Swapna Sutra - Chupe Loko Ka Ehsaas
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About this ebook
Why do we dream that we're falling? Why do we dream about death? Why do our ancestors sometimes visit us in our dreams? And is there any meaning to the dreams we have?
Dream Sutra – Perceiving Hidden Realms chronicles the experiences of many people who were helped and healed, guided and communicated with, by the dreamer within themselves.
This anecdotal book aims to help us better understand our dreams and so that we may use that understanding to learn more about ourselves.
This book is the Hindi Version of Dream Sutra - Perceiving Hidden Realms
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Book preview
Swapna Sutra - Chupe Loko Ka Ehsaas - Hingori
हिंगोरी
SWAPAN SUTRA
by Hingori & Hannah
IstFirst Edition
Published in 2017 by
Pali Hills Tourist Hotel Pvt. Ltd. (Le Sutra)
Email: hingori@hingorisutras.com
Website: hingorisutras.com
Illustration, Design, Editing by : Team Hingori Sutras
eBook developed by Nandkumar Suryawanshi : Mobile Number - 9820366379.
All Rights Reserved
The content of this book may not be reproduced, stored or copied in any form; printed (electronic, photocopied or otherwise) except for excerpts used in review, without the written permission of the publisher.
Disclaimer
The views and opinions expressed in the book are the authors’ own and the facts are as reported by them, which have been verified to the extent possible, and the publisher is not in any way liable for the same.
ISBN : 978-81-938952-3-8
स्वप्न सूत्रस्वप्न सूत्रविषय सूची
स्वप्न सूत्रस्वप्न सूत्रस्वप्न सूत्रप्रस्तावना
सपनों की दुनिया में तर्क के लिए कोई जगह नहीं है। हजारों सालों से दार्शनिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मवादी स्वप्नावस्था के अस्तित्व को समझाने और उसकी प्रक्रिया की व्याख्या की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। सपनों की भाषा को जागृत अवस्था की शब्दावली में बदलने की लगातार कोशिशें जारी हैं। लेकिन कोशिशें अभी तक कोई आकार नहीं ले पाई हैं। और शायद इस किताब का भी सच यही है।
संतोष की बात ये है कि ‘स्वप्नसूत्र’ में इस विषय से संबंधित संग्रह और विश्लेषण कई ऐसे लोगों की मिली जुली कोशिशों का नतीजा है जिनका सरोकार ‘आध्यात्मिक विकास’ से है, और इन सबके गुरु एक थे- एक अद्भुत शख्सियत जो अपनी इच्छा से सूक्ष्म शरीर की यात्राएं करते थे (मैं खुद ऐसी कई यात्राओं का गवाह हूं)। वे अपने शिष्यों और भक्तों को उनके सपनों में आकर हिदायतें और संदेश देते और उनके साथ बातचीत भी करते थे।
उनके घर में एक मेहमान बनकर उनके साथ करीब एक दशक गुजारने के दौरान मुझे उनसे कई सपनों के अर्थ समझने का मौका मिला। उनके घर और कमरे में मौजूद रहने से मुझे उनके द्वारा की जा रही कई अन्य लोगों के सपनों की व्याख्याएं भी सुनने का अवसर मिला।
मैं इस बारे में सुनिश्चित नहीं हूं कि इस पुस्तक में दी जा रही विस्तृत सूचनाएं अपने आपमें पूर्ण हैं? लेकिन इतना जरूर है कि किसी अन्य स्त्रोत की तुलना में यहां आपको बहुत ज्यादा सामग्री मिलेगी। मेरी सह लेखिका हान्ना सौ से ज्यादा इंटरव्यू कर चुकी हैं और मेरी तुलना में अभिव्यक्ति का उनका तरीका कहीं ज्यादा प्रभावी है। आइए, हम सभी हान्ना के प्रवाहमय लेखन के साथ-साथ न सिर्फ उनकी इंटरव्यू करने की रोचक शैली, बल्कि अध्यात्म के मेरे कई साथियों एवं कई अन्य लोगों से उनकी गहरी पूछताछ का आनंद लेते हैं।
स्वप्न सूत्रसपने, आभास और शरीर से बहार के अनुभव
अध्याय-१
सपने हमें खुशी और गम की ओर प्रेरित कर सकते हैं और इसके साथ ही हमें संदेश और राहत भी देते हैं। योगी, संत और ऋषि-मुनियों ने अपने संदेश देने के लिए सपनों को माध्यम बनाया है। सपनों को सभी धर्मों और प्राचीन ग्रंथों में सपनों के जरिए भविष्य के बारे में सचेत करने का उल्लेख मिलता है। ऐसे सपने कभी भी, किसी को भी आ सकते हैं। सपनों का आना या न आना इंसान की उम्र या उसकी विकलांगता पर निर्भर नहीं होता।
आखिर सपने हैं क्या? क्या वह कुछ के लिए प्रेरणा और अन्यों के लिए उनकी लालसा या आकांक्षाओं को दर्शाते हैं या वे फिर खाली हमारे दिमाग की खोजबीन हैं?
जहां सपनों का इतिहास सृष्टि की रचना जितना पुराना है, उतना ही पुराना इसके विषय में उत्सुकताओं, सोच-विचार और बहस का इतिहास भी है।
इस रहस्यपूर्ण विषय को गहराई से जानने और समझने के लिए हमें सपनों की दुनिया में जाना होगा...
सपने, आभास और शरीर से बहार के अनुभव
सीधे शब्दों में कहें तो सपने उन विचारों, छवियों और उत्तेजनाओं की श्रृंखला हैं जो किसी इंसान के दिमाग में सोते समय उठते हैं।
अगर सपने सोते समय आते हैं तो फिर आभास क्या है? कई लोग स्वप्न और आभास शब्दों का एक-दूसरे के लिए इस्तेमाल करते हैं। आभास भी विचारों, छवियों और उत्तेजनाओं की श्रृंखला है, लेकिन इसका समय अर्ध-निद्रावस्था है, अर्थात वह अवस्था जब व्यक्ति न तो पूरी तरह सोया हुआ होता है और न ही पूरी तरह जागा हुआ, यानी कि आधा सोया और आधा जागा हुआ। लोगों को आभास की अनुभूति या तो ध्यानावस्था में होती है या सम्मोहन की अवस्था में। लेकिन ऐसा नशीले पदार्थों और मूड में बदलाव लाने वाली दवाओं के प्रयोग से भी हो सकता है।
गहरी नींद की अवस्था में शरीर से बाहर के अनुभव के दौरान भी इंद्रियबोध, विचारों का आना जाना और छवियों का सामने आना हो सकता है। शरीर से बाहर के अनुभव, वे अनुभव हैं, जब आप खुद को अपने शरीर से बाहर निकला हुआ महसूस करते हैं। ज्यादातर ऐसे मौकों पर आप अपने सोए हुए शरीर को देख सकते हैं। आपका वह हिस्सा जो आपके शरीर से बाहर विचरण कर रहा होता है, दीवारों और छतों को पार कर सकता है और कभी-कभार देखी-अनदेखी जगहों के ऊपर से बहुत ज्यादा ऊंचाई पर उड़ता हुआ भी जाता है। कुछ खास मामलों में आप चीजों को छू और खिसका भी सकते हैं और भौतिक संसार में उन्हें वापस भी ले आते हैं। मेरी ये बात आपको इस किताब में दिए गए उदाहरणों से पूरी तरह समझ में आ जाएगी।
सपनों के वर्ग
इंसान और जानवर दोनों ही सपने देखते हैं। कुछ सपने हमारी स्मृति में रहते हैं और कुछ सपनों को हम जल्दी ही भूल जाते हैं। कुछ को रंगीन सपने दिखते हैं तो कुछ को ब्लैक एंड व्हाइट।
आइए हम सपनों की दुनिया को बाँटकर उनका विश्लेषण करें। इसके लिए आपको सबसे पहले स्वप्नावस्था के सभी सात वर्गों को जानना होगा, ताकि आप अपने सपनों की इन स्तरों से तुलना कर सकें।
शुरुआत हम उन सपनों से करते हैं जिनके आने से अक्सर कुछ खास संस्कार स्वप्नावस्था में ही खत्म हो जाते हैं।
कुछ साल पहले एक रात मुझे सपने में एक के बाद एक लगातार दो कार दुर्घटनाएं दिखीं। दोनों ही दुर्घटनाओं में मैं तबाह हुई कारों के अन्दर मौजूद था। मैं कारों में फंसा हुआ था और उस डर को मैंने बखूबी महसूस किया। दुर्घटना स्थल पर जमा लोगों ने मुझे कार से बाहर निकाला। एक के बाद एक दो-दो कार दुर्घटनाओं का आतंक और उससे जुड़े तमाम डरावने अनुभवों से गुजरने का एहसास ही रूह को कंपा देता है। जज्बाती तौर पर भी वह एहसास बेहद डरावना था और जब मेरी नींद टूटी तो खुद को जिंदा देखकर मेरी जान में जान आयी।
उस वक्त जो पहला ख्याल मेरे मन में आया वह यह था कि भौतिक जीवन में मुझे होने वाला कोई भी शारीरिक नुकसान सपनों में हुई इन कार दुर्घटनाओं के जरिए टल चुका है।
इसके बावजूद ये ख्याल मुझे अगले दिन कार चलाते समय कुछ ज्यादा ही सावधानी बरतने से रोक नहीं पाया। खासतौर से तब, जब मैं उन जगहों से गुजरा, जहां मैंने सपने में उन दो दुर्घटनाओं को होते देखा था, तो मोड़ और घुमावों पर मैंने कार की गति बहुत ही धीमी कर ली थी। ये वही जगहें थीं जिनसे होकर मैं हर दिन अपने ऑफिस जाता हूं। भले ही मैं डरा हुआ था लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं। मैं आसानी से उन जगहों से होकर गुजर गया। मैं सुरक्षित था। गुरु कृपा से मेरे भाग्य का लिखा मेरे एक समानांतर अस्तित्व के साथ पूरा हो गया।
हममें से कई लोगों ने सपने में खुद को या अपने प्रियजनों को मौत से लड़ते या मौत से हारते हुए देखा होगा। आमतौर पर यह माना जाता है कि सपने में अपने किसी करीबी व्यक्ति की मौत उसकी जिंदगी को बढ़ा देती है। ज्यादातर मामलों में ये बात सही साबित होती है। ऐसे सपनों का छुपा हुआ अर्थ यह है कि मृत्यु हुई जरूर, लेकिन असल के बजाय उसके, किसी समानांतर अस्तित्व की हुई। इस तरह सपने में हुई मौत ने उस व्यक्ति की भौतिक अवस्था में होने वाली मौत की संभावना को दूर कर दिया। कुल मिलाकर इस बात का निचोड़ यह है कि ‘स्वप्नावस्था’ भी समानांतर वास्तविकता है। इसलिए ‘स्वप्नलोक’ का अर्थ है वह ‘आयाम’ जहां सपनों का अस्तित्व होता है या जहां वे घटित होते हैं।
वैधानिक चेतावनी: कृपया नोट करें, कि यह जरूरी नहीं है कि सपने में घटने वाली हर एक घटना हमारी असली जिंदगी में ना घटे क्योंकि कुछ सपने पूर्वसूचक होते हैं, वे हमें चेतावनी देते हैं। ये बात भ्रमित कर देने वाली जरूर है लेकिन असल में जिन लोगों को अक्सर पूर्वसूचक सपने दिखते हैं, उसका अर्थ ये है कि वे सपनों में घटित नहीं हुए और उनका जीवन में फलित होना बाकी है।
साल १९९४ के वसंत में नीना ने सुबह-सुबह सपना देखा कि उनकी मां बीमार हैं। हर दिन की तरह वह उस दिन भी अपने समय पर उठीं, उन्होंने अपने बच्चों के स्कूल के लिए लंच पैक किया और वापस सोने चली गयीं। सोने की शौकीन नीना को ज्यादातर सपने सुबह के समय आते थे। बहरहाल अब उन्हें सपने में मां बेहद कमजोर और बिस्तर में लेटी हुई नजर आयीं। उनके पास बैठी नीना की चाची, रोते हुए नीना से कह रही थीं कि तुम्हारी माँ बहुत बीमार है। ‘मुझे याद है, चाची मुझसे बात किए जा रही थीं और मैं उनकी तरफ ध्यान ही नहीं दे रही थी। ताज्जुब की बात यह है कि सपने में भी मुझे पता था कि मैं सपना देख रही हूं। इसके बावजूद मैं इतने तनाव में और घबराई हुई थी कि इतने साल बीत जाने के बावजूद मेरे जेहन में वह सपना आज तक ताजा है।’
लगातार बजती फोन की घंटी से नीना की नींद टूटी। फोन पर उनकी चचेरी बहन थी। उसने बताया कि नीना की मां जब सुबह सोकर उठीं तो उनकी आवाज बंद थी। ‘मां ने बोलने की बहुत कोशिश की लेकिन उनके गले से आवाज तो दूर, फुसफुसाहट तक नहीं निकली।’
नीना की मां जिंदा थीं। लेकिन वह एक शब्द भी नहीं बोल पा रही थीं, हालांकि १५ दिनों बाद वह खुद-ब-खुद ठीक हो गयीं। ऐसा क्यों हुआ, ये न तो उन्हें पता था और न डॉक्टर ही कुछ बता पाए। क्या नीना के सपने से इस घटना का कोई रिश्ता था? शायद!
स्वप्न सूत्रसपनों का अगला वर्ग वह है जिसमें सपने ‘पूर्वसूचक’ होते हैं, अर्थात वे पहले से ही भविष्य में किसी होने वाली घटना की सूचना दे देते हैं। एक बार दीपांग्शु ने मुझे अपने सपने के बारे में बताया था जिसे ‘पूर्वसूचक’ कहा जा सकता है। साल २००८ में, जब उनकी शादी को एक साल भी नहीं हुआ था, उन्हें सपने में एक बहुत ही विशाल स्लेटी त्रिकोण नजर आया। वह त्रिकोण इतने बड़े आकार का था कि दीपांग्शु कहते हैं, ‘मैं उसके सामने एक चींटी जितना दिख रहा था।’ उस त्रिकोण जैसी आकृति ने दीपांग्शु की ओर अपने हाथ बढ़ाए जिसमें एक बच्ची थी। दीपांग्शु ने जैसे ही बच्ची को लेने के लिए अपने हाथ आगे किए, उन्हें असमी भाषा में एक आवाज सुनाई पड़ी, ‘ये तुम्हारी बेटी है, इसका नाम अनोया है।’
दीपांग्शु बताते हैं कि बच्ची को थामते समय वे भयभीत लेकिन श्रद्धा से भरे थे।
सपने से घबराकर दीपांग्शु की नींद खुल गयी। उनकी पत्नी और उन्होंने अभी तक बच्चे के बारे में सोचा ही नहीं था, फिर यह सपना कैसा? बेचैन होकर उन्होंने अपने सपने का अर्थ जानने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया तो उन्हें पता चला हिब्रू भाषा में अनोया का अर्थ ‘ईश्वर का जवाब’ होता है।
इस घटना के तीन साल बाद दीपांग्शु की पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया। उसका नाम रखा गया, ‘अनोया’। जब मैंने दीपांग्शु से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा, ‘जब मेरी बेटी पैदा हुई तो मुझे और मेरी पत्नी, दोनों को ही पता था कि उसका नाम क्या रखना है। वह एक ऐसा तोहफा थी जो मुझे सपने में मिला था।’ जैसा कि उन्हें बच्ची के नाम का सही उच्चारण भी याद था इसलिए उन्होंने उसका नाम ‘अनोया’ ही रखा।
त्रिकोण जैसी आकृतियां किसी शक्ति की प्रतीक तो जरूर हैं लेकिन अभी तक मैं उनके बारे में पूरा नहीं समझ पाया हूं। मेरे आध्यात्मिक सहयोगियों में से उद्वव और जैन साहब दोनों ही ऐसे त्रिकोणों को जागृतावस्था में देख चुके हैं। उद्वव को वे बहुत ही शक्तिशाली महसूस हुए। उन्होंने जैसे ही दो त्रिकोणों को खिड़की से अपने कमरे में दाखिल होते देखा, उनके शरीर और जुबान को जैसे लकवा मार गया। इसके विपरीत जैन साहब को त्रिकोणों का दिखना, देव शक्ति के दर्शन जैसा महसूस हुआ।
सपनों का अगला वर्ग उन खास तरह के सपनों का होता है जिनका कोई अर्थ नहीं होता। सपनों की यह बेहद आम किस्म है। ऐसे सपनों में मन के विचार और बातचीत पानी के बुलबुलों की तरह होते हैं और बहुत ही अजीब से होते हैं। मिसाल के तौर पर ऊंची-ऊंची इमारतों की छतों से सुपरमैन की तरह कुदना या जेम्स बॉण्ड की तरह अकेले ही कई-कई गुंडों की पिटाई कर देना।
आइए देविना के इस सपने पर गौर करें- ‘कल रात मैंने सपने में देखा कि मैं फिश टैंक में मछलियों को चारा खिला रही हूं। चारा देरी से मिलने की वजह से मछलियां बेहद गुस्से में नजर आ रही थीं। टैंक में उनके साथ एक शेर भी तैर रहा था। जब मेरी नींद खुली तो याद आया कि सोने से पहले मैं मछलियों को चारा खिलाना भूल गयी थी। लेकिन मेरे इस भूल जाने की वजह क्या थी? दरअसल मैं उस दिन बच्चों के साथ पिक्चर हाल में ‘लायनकिंग’ देखकर आयी थी। जब हम लौटे तो रात बहुत हो चुकी थी और मैं बहुत थकी हुई थी। इसलिए सोने से पहले मैंने सोचा, मछलियों को चारा