Kya Karen Jab Maa Banana Chahen - (क्या करे जब मां बनना चाहें)
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— चार्ल्स जे. लॉकवुड, एम.डी. (पुस्तक की प्रस्तावना से)
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Book preview
Kya Karen Jab Maa Banana Chahen - (क्या करे जब मां बनना चाहें) - Heidi Markof and Saron Mazel
योजना
भाग 1
गर्भधारण की तैयारी
अध्याय-1
गर्भाधान से पहले की तैयारी
क्या वास्तव में आप प्रेगनेंट होना चाहती हैं और क्या आपने इसके लिए प्रयास भी तेज़ कर दिए हैं....? हालांकि इसके लिए गर्भ निरोधक उपायों को छोड़ना भी ज़रूरी होता है, किन्तु शिशु की उत्पत्ति के लिए केवल इतना करना ही काफी नहीं है। आपके ओव्युलेशन की भी सही जानकारी रखनी होगी (शायद आप भी इस पर ज़्यादा ध्यान देना चाहती हों) और साथ ही सही स्थिति में आनंदित और प्रसन्नचित्त होकर सेक्स करना होगा (ताकि आपका ध्यान पूरी तरह से अपने लक्ष्य पर रहे। साथ ही अपने तथा अपने साथी के शरीर को भी इसके लिए सही व स्वस्थ तरीके से तैयार करना होता है। प्रजनन प्रयासों के दौरान दंपती द्वारा ली जाने वाले पदार्थ से लेकर औषधियों तक, विटामिन्स लेने की आदत डालने से लेकर छोड़ने तक - आपके गर्भाधान की तैयारी आपके सही मार्ग को अपनाने के साथ ही प्रारंभ हो जाते हैं, जो गर्भाधान को सरल और आशान्वित बनाते हैं और प्रेगनेंसी को सुरक्षित व अपेक्षाकृत सरल बनाते हैं, इसलिए इससे पहले कि आप शिशु निर्माण के लिए यौन संबंध बनाएं, इस अध्याय को पढ़कर जानियें कि आपको सबसे पहले क्या कदम उठाने चाहिए।
खुलकर विचार-विमर्श करें
क्या आप (टीटीसी) अर्थात् गर्भधारण के प्रयास कर रहे हैं? यदि आप यह पुस्तक पढ़ रहे हैं तो शायद हां, लेकिन हो सकता है कि आपको इसके वास्तविक शब्दार्थ का ज़रा भी ज्ञान न हो। इसका तात्पर्य गर्भाधान हेतु किये जाने वाले सही प्रयासों से है। दूसरे शब्दों में ‘ट्राईंग टू कन्सीव’। आज गर्भाधान की तैयारी पर बात करते समय ऐसे कई संकेताक्षर प्रचलन में हैं (किसी भी वेबसाइट पर आपको ऐसे ढेरों संकेताक्षर मिलेंगे। पुस्तक में भी ऐसे ही कई संकेताक्षरों का कई-कई बार प्रयोग हुआ है। संभवतः यह भाषा आपको कुछ नई लगे, किन्तु इससे आप शब्दार्थ को भली-भांति समझ सकेंगे। पुस्तक के फर्टिलिटी प्लॉनर वाले भाग में आप गर्भाधान पूर्व स्थिति से संबंधित शब्दों की पूरी शब्दावली पाएंगे, लेकिन पुस्तक में कुछ शब्दों का आमतौर पर उपयोग किया गया है; जैसे कि :
टी.टी.सी. - गर्भाधान या गर्भधारण का प्रयास करना
ए.एफ. - आपका मासिक धर्म
बी.डी. - सेक्स
ओ - ओव्युलेशन
केवल पिता के लिए जरूरी
बातें संतान उत्पत्ति सदैव दो व्यक्तियों के लिए उपयोगी होगी, बॉक्स में दी गई (माता-पिता) के सहयोग से की जाती जानकारी, महत्त्वपूर्ण टिप्स, सुझाव और रही है, किन्तु जैसा कि प्रेगनेंसी के परामर्श जो विशेष तौर पर भावी पिता मामले में तो गर्भाधान पूर्व स्त्री ही पूरी का मार्गदर्शन करेंगे। अत: यदि आप तरह केंद्र में होती है, किन्तु ऐसा नहीं पिता बनने के इच्छुक हैं तो इन बॉक्स होना चाहिए, क्योंकि शुक्राणु और अंडे में दी जानकारियों को अवश्य देखें जो के मिलने से पहले गर्भाधान हेतु पति-पत्नी केवल आपके लिए ही दी गई है। जिन्हें दोनों को ही सहयोग करना पड़ता है। आप पूरी तरह से एक पिता के लिए यद्यपि यह पुस्तक भावी माता-पिता दोनों उपयोगी पाएंगे और लाभान्वित होंगे।
स्वस्थ शरीर के लिए ज़रूरी है स्वास्थ्य जांच
इसका मतलब है कि आपके समग्र स्वास्थ्य का सीधा संबंध आपकी समग्र फर्टिलिटी से होता है। आख़िरकार दो स्वस्थ शरीर मिलकर ही एक स्वस्थ शिशु की रचना कर सकते हैं, तो समझ लीजिये कि इसके लिए यही सबसे बेहतर समय है जब आपकी आशान्वित आंखों में आपके भावी शिशु की झलक उभर सकती है, यह आप दोनों पति-पत्नी के समग्र स्वस्थ शरीर पर निर्भर करता है। अतः यह सुनिश्चित करें कि आप दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं। सेहत के हर पहलू से, चाहे वह ली जाने वाली औषधियों की बात हो या आपके द्वारा ली जाने वाली इक्युनिटी की या फिर पुराने रोगों की स्थितियों को नियंत्रण करने की आवश्यकता हो अथवा दांतों की सुरक्षा भी, जो आपकी सेहत व फर्टिलिटी पर प्रभाव डाल सकते हैं और भविष्य में होने वाली प्रेगनेंसी पर भी, इसलिए तुरंत अपनी स्वास्थ्य जांच से इसकी शुरुआत करें।
गर्भधारण से पूर्व हेल्थ चेकअप
मैं जवान हूं, मेरी सेहत अच्छी है और मेरे पीरियड नियमित हैं। तो क्या मुझे प्रेगनेंट होने की कोशिश करने से पहले डॉक्टर से मिलने की जरूरत है?
जन्म पूर्व सुरक्षा गर्भधारण से काफी पहले ही प्रारंभ हो जाती है (और यह केवल आपके प्रजनन अंगों तक ही सीमित नहीं रहती, इसलिए अपने शरीर को पूरी तरह स्वस्थ व उपयुक्त बनाने का यही सबसे उचित समय है। चाहे आप कभी बीमार न पड़ी हों फिर भी गर्भ में शिशु के आने के बाद डॉक्टर के पास भागने से बेहतर है कि आप गर्भाधान से पहले ही सेक्स संबंधी मामलों के प्रति सजग हो जाएं (और यदि आप किसी जोख़िम भरी स्थिति से गुज़र रही हों तो गर्भाधान पूर्व ही यह सतर्कता और तैयारी और भी ज़रूरी हो जाती है)। अतः सभी कुछ ठीक-ठाक रहे यह सुनिश्चित करने के लिए अपने अंतरंग डॉक्टर या गायनीकोलॉजिस्ट से मिलें और साथ ही अपने डेंटिस्ट से भी परामर्श लें ताकि जन्म पूर्व पूरा हेल्थ चेकअप हो सके।
सामान्य स्वास्थ्य जांच
सबसे पहले अपने स्वास्थ्य की सामान्य जांच हेतु डॉक्टर के पास जाएं (कुछ प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (ओबज़ीन) भी आमतौर पर पूरे शरीर की जांच करते हैं, यदि आपकी डॉक्टर भी करती हो तो उनसे भी स्वास्थ्य की सामान्य जांच के साथ-साथ तभी प्रजनन स्वास्थ्य की भी जांच करवाई जा सकती है। आपकी इस जांच में निम्न जांच होनी चाहिए:
• वजन की जांच करें - शरीर की जांच के साथ अपने वजन की जांच करवाना भी ज़रूरी है, क्योंकि आपकी सोच से परे आपके वजन का आपकी फर्टिलिटी और प्रेगनेंसी हेल्थ से गहरा संबंध होता है, इसलिए शरीर के लिए उपयुक्त वजन को जानें। यदि आपके शरीर का न्यूनतम भार (आपके आकार व शरीर रचना के लिए निर्धारित वजन के अनुसार नहीं है), जो कि होना चाहिए, तो ऐसे में आपका डॉक्टर गर्भाधान हेतु आवश्यक वजन बढ़ाने में आपकी मदद करेगा। शारीरिक भार और फर्टिलिटी संबंधी अधिक जानकारी अध्याय 2 में दी गई है।
• संपूर्ण शारीरिक जांच - इसमें पूरे शरीर की विस्तृत जांच की जाएगी, इसलिए इसके लिए पूरी तरह से तैयार रहें। गहरी सांसें भरकर स्वयं को तैयार करें और ब्लड प्रेशर की जांच के लिए आगे बढ़ें।
• दवाइयों की सही जानकारी - यदि आप कोई दवाइयां ले रहे हों या अभी वे केवल प्रिस्क्रिप्शन में ही हों तो ऐसे में उन सभी के बारे में डॉक्टर से खुलकर बात करें (चाहे वह विटामिन या हर्बल सप्लीमेंट ही क्यों न हों) क्योंकि कुछ दवाइयां गर्भावस्था के दौरान नहीं ली जानी चाहिए, जब कुछ दवाइयां नुकसान नहीं पहुंचाती, अतः आपके मेडिकल कार्ड में बदलाव अनिवार्य हो जाता है।
• ब्लड टेस्ट - हालांकि, कोई भी खून की जांच करवाना पसंद नहीं करता, किन्तु कुछ रोगों को जानने के लिए रक्त की जांच अनिवार्य होती है, जिनके लिए डॉक्टर स्वयं जांच का सुझाव देते हैं। यदि आप गर्भवती हो भी जाएं तो भी डॉक्टर ये टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं, इसलिए आपको निःसंकोच और निर्भय होकर आगे आना चाहिए, ताकि शरीर में छिपी बीमारियां सामने आ सकें। यदि आप इस दौरान गर्भवती हो जाती हैं तो इन टेस्ट को बार-बार करवाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। ये टेस्ट आपके ओबज़ीन द्वारा भी किये जा सकते हैं।
- हीमोग्लोबिन या हीमैटोक्राइट को प्रेगनेंसी के दौरान बेसलाइन के तौर पर और एनीमिया की जांच के लिए किया जाता है (आमतौर पर महिलाओं के शरीर में उनकी सोच से कम लौह तत्त्व पाए जाते हैं, जो उनके मासिक धर्म में उत्सर्जित ख़ून के कारण होता है।
- आरएच फैक्टर को यह देखने के लिए किया जाता है कि आपका रक्त समूह नेगेटिव केटेगरी का है या पॉज़िटिव का। यदि आपका ब्लड ग्रुप नेगेटिव हो तो आपके साथी की जांच यह जानने के लिए की जानी चाहिए कि उसका ब्लड ग्रुप पॉज़िटिव हो।
- रुबेला टाइटर, जांच रुबेला (जर्मन मीज़ल्स) अर्थात् खसरे से प्रतिरक्षा के लिए की जाती है।
- वेरीसेला टाइटर, जांच वेरीसेला (छोटी माता) से प्रतिरक्षा के लिए की जाती है।
- यूरिन, अर्थात् मूत्र की जांच मूत्रमार्ग के संक्रमण तथा किडनी रोगों को ज्ञात करने के लिए की जाती है।
- टयूबरकुलोसिस, अर्थात् टी.बी. की जांच अनिवार्य तौर पर करनी पड़ती है, यदि आपके जोख़िम का लेवल ज़्यादा हो।
- हेपेटाइटिस बी, एक हेल्थ केयर वर्कर होने के तौर पर यदि आपको अधिक जोख़िम का ख़तरा हो और आपने प्रतिरक्षा टीका नहीं लिया हो तो यह संबंधित उपाय करना चाहिए।
- साइटोमैगाइलोवायरस एंटीबॉडी टाइटर्स, यह देखने के लिए कि आप सीएमवी से प्रतिरक्षित हैं (आमतौर पर यह जांच नहीं कराई जाती)। यदि आपको हाल ही में सी.एम.वी. संक्रमण से उपचार दिया गया हो तो आमतौर पर छह महीने तक प्रतीक्षा करने की सलाह दी जाती है - जब गर्भाधान से पहले रक्त में एंटीबॉडिज़ प्रकट होने लगते हैं।
- टोक्सोप्लाज़्मोसिस टाइटर्स, यदि आपके घर में पालतू बिल्ली हो और बच्चा या इधर-उधर से मांस खाती हो या आप बिना दस्ताने पहने बागवानी करती हों तो यह टेस्ट करवाना पड़ता है। यदि आप प्रतिरक्षा टीका लेने वाली हों तो आपको टोक्सोप्लाज़्मोसिससे अपने भ्रूण को किसी प्रकार के संक्रमण की चिंता नहीं करनी चाहिए।
- थयरॉयड फंक्शन, क्योंकि थायरॉयड का प्रेगनेंसी और फर्टिलिटी पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए प्रत्येक महिला को गर्भाधान से पहले इसकी जांच अवश्य करानी चाहिए। यदि आपको कभी थायरॉयड की समस्या रही हो या अब हो अथवा आपके परिवार में किसी को भी यह रोग हुआ हो तो विशेष तौर पर जांच करवाएं (ख़ासतौर पर अपनी मां और परिवार की अन्य महिलाओं की जांच अवश्य करवाएं)।
- सेक्सुअली ट्रांसमिटिड डिज़ीज़ (एस.टी.डी.), इसकी जांच अपनी सामान्य स्वास्थ्य जांच के दौरान या अपनी स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा भी करवाई जा सकती है।
इनके अलावा किसी भी ऐसी समस्या की भी जांच की जा सकेगी जिन्हें गर्भाधान पूर्व ठीक करने की आवश्यकता हो या गर्भावस्था के दौरान जांचने की ज़रूरत हो। यदि किसी टेस्ट से ऐसी स्थिति का पता चले जिसे उपचार की ज़रूरत हो तो यही उनसे सुरक्षा पाने का सही समय कहा जा सकता है। साथ ही छोटी वैकल्पिक सर्जरी का भी ध्यान रखें और साथ ही अब सभी छोटी-बड़ी चिकित्सकीय समस्याओं का भी जिन्हें आप अब तक टालती रही हैं।
यदि आप पी.के.यू. बेबी थीं (यदि आपको निश्चित तौर पर नहीं पता तो अपने माता-पिता से पूछिये या फिर अपना मेडिकल रिकॉर्ड देखिये), यदि ऐसा था तो गर्भधारण करने से तीन महीने पहले ही फेनिल-ऐलानिन मुक्त भोजन लेना शुरू कर दें और पूरी प्रेगनेंसी के दौरान जारी रखें। यदि आपको एलर्जी शॉट्स की ज़रूरत है तो तुरंत उनकी ओर ध्यान दें - यदि आपने अभी से एलर्जी की संवेदनशीलता कम करने हेतु डिसेंसीटाइज़ेशन शुरू कर दिया तो आप उसे गर्भधारण करने तक जारी रख सकेंगे, क्योंकि डिप्रेशन या अवसाद गर्भधारण करने (तथा स्वस्थ व सुखद प्रेगनेंसी) में रुकावटें डाल सकता है, इसलिए अपने सुखद गर्भाधान के बीच बाधा डालने से पहले ही इसका निदान किया जाना चाहिए (गर्भधारण के प्रयासरत् एंटीडिप्रेशन्ट्स के उपयोग को संबंधित शीर्ष के अंतर्गत पढ़ें)।
गर्भाधान से पहले की तैयारी और क्रॉनिक कंडीशन्स (लंबे समय से हावी रोगों की स्थिति)
यदि आपका स्वास्थ्य लंबे समय से डायबिटीज़, अस्थमा, हॉर्ट प्रॉब्लम्स, एपिलेप्सी, रिनाल डिज़ीज़, हाई ब्लड प्रेशर जैसे क्रॉनिक रोगों से जूझता रहा है, तो ऐसी स्थिति में गर्भधारण करने के प्रयास का निर्धारण करना अपेक्षाकृत इतना आसान नहीं होता जैसे कि आप गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमाल बंद कर दें और यौन संबंध बनाने में लीन हो जाएं, बल्कि इसमें इनसे भी अपेक्षाकृत अधिक देखरेख की ज़रूरत होती है। लेकिन कुछ अच्छी ख़बरें भी आपकी प्रतीक्षा करती हैं - विशेष तौर पर जब से आप गर्भधारण करने की दिशा में प्लानिंग करना प्रारंभ करते हैं।
हालांकि, यदि मां पर रोगों के लंबे समय से चले आ रहे प्रभाव को सही प्रकार से नियंत्रित न किया जाए तो प्रेगनेंसी को कई प्रकार के ख़तरे होते हैं और यदि इन ख़तरों को शुक्राणु और अंडे के मिलन से पहले ही नियंत्रित कर लिया जाए तो जोख़िमों को काफी सीमा तक नियंत्रित और यहां तक कि पूरी तरह मिटाया भी जा सकता है। सही देखभाल और सावधानियों का पालन कर अधिकतर क्रॉनिक कंडीशन्स को गर्भाधान अनुसार बनाया जा सकता है और सफलतापूर्वक स्वस्थ प्रेगनेंसी की जा सकती है।
लेकिन, सबसे पहले पहला कदम उठाना चाहिए। प्रेगनेंसी की दिशा में आपका पहला कदम आपके स्वास्थ्य विशेषज्ञ के क्लीनिक की ओर जाता है, जहां आप गर्भाधान से पहले अप्वाइंटमेंट लेटे हैं। (अथवा यही विशेषज्ञ अर्थात् इंटरनिस्ट आपके स्वास्थ्य पर नज़र रखता है)। वह इस बात की समीक्षा करेगा/करेगी कि आप किस तरह से अपनी सेहत का ध्यान रख रही हैं और तत्पश्चात् निर्धारित करेगा कि आप गर्भाधान के लिए तैयार हैं या फिर इससे पहले आपकी जीवनशैली या आपके उपचारकाल प्लान में किसी परिवर्तन की ज़रूरत है। हो सकता है कि आपके खानपान में बदलाव करना पड़े, वजन घटाना या बढ़ाना पड़े या अपनी फिटनेस को और सुधारना पड़े। हो सकता है कि आपको कुछ दवाइयां बंद करनी पड़ें, जिनकी आपको अब आवश्यकता न हो या फिर ऐसी दवाइयों का सहारा लेना पड़े जो फर्टिलिटी और प्रेगनेंसी की दृष्टि से सुरक्षित हों (अथवा तनाव व अवसाद से मुक्ति के लिए मेडिटेशन या एक्युपंचर जैसी वैकल्पिक पद्धतियों को शामिल भी करना पड़े)। संभव है कि आपको किसी हाई रिस्क प्रेगनेंसी प्रैक्टिशनर को रेफर कर दिया जाए या फिर आपकी सामान्य ओबज़ीन ही आपके विशेषज्ञों की टीम में अपेक्षित सुरक्षा प्रदान कर सके।
गाईनाकोलॉज़िकल हेल्थ चेकअप - गर्भाधान से पहले आपकी स्वास्थ्य जांच में पैप (स्तन के अग्र भाग, निप्पल) सहित आपकी वार्षिक विजिट के सभी स्टैंडर्ड शामिल होंगे। आपको प्रैक्टिसर पैप स्मीयर के साथ-साथ पेल्विक, ब्रेस्ट व एबडांमिनल की जांच भी करेगी। यूरिन (मूत्र) के नमूनों के लिए कहेगी और संभव है कि ऐसी किसी भी गायनीकोलॉज़िकल स्थिति की जांच कर सकता है, जो फर्टिलिटी या प्रेगनेंसी बाधाएं डाल सकती है; जैसे कि :
□ पोलीसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (पी.सी.ओ.एस.), यदि आप अनियमित मासिक धर्म, बालों की अत्यधिक बढ़ोतरी, एक्नी और ओबेसिटी (मोटापा) से पीड़ित रही हैं।
□ यूटेराइन फायब्रायड्स, सिस्ट या बार-बार उभरने वाला ट्यूमर।
□ एंडोमीट्रियोसिस (जब यूटरस पर आमतौर पर होने वाले ऊत्तक शरीर के किसी अन्य भाग में उत्पन्न होते हैं।
□ पैल्विक इनफ्लेमेटरी डिज़ीज़ (पी.आई.डी.)
□ अनियमित मासिक धर्म
□ बार-बार होने वाला मूत्रनली का संक्रमण
□ एस.टी.डी. अर्थात् यौन संपर्क से फैलने वाले रोग (आदि आपने पहले से जांच नहीं कराई है तो)
सभी गर्भवती महिलाओं की क्लैमीडिया, सिफलिस्, सूजाक व एच.आई.वी. सहित एस.टी.डी. की नियमित जांच की जाती है। गर्भाधान से पहले ये टेस्ट (और आवश्यक उपचार कराना) आज भी बेहतर कहे जाते हैं। यदि आप एस.टी.डी. रोग के न होने के प्रति आश्वस्त हैं तो भी सुरक्षा की दृष्टि से एस.टी.डी. की जांच कराने का विचार अच्छा कहा जाएगा।
अब, यदि आप शिशु निर्माण की दिशा में प्रयास करने वाले हैं तो भी अभी किसी भी प्रकार की गायनीकोलॉज़िकल समस्या का समाधान व निदान करवाना बेहतर होता है, क्योंकि कुछ समस्याएं गर्भाधान की सफलता में रुकावट डाल सकती हैं तो कुछ प्रेगनेंसी को जटिल बना सकती हैं। आप इस मौके का फायदा उठाकर अपने डॉक्टर से यदि कोई प्रश्न पूछना चाहें तो अवश्य पूछ सकते हैं; जैसे कि कब गर्भ निरोधक साधनों का उपयोग बंद करना चाहिए (ताकि वह आपको बता सकें कि गर्भ निरोधक साधनों का प्रयोग कब बंद बेहतर होगा और कब आप अपने भावी बच्चे के लिए प्रयास करने का आरंभ कर सकते हैं। इसके अलावा अपने मासिक धर्म को समझने और गर्भाधान के उपयुक्त समय को जानने संबंधी प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा शांत की जा सकती है।
आपका फैमिली हैल्थ ट्री
अब आपके परिवारजनों को बुलाने का समय आ गया समझो! जी नहीं! उन्हें यह बताने के लिए नहीं कि आप गर्भवती होने की इच्छुक है (यह तो आप उन्हें बहुत ज़ल्द और बाद में भी बता सकती हैं), बल्कि उनसे अपने और अपने साथी के परिवार के स्वास्थ्य संबंधी इतिहास को पूछने व जानने-समझने के लिए, जोकि अन्यथा कहकर अनदेखा नहीं कहा जा सकता। उनसे जितनी अधिक जानकारी संभव हो, लीजिये और प्रत्येक जानकारी को लिख लें ताकि उसे भूल न जाएं। ऐसा इसलिए ज़रूरी है ताकि आप डॉक्टर द्वारा परिवार के बारे में पूछे जाने वाले स्वास्थ्य संबंधी हर प्रश्न का उत्तर दे सकें कि दोनों ओर के परिवारजनों में किसी को भी कभी (डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप या थायरॉयड जैसी) कोई चिकित्सा संबंधी परेशान रही हैं या फिर अभी किसी सदस्य को (डाउन सिंड्रोम, टे-सेचेज़ डिज़ीज़, सिकल-सेल एनीमिया, थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, सिस्टिक फायब्रोसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, हांटिंग्टस फोरिया या फ्रैज़िल एक्स सिंड्रोम आदि) जेनेटिकल या क्रोमोसोमल गड़बड़ियों का शिकार होना पड़ा है।
आपका फैमिली हैल्थ ट्री आपको यह भी संकेत देगा कि आपकी भावी प्रेगनेंसी कैसी होगी? क्या आपके जुड़वां बच्चे होंगे? विशेषकर आपके (पिता के परिवार की ओर भी कई जुड़वां बच्चे हुए हों) भी जुड़वां बच्चे हो सकते हैं, इसलिए अपनी ओर के फैमिली ट्री पर भी ध्यान दें। साथ ही यदि कोई बात संकेत करें कि आइडेंटिकल जुड़वां बच्चों पर माता-पिता दोनों का जेनेटिकल प्रभाव पड़ता है तो अपने साथी के फैमिली ट्री पर भी नज़र रखें। हो सकता है कि आपके परिवार में प्रेगनेंसी संबंधी कुछ जटिलताएं भी रही हों, इसलिए अपनी मां और सास से भी पूछिये कि उन्हें कभी प्रिक्लैक्पसिया की शिकायत रही है - इस जटिलता में गर्भवती मां का ब्लड प्रेशर राकेट की गति से ऊपर भागता है। शोध दर्शाते हैं कि प्रिक्मलैक्पाटिक प्रेगनेंसी से जन्मे बेटे-बेटियों में इस स्थिति के जीन आनुवांशिक तौर पर आ जाते हैं। इनके अलावा जेस्टेशनल डायबिटीज़, (सामान्य या पोस्टपार्टम) डिप्रेशन के बारे में भी जानकारी लें, ताकि डॉक्टर के पूछे सवालों का आपके पास तैयार जवाब हो।
साथ ही यह बातें आपकी मां की उन सभी प्रेगनेंसी के बारे में भी बेहतर जानकारी देंगी जब उन्होंने आपको और आपके भाई-बहनों को जन्म दिया था। कहा जाता है कि बच्चों को कुछ गुण-दोष मां से ही विरासत में मिलते हैं, जो गर्भावस्था और प्रसूति के इतिहास को जानने में मदद करते हैं। तात्पर्य यह है कि मां की प्रेगनेंसी हिस्ट्री को जानकार आपकी भावी प्रेगनेंसी का अनुमान लगा सकता है। यह बात ध्यान में रखकर कि हर प्रेगनेंसी अपने आप में अलग होती है (यहां तक कि एक ही महिला में दो प्रेगनेंसी पूरी तरह एक-दूसरे से भिन्न हो सकती हैं), माताएं अपनी बेटियों को कितनी बार भी प्रेगनेंसी या प्रसव की दृष्टि से तैयार कर सकती हैं - चाहे वह अच्छी हो (जिसमें कोई स्ट्रेप मार्क न पड़े) या फिर ठीकठाक रहे (जिसमें फलस्वरूप कुछ नसों इत्यादि में सूजन हो जाए), अतः यदि कोई उलझन हो तो निश्चित तौर पर अपनी मां से पूछिये, किन्तु याद रहे कि उनकी प्रेगनेंसी का आपकी प्रेगनेंसी का संकेत हो भी सकता है और नहीं भी; जैसे कि आपको प्रेगनेंट होने में कितना समय लगा था? क्या आपके मार्निंग सिकनेस होती थी? आपके कितनी देर तक प्रसव पीड़ा रही थी?
डेंटल हैल्थ चेकअप
जीं हां, यह आपके लिए निश्चित तौर पर मुस्कराने और ख़ुश होने की बात है कि आप गर्भधारण करने के लिए तैयार हैं, किन्तु घर पर पॉज़िटिव होम प्रेगनेंसी टेस्ट (एच.पी.टी.) करने से पहले क्या आपने इस बात का बराबर ध्यान रखा है कि आपके दांत और मसूड़े गर्भधारण की क्रिया के लिए तैयार हैं अथवा नहीं? क्या आपने डेंटिस्ट से नियमित जांच और दांतों की सफाई करवाई है? हालांकि सुनने में यह थोड़ा अज़ीब और बेतुकी बात लगती है (कि भला गर्भधारण करने से दांतों का क्या लेना-देना) किन्तु वास्तविकता यही है कि मसूड़ों के रोगों का प्रेगनेंसी की जटिलताओं; जैसे कि प्रीटर्म लेबर, प्रीक्लैक्पसिया तथा जेस्टेशनल डायबिटिज़ आदि से संबंध है, बल्कि प्रेगनेंसी के दौरान मसूड़ों के रोग ज़्यादा बिगड़ जाते हैं, इसलिए प्रेगनेंसी के समय में आपके मुंह को स्वस्थ रखना अपेक्षाकृत अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि दांतों का एक्स-रे, फिलिंग, दांतों में लगाने वाले क्राउन का लगाना, मसूड़ों या दांतों की सर्जरी अब तक पूरी हो चुकी हो ताकि प्रेगनेंसी के दौरान ये करवाने की ज़रूरत न पड़े (और अनुपचारिक समस्याओं से होने वाले दुखद संक्रमण से बचा जा सके)। यदि आप जानती हैं या आपको संदेह है कि आपको ऐसी कई दांत संबंधी समस्याएं हैं जिन्हें उपचार की ज़रूरत है तो यह सुनिश्चित करें कि आप गर्भाधान के प्रयास करने से पहले ही समय निकालकर इन समस्याओं को निपटा लेंगी।
इक्यूनाइजेशन्स (प्रतिरक्षण)
प्रेगनेंट होने से पहले क्या मुझे कोई वैक्सीन आदि लेने की ज़रूरत है?
यह निर्भर करता है कि आपने पहले ही कौन-सा वैक्सीन ले लिया है और वह कब लिया था। आपको गर्भाधान पूर्व में कराई गई जांच में कराई रक्त संबंधी जांच यह स्पष्ट करेगी कि अनिवार्य तौर पर लिये जाने वाले प्रतिरक्षण टीके ही सही समय पर लगाए गए थे। यदि वे लगाए गए थे तो समझिये कि आपको संबंधित वैक्सीन यथा समय लगाए जा चुके हैं, किन्तु यदि वे वैक्सीनेशन यथा समय नहीं लिए गए हैं और आपके प्रतिरक्षण प्रणाली में कुछ कमियां हैं जिन्हें गर्भाधान हेतु प्रयास करने से पहले तुरंत दूर किया जाना चाहिए। यही वह समय है जब आपको सभी अनिवार्य वैक्सीनेशन हेतु तैयार होना होगा, न केवल अपनी सुरक्षा के लिए, बल्कि अपने होने वाले बच्चे के लिए भी, जो कम-से-कम 6 महीने की आयु तक इन रोगों से पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होगा (यदि आपको किसी बीमारी ने घेर लिया तो समझ लीजिये कि आपका नवजात भी उसकी गिरफ्त में आ सकता है, जोकि दोनों के लिए अच्छा नहीं होगा) गर्भाधान से पहले लिये जाने वाले वैक्सीन्स (टीकों) में निम्न शामिल हो सकते हैं :-
• टेटनस-डिफ्थिरिया (टी.डी. या टी डेप) - यदि आपको बचपन में ही सारे टीके लग चुके हों तो भी प्रतिरक्षण क्षमता को अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए कुछ टीके लगवाने की ज़रूरत पड़ती है। यदि आपको पिछले 10 वर्षों में ये दोनों टीके नहीं लगे हैं तो आपको एक टीका लगवाने की सलाह दी जा सकती है।
• मीजल्स, मक्टस, रुबेला (एम.एम.आर.) - यदि आप जानते हैं कि आपको कभी ये तीनों टीके नहीं लगे हैं या बचपन की इन तीन घातक बीमारियों से बचाव के लिए इक्युनाइज़्ड नहीं किया गया था अथवा यदि जांच में यह सामने आता है कि आप इन टीकों से पूरी तरह सुरक्षित नहीं पाई हैं (क्योंकि कई बार इमयूनिटी समाप्त भी हो जाती है, तो तुरंत एम.एम.आर. से अपने प्रतिरक्षण कवच को मज़बूत करें और फिर गर्भाधान की शुरुआत के लिए एक महीने तक इंतज़ार करें (किन्तु यदि आप पहले ही अनायास ही गर्भधारण कर लेती हैं तो चिंतित न हों - क्योंकि अब कोई भी जोख़िम पूरी तरह से अव्यवहारिक होता है)।
• चिकन पॉक्स (अर्थात् छोटी चेचक) - यदि जांच दर्शाती है कि आपके कभी चिकन पॉक्स नहीं हुई है (और बच्चा जनने की आयु वाली अधिकतर महिलाओं को यह होती है अथवा उन्हें टीका लगाया जाता है) तो यह सुझाव दिया जाता है कि आप गर्भधारण करने से कम-से-कम एक महीना पहले इसका टीका अवश्य लगवा लें (लेकिन यदि आप निर्धारित तिथि से पहले ही गर्भवती हो जाती हैं तो भी चिंता की बात नहीं। चिकन पॉक्स से आपका प्रतिरक्षण वास्तव में आपके होने वाले बच्चे के लिए वास्तव में महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि वह एक वर्ष का होने तक इस रोग से इक्यूनाइज़्ड होने में सक्षम नहीं हो सकेगा।
• हेपेटाइटिस बी - यदि आपको हेपेटाइटिस बी से ज़्यादा ख़तरा है तो आपको अभी टीका लगवाने की सलाह दी जाती है। हेपेटाइटिस बी के टीके तीन के क्रम में लगाए जाते हैं और यदि आप गर्भधारण से पूर्व यह क्रम पूरा कर लेते हैं तो इसे मां बनने के प्रयासों के दौरान भी जारी रखा जा सकता है।
• एच.पी.वी. (ह्यूमन पेपीलोमा वायरस) - यदि आपकी आयु 26 वर्ष से कम है तो आप एच.पी.वी. से प्रतिरक्षण हेतु टीका लगवा सकती हैं, किन्तु आपको गर्भधारण से पहले ही इसकी तीनों सीरीज़ पूरी करनी होंगी। यदि पूरी सीरीज़ करने से पहले ही गर्भवती हो जाती हैं तो आपको ये टीके प्रसव के उपरांत जारी रखने होंगे।
चाहे अब आपको कोई टीका लगवाना हो या नहीं, किन्तु याद रखें कि यदि आपकी गर्भावस्था फ्लू के मौसम में समाप्त हो रही हो तो आपको फ्लू का टीका लगवाने की सलाह दी जाएगी।
एक्शन प्लान
इससे पहले कि आप पूरे जोश, उत्साह और लगन से गर्भाधान का प्रयास करें, अपने स्वास्थ्य की पूरी जांच के लिए अपने चिकित्सक, गायनीकोलॉज़िस्ट और डेंटिस्ट से मिलें और आवश्यक निर्देशों का पालन करें। एक और ज़रूरी बात जो आपको करनी है वह यह कि (यदि आपकी गर्भावस्था की देखरेख व जांच करने वाले प्रैक्टिसनर प्रसूति करवाने की सुविधा नहीं देती है या फिर आपको लगता है कि आपको प्रसव पूर्व देखभाल हेतु अन्यत्र जाना पड़ सकता है तो ऐसी स्थिति में प्रेगनेंसी में सहायता हेतु किसी ओबज़ीन या दाई का प्रबंध कर लें। अतः ऐसे में घर पर ही प्रेगनेंट होने की ख़ुशख़बरी के उपरांत प्रसव-पूर्व की पहली जांच को तय करने में वही आपकी सहायता कर सकेगी और जांच आदि का सही दिन तय कर पाएगी। यदि आप सही प्रेगनेंसी प्रैक्टिसनर को तलाश करने का तरीका नहीं जानतीं तो सही व्यक्ति के चयन के लिए ‘क्या करें जब मां बनना चाहें’ में दिए टिप्स को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उनकी सहायता लें।
मेडिकेशन्स (औषधियां)
जैसे ही मैं गर्भधारण करने का प्रयास करने लगूं तो क्या मुझे ली जाने वाली सारी दवाइयां लेनी बंद कर देनी होंगी या फिर मैं प्रेगनेंट होने तक इन्हें जारी रख सकती हूं?
जी हां, यह अपने मेडिसिन कैबिनेट (दवाई के डिब्बे) को जांचने और उसे खाली करने का सही समय कहा जा सकता है, किन्तु उसे पूरा खाली करने की शायद कोई आवश्यकता नहीं है। जैसा कि आप पहले ही कह चुकी हैं और जानती हैं कि प्रेगनेंसी में ली जाने वाली दवाएं आमतौर पर ली जाने वाली दवाइयों से अलग होती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान रोज़मर्रा की दवाइयों का लेना बंद कर दिया जाना चाहिए, तो हो सकता है कुछ निर्देशानुसार कम मात्रा में ली जाएं और कुछ केवल ज़रूरत पड़ने पर। लेकिन गर्भधारण से पहले ली जाने वाली दवाइयों का क्या करें?
वस्तुतः यह सामान्यतः आपके गर्भाधान की स्थिति पर निर्भर करेगा? गर्भाधान के प्रयासों के दौरान कई दवाइयां बंद करवा दी जाती हैं तो कुछ को सुरक्षित माना जाता है, किन्तु फिर भी गर्भधारण से पहले के दौरान ऐसी दवाइयों या सप्लीमेंट्स को लेने से पूर्व भी डॉक्टर से परामर्श व अनुमति लेना ही बेहतर कहा जाएगा, क्योंकि (फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए विशेष तौर पर निर्मित कुछ हर्बल उत्पादों) सहित कुछ उत्पाद न केवल आपकी भावी प्रेगनेंसी को प्रभावित कर सकते हैं, अपितु आपकी गर्भवती होने की संभावनाओं पर भी असर डाल सकते हैं। यहां तक कि एंटीहिस्टामाइंस जैसी नियमित (और अनियमित लगने वाली) औषधियां फर्टिलिटी को तो शायद कुछ बढ़ा सकती हैं, किन्तु अनापेक्षित कारणों से आपके सर्विकल म्यूकस और नासल म्यूकस को भी शुष्क बना सकती है।
यदि प्रेगनेंसी में सहायता हेतु आपने किसी डॉक्टर, गायनीकोलॉज़िस्ट या प्रसव-पूर्व सहायक प्रैक्टिसनर का प्रबंध कर लिया है तो वह आपको बता सकते हैं कि कब आप गर्भाधान में प्रयासरत् हों या गर्भवती हैं (या स्तनपान करने के दौरान आगे की सोच रही हैं) तो आपको कौन-सी दवा लेनी चाहिए और कौन-सी बंद करनी चाहिए अथवा गर्भाधान का पता लगते ही कौन-सी दवा छोड़नी या कम कर देनी चाहिए।
यदि आप (अस्थमा, डायबिटीज़, डिप्रेशन, माइग्रेन या किसी अन्य) लंबी बीमारी के उपचार हेतु कोई दवा ले रही हैं तो इस संबंध में आपकी जांच या देखरेख करने वाले फिज़ीशियन, गाइनीकोलॉज़िस्ट या ओबज़ीन से गर्भाधान के प्रयासों या प्रेगनेंसी संबंधी दवाओं के विकल्पों के बारे में परामर्श करें। आप दोनों मिलकर एक ऐसा प्लान बना सकते हैं जो आपको स्वस्थ, फर्टाइल तथा भावी प्रेगनेंसी के लिए तैयार रहे (इसमें दवा संबंधी सलाह लेना या न लेना अथवा सीमित मात्रा में लेने की सलाह विशेषज्ञ की सलाह पर निर्भर करेगी)। हो सकता है आपको गर्भधारण से 6 महीने पहले ही कुछ दवाओं का सेवन बंद करना पड़े (हो सकता है कि प्रेगनेंसी और स्तनपान के दौरान भी कुछ ऐसा ही करना पड़े), किन्तु ध्यान रखें कि हमेशा सुरक्षित विकल्पों की संभावना बनी रहती है, जिन्हें आप रिप्रोडक्टिव ब्रेक के दौरान लेने का विकल्प चुन सकते हैं।
गर्भाधान हेतु प्रयासों के दौरान तथा विटामिन सप्लीमेंट लिए जाए या नहीं, इस संबंध में (पृष्ठ 60) तथा हर्बल मेडिकेशन की अधिक जानकारी (पृष्ठ 118) पर दी गई है।
एंटी-डिप्रेशेन्ट्स
मैं पिछले पांच वर्षों से एंटी-डिप्रेशेन्ट्स (अवसाद को रोकने व उसमें आराम पहुंचाने वाली दवाएं) ले रही हूं और इन दवाओं से मेरा डिप्रेशन नियंत्रण में रहता है। मैं इन्हें छोड़ने को लेकर चिंतित हूं, लेकिन मैं असमंजस में हूं कि क्या इन्हें गर्भाधान की कोशिश के दौरान अथवा उसके बाद भी जारी रखना सुरक्षित है।
जब जीवन में किन्हीं परिवर्तनों की बात की जाती है तो निश्चित तौर पर शिशु की प्राप्ति या फिर उसके बारे में सोच-विचार कर आगे बढ़ने से बड़ी बात कोई नहीं होती। यदि आप डिप्रेशन या एन्जाइटी से सुरक्षित हैं तो आप न केवल इस विचार से आश्चर्यचकित होंगी कि शिशु उत्पत्ति की आपकी चाह और प्लान किस तरह से आपका जीवन बदल डालेगा बल्कि जीवन जीने की आपकी क्षमता व योग्यता को भी किस तरह प्रभावित करेगा, विशेषतौर पर गर्भवती होने का विचार व प्रयास ही आपको एंटी-डिप्रेशेन्ट्स या एंटी एन्जाइटी संबंधी दवाएं बंद करने को प्रेरित कर सकता है।
दोबारा जोख़िम उठाने से बचें
यदि आपको पहले किसी प्रेगनेंसी में परेशानियों या जटिलताओं का सामना करना पड़ा था अथवा कोई प्री-मैच्योर डिलीवरी थी या देरी से गर्भाधान से कोई हानि हुई थी या फिर भी आपको एक से अधिक बार गर्भपात हो चुके हैं तो इसके पहले कि आप पुनः गर्भाधान के प्रयास करें, इन ख़तरों से बचने के लिए व सुरक्षा उपायों के लिए अपने प्रैक्टिशनर से संपर्क करें। जैसा कि शोध दर्शाते हैं कि गर्भाधान से पहले एक वर्ष या अधिक समय तक फोलिक एसिड सपलीमेंट्स लेना प्री-मैच्योर डिलीवरी (समय से पहले प्रसव) के ख़तरे को कम करता है। (दोबारा गर्भपात से सुरक्षा हेतु पृष्ठ 181 देखें)
लेकिन निराश न हों, डिप्रेशन, एन्जाइटी या अन्य किसी मानसिक परेशानियों से जूझने वाली भावी माताओं के लिए (मेडिकेशन विकल्पों सहित) कई सुरखित विकल्प मौज़ूद हैं, अतः यदि आप प्रेगनेंट होने की सोच रही हैं तो आपकी वर्तमान उपचार विधि को संशोधित या फिर पूरी तरह परिवर्तित किया जा सकता है। वास्तव में, एंटी-डिप्रेशेन्ट्स या अन्य ऐसी, अन्य दवाओं को बंद करना जिनकी आपको वास्तव में ज़रूरत है और पुनः डिप्रेशन के अंधेरे में चले जाना आपको (और आपके भावी शिशु को) फायदे से ज़्यादा हानि पहुंचा सकता है। क्लीनिकली अवसादग्रस्त या बहुत अधिक चिंतित होने से (गर्भाधान के प्रयासों के दौरान) संतुलित खानपान, सोने, विश्राम या अन्य शिशु अनुकूल जीवनशैली पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। अध्ययन से पता चला है कि जिन महिलाओं के गर्भावस्था के दौरान डिप्रेशन का उपचार नहीं दिया जाता उन्हें प्रीटर्म डिलीवरी (समय पूर्व प्रसव) की अधिक संभावना रहती है और साथ ही प्रसव उपरांत डिप्रेशन का ज़्यादा ख़तरा रहता है जिसके कारण वे अपने नवजात शिशु को सही देखभाल नहीं कर पाती और मातृत्व का आनंद उठाने से प्रायः वंचित रह जाती हैं।
इसलिए, इससे पहले कि आप अपनी दवाइयों के बारे में कोई निर्णय लें, उन्हें लिखने वाले डॉक्टर और अपने गायनीकोलॉज़िस्ट या प्रसव पूर्व आपकी जांच करने वाले प्रैक्टिसनर से अवश्य बात करें, क्योंकि उनसे परामर्श करके ही आप कम जोख़िम उठाकर उन दवाओं को जारी रख उनका लाभ उठा सकती हैं। कुछ दवाओं में कम जोख़िम होता है तो कुछ में अधिक, डॉक्टर ये बातें बेहतर जानते हैं। शोध दर्शाते हैं कि यदि वेलबाट्रिन (बूप्रोपिओन) को यदि मात्रा में लिया जाए तो प्रेगनेंसी में सुरक्षित मानी जाती है और संभवतः आपकी शारीरिक प्रतिक्रिया के हिसाब से बेहतर विकल्प साबित हो सकती है, जबकि पैबसिल (पैरोकसीलि) और शायद अन्य एस.एस.आर. आइस (सिलेक्टिव सीरोटोलिन रियूप्टेक इन्हीबिटर्स) से विकसित होते बच्चे को कब ख़तरा हो सकता है तथा गर्भावस्था बाद आधा समय बीतने के उपरांत ली जाने वाली प्रोजैक (व अन्य एस.एस.आर. आइस) का संबंध प्रसव उपरांत बच्चे में विद्ड्राला सिंप्टम (निरंतर ली जाने वाली दवा को छोड़ने के लक्षण) से होता है।
इसलिए, प्रेगनेंट होने से पूर्व ही किसी भी उपचार में बदलाव करना बेहतर होता है और डॉक्टर के परामर्श से ही उस पर अमल भी करना चाहिए। यदि आप और आपका डॉक्टर यही निर्णय लेते हैं कि आपको अपनी दवाएं लेनी छोड़ देनी चाहिए या कुछ सुरक्षित और भिन्न विकल्प तलाशने चाहिए तो उसे गर्भाधान के प्रयास करने से कम-से-कम तीन महीने पहले ही प्रारंभ कर दें ताकि आपको यह देखने के लिए पर्याप्त समय मिल सके कि उसका क्या असर होता है और आप कैसा महसूस करती हैं। यदि आप देखती हैं कि डिप्रेशन दोबारा से होने लगा है - नींद और भूख में बदलाव आया है, बेचैनी, एकाग्रता में कमी, बार-बार बदलता मूड और सैक्स इच्छा में कमी आदि नज़र आती है, तो ये बच्चों के पैदा होने में बाधक हैं - ऐसे में कुछ भिन्न विकल्प अपनाने के लिए अपनी मेडिकल टीम से बात करें। यदि आप प्रेगनेंट हो जाती हैं तो भी उन्हें बताएं, क्योंकि आमतौर पर मां बनने वाली महिला में होते हार्मोन संबंधी बदलाव उसके व्यवहार में थोड़ा परिवर्तन तो लाते हैं, किन्तु लगातार बने रहने वाला डिप्रेशन, बेचैनी आदि को गंभीरता से लेना चाहिए, जो सामान्य नहीं कहा जा सकता।
हमेशा याद रखें कि आज चिकित्सा जगत में कई वैकल्पिक थैरेपीज़ मौज़ूद हैं - जैसे कि फिज़ियोथैरेपी से लेकर लाइट थैरेपी तक, मेडिटेशन से बायोफीडबैक तक किसी भी थैरेपी का सहारा ले सकती हैं, जो आपकी स्वाभाविक स्थिति को स्फूर्तिवान बना सकती है और अन्य औषधियों के स्थान पर या फिर साथ-साथ भी लिया जा सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त सालमन मछली और अखरोट जैसे खाद्य पदार्थ प्रचुर मात्रा में लेकर अपने स्वभाव को सही किया जा सकता है। इन्हें गर्भावस्था के दौरान लिये जाने डी.एच.ए. सप्लीमेंट की तरह लिया जा सकता है, लेकिन अपने व्यवहार व स्वभाव को ख़ुशमिज़ाज़ रखने का एक सही तरीका हल्का व्यायाम है। तेज़ गति से चलना या तैरते समय उत्सर्जित होने वाला एन्डॉर्सिज आपके मन-मस्तिष्क को ही नहीं, अपितु आपके शरीर को भी स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रख सकता है।
ज़रूरी है पिता की स्वास्थ्य जांच भी
यह सही है कि फिलहाल आपको बच्चे का पालन-पोषण नहीं करना है और न ही पापा होने के नाते अलग कमरा बनाने की ज़रूरत है। (ख़ासतौर पर आने वाले नौ महीनों तक आप निश्चिंत रह सकते हैं, क्योंकि भावी शिशु को जीवन देने में अनिवार्य रूप से आपका भी आधा जैविक योगदान है। बच्चे को स्वस्थ उत्पत्ति, स्वस्थ जैविक शुरुआत देने में आप बराबर के हिस्सेदार हैं, इसलिए आपको भी अपनी पूरी स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए। याद रखें कि दो स्वस्थ शरीर मिलकर ही एक स्वस्थ बच्चे का निर्माण कर सकते हैं। शरीर की गहन जांच से किसी भी शारीरिक दोषों (जैसे कि ऊपर खिसके टेस्टिकल अर्थात् शुक्रग्रंथि, टेस्टिकल संबंधी सिस्ट या ट्यूमर या डिप्रेशन आदि) को ज्ञात किया जा सकता है, जोकि गर्भाधान या स्वस्थ प्रेगनेंसी में बाधक बन सकते हैं, तो साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि डायबिटीज़ जैसे, प्रेगनेंसी में बाधक बनने वाले लंबे रोग नियंत्रण में हैं। अपने चिकित्सक से, लिखी गई दवाओं या आपके द्वारा ली जाने वाली हर्बल औषधियों के सेक्स संबंधों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों (साइड इफैक्ट) के बारे में खुलकर बात करें। चिकित्सकों द्वारा आम बीमारियों के लिए लिखी गई दवाएं भी फर्टिलिटी या यौन इच्छा को प्रभावित कर सकती हैं। जैसे प्रोजेक आपकी सेक्स क्षमता के तौर पर आपको संतुष्ट कर सकती है, किन्तु आपके स्पर्म पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। हाइपरटेंशन के लिए बीटा ब्लाकर्स व अन्य दवाएं, अल्सर की कुछ दवाएं तथा ऑक्सीकोडोन जैसी दर्द निवारक दवाओं के भी साइड इफेक्ट कहे जाते हैं। स्टेरॉयड तथा टेस्टोस्टेरोन की गोलियां भी ऐसा ही दुष्प्रभाव छोड़ती हैं। ये आपकी यौन क्षमता व शारीरिक ताकत को तो बढ़ाती हैं किन्तु स्पर्म बनने की मात्रा आधी रह जाती है। वियाग्रा जैसी दवा भी गर्भधारण करने की संभावनाओं को कम करती है, किन्तु इस पर मतभेद भी हो सकते हैं, अतः अपने डॉक्टर से सलाह करना ही बेहतर रहता है। यदि आप फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाली ऐसी कोई दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर से मिलकर ऐसा ट्रीटमेंट प्लान तैयार करवाएं जो आपके बेबी प्लान के अनुकूल भी हो (क्योंकि अक्सर कुछ अलग दवाएं अपना जादुई असर भी दिखा जाती हैं; हो सकता है वह आप पर भी कारगर रहें)। यदि आपके परिवार में किसी को कोई ज़ेनेटिकल समस्या रही हो या ऐसे कोई लक्षण के चलते ज़ेनेटिक स्क्रीनिंग की आवश्यकता हो तो ऐसी जांच भी अवश्य कराएं।
वजन घटाना, ब्लड प्रेशर नियंत्रित करना, ब्लड शुगर को संतुलित रखना, मदिरापान कम करना या छोड़ना अथवा अपने व अपने भावी बच्चे तथा अपने साथी के बीच बाधक बनती किसी समस्या के उपचार की इच्छा हो तो समय रहते उन्हें करा लेना उचित कहा जाएगा, ताकि आपके साथी को आप स्वस्थ स्पर्म का उपहार दे सकें।
ज़ेनेटिक स्क्रीनिंग
यदि हमें लगता है कि हमें ज़ेनेटिक या जांच संबंधी कोई परेशानी है तो क्या फिर भी गर्भाधान से पहले ज़ेनेटिक स्क्रीनिंग कराना हमारे लिए सही होगा?
माता-पिता के अनुवांशिकी गुण अर्थात् ज़ेनेटिक विशेषताएं बच्चों को विरासत में मिलती हैं। यह एक प्राकृतिक क्रिया है जो बच्चों को माता-पिता के कुछ गुण-दोष पैदाइशी तौर पर प्रदान करती है। आप और आपका जीवनसाथी अपने होने वाले बच्चों को घुंघराले बाल, बड़ी-बड़ी पलकें, शारीरिक योग्यता, बुद्धि कौशल और मानवीय क्षमता के साथ-साथ और क्या देने वाले हैं? ये आप नहीं जा पाते किन्तु इसी रहस्य को गर्भाधान से पहले ही ज़ेनेटिक स्क्रीनिंग की मदद से निश्चित तौर पर जाना जा सकता है और वह भी निश्चित तौर पर। हालांकि बेबी