पोषित, उन जटिल धागों की गहन खोज है जो दो आत्माओं को साझा अनुभवों के बंधन में बांधते हैं।
जैसे-जैसे कहानी सामने आती है, मोहिनी के शारीरिक घावों और उसकी आत्मा की अदम्य सुंदरता के बीच का अंतर स्पष्ट हो जाता है। अनुभव, एक दृढ़ मित्र, एक नायक के रूप में नहीं बल्कि अटूट समर्थन के प्रतीक के रूप में उभरता है, एक अनुस्मारक कि सच्चा प्यार सतही दिखावे से प्रभावित नहीं होता है।
यह उपन्यास उस शक्ति का एक स्तोत्र है जो हम सभी के भीतर मौजूद है। इस कहानी के माध्यम से, टी. सिंह पाठकों को प्यार और सुंदरता के मापदंडों पर पुनर्विचार करने के लिए आमंत्रित करते हैं, यह पहचानने के लिए कि किसी व्यक्ति का असली सार सतह से परे, आत्मा के दायरे में निवास करता है।
एक ऐसी यात्रा पर निकलने के लिए तैयार हो जाइए जो पूर्वकल्पित धारणाओं को उजागर करती है और मानव हृदयों को ठीक करने, बढ़ने और एक-दूसरे की उपस्थिति में सांत्वना पाने की उल्लेखनीय क्षमता का पता लगाती है। "प्रेम की तस्वीर: सौंदर्य की कल्पना के परे" एक ऐसी कथा है जो हमारी भावनाओं के मूल को बयान करती है, हमें एक ऐसे प्यार को गले लगाने के लिए आमंत्रित करती है जो अपेक्षाओं से मुक्त है और मात्र दिखावे के चित्र से परे शानदार ढंग से चमकता है।
शुभकामना
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प्रेम की तस्वीर - टी सिंह
आंखें खोलना
बाहर की दुनिया जब गहरी नींद में सो रही थी, अस्पताल के रोगियों से भरे कमरों और खाली गलियारों में एक अजीब सी मजबूर सी शांति छाई हुई थी। आधी रात के समय भी डॉक्टर और नर्सें लोगों के उपचार में लगे हुए थे लेकिन सबकुछ ऐसे हो रहा था जैसे के वो डॉक्टर और नर्सें मूक पुतले थे और मशीनों की तरह अपना अपना काम कर रहे थे।
अस्पताल के मुख्य द्वार के पास ही स्वागत कक्ष में दो संतरी सचेत खड़े अपना कर्त्तव्य निभा रहे थे। उस सुनसान माहौल में उन दोनों के बीच होने वाली थोड़ी सी बातचीत ही कुछ सुखद आभास करवा रही थी। हस्पताल के अंदर और बाहर यूं तो पर्याप्त बत्तियां जल रही थी लेकिन उन बल्बों और ट्यूब लाइटों के प्रकाश को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे के वो भी किसी बात पर दुखी थी और शोक मना रही थी।
उस गंभीर शांति में, रात की ड्यूटी पर काम करने वाली नर्सें बहुत ही धीमे स्वरों में एक दूसरे से बातचीत कर रही थी। समय व्यतीत करने के लिए उनको सिर्फ बातचीत का ही सहारा था। कुछ नर्सें अखबारें या पत्र पत्रिकाएं पढ़ रही थी। बीच बीच में नर्सें धीमे से नजरें उठाकर सामने के बड़े वार्ड के मरीजों को भी दूर से ही देख रही थी।
कुछ डॉक्टर और कुछ नर्सें अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद आराम कक्ष में आराम कर रहे थे। ज्यादातर मरीज अपने अपने बिस्तर पर आंखें बंद किये पड़े थे, कुछ दर्द में थे और कुछ दवाइयों के प्रभाव में गहरी नींद में थे।
तभी एक मरीज के कमरे में से एक आवाज आयी,आंटी जी, अंकल जी, अब आप लोग घर जाइये और आराम कीजिये। आप बहुत थक गए होंगे। आप दोनों एक हफ्ते से सिर्फ कुछ घंटे ही सोये हैं। इस तरह से तो आप भी बीमार हो जाएंगे। आप अपने घर जाइये,
अनुभव की आवाज में चिंता और विनम्रता दोनों ही थे।
स्वामी ने अपनी पत्नी पंखुड़ी की तरफ दयनीय नज़रों से देखा, जैसे के वो अपनी पत्नी की सहमति चाहते थे।
आप बिलकुल भी चिंता मत कीजिये, अंकल जी! मैं यहीं रहूँगा!
लेकिन तुम भी तो इतनी रातों से हमारे साथ ही हो! तुम भी तो सोये नहीं होतुम्हें भी तो आराम की ज़रुरत है।
अनुभव आंटी और अंकल की तरफ देखकर मुस्कुरा दिया। उसकी मुस्कान में आश्वासन और चिंता दोनों ही थे। उसने दोनों को दिलासा दिलाते हुए कहा,मैं बिलकुल ठीक हूँ। आप सुबह आ जाएंगे तो मैं आराम कर लूंगा।
स्वामी ने खड़े होते हुए पूछा,वो ठीक तो रहेगी ना? मुझे उसकी बहुत चिंता है।
अंकल जी, मोहिनी अब पूरी तरह से सुरक्षित है। डॉक्टर लोग उसको अब आई सी यू से बाहर निकालने की तैयारी कर रहे हैं। कल सुबह ही वो लोग उसको इमरजेंसी वार्ड से बाहर ले आएंगे और जनरल वार्ड में रख देंगे। उस समय आपकी जरूरत होती। अभी तो बस आप घर जाइये और आराम कीजिये और कल सुबह तरो ताज़ा होकर आ जाइएगा।
अगर तुमको किसी चीज़ की ज़रुरत हुई तो…
अनुभव ने आभार से भरी आँखों से उनको