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Out from the Heart (दिल से निकले उद्गार : Dil Se Nikle Udgaar)
Out from the Heart (दिल से निकले उद्गार : Dil Se Nikle Udgaar)
Out from the Heart (दिल से निकले उद्गार : Dil Se Nikle Udgaar)
Ebook62 pages31 minutes

Out from the Heart (दिल से निकले उद्गार : Dil Se Nikle Udgaar)

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About this ebook

1904 में लगभग एक अनजान अंग्रेज़ जेम्स एलन ने एक छोटी पुस्तक 'अँज ए मैन थिकेंथ' लिखी। यह पुस्तक विश्व भर में स्वयं-सहायक पुस्तकों में से एक महान पुस्तक बन गई है – 'स्वयं को सामर्थ्य देना' ज्यादा उचित वर्णन है – क्योंकि यह न केवल यह उजागर करती है कि हमारी सफलता की कुंजी हमारे स्वयं के मन में है, बल्कि यह भी दिखलाती है कि हम कैसे इन कुंजियों का इस्तेमाल करें - जिससे कि उस महानतम संतुष्टि को प्राप्त कर सकें जिसकी हमने कभी कल्पना की थी।इस संशोधित संस्करण में मार्क एलन ने इस उत्कृष्ट कृति का नवीनीकरण किया है, उसकी भाषा को बदला है जो पुरानी और अप्रचलित हो गयी है, और संदेश की स्पष्टता को प्रखर किया है। उन्होंने जैसा तुम सोचते हो का उद्देश्य सभी के लिए दर्शित किया हैं, और विवरण किया है कि कैसे ये सिद्धान्त वास्तव में सर्वलौकिक हैं और सब पर लागू होते हैं चाहे उनका लिंग, उम्र, जाति, मत, सामाजिक वर्ग या शिक्षा कुछ भी क्यों न हो।जैसा तुम सोचते हो एक साधारण लेकिन फिर भी शक्तिशाली स्मरण है कि हम जो भी प्राप्त करते हैं और जो भी प्राप्त करने में असफल होते हैं, वह हमारे अपने विचारों का साक्षात फल हैं। हम अपने भाग्य के निर्माता हैं।.
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateAug 25, 2021
ISBN9789354862410
Out from the Heart (दिल से निकले उद्गार : Dil Se Nikle Udgaar)

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    Out from the Heart (दिल से निकले उद्गार - James Allen

    1

    हृदय और जीवन

    जैसा हृदय वैसा ही जीवन। इसके साथ सब कुछ है, इसके बिना नहीं। इससे कुछ छिपा नहीं रह सकता। जो छिपा हुआ है, वह कुछ समय के लिए है। जब वह परिपक्व हो जाता है, तब सामने प्रकट हो जाता है। बीज, वृक्ष, फूल और फल…ये सभी ब्रह्मांड के चौगुने क्रम हैं। एक व्यक्ति के दिल की प्रवृत्ति ही उसके जीवन की स्थितियों को आगे बढ़ाती हैं। उसके विचार उसके कर्मों में खिलते है और उसके कर्म ही चरित्र और भाग्य रूप में फल पाते हैं।

    जीवन हमेशा भीतर से प्रकट होता है और स्वयं को प्रकाश में लाता है। हृदय में उत्पन्न विचार ही स्वयं को अंततः शब्दों और कार्यों में प्रकट कर, पूर्णतया प्रदान करते हैं।

    जैसे छिपे हुए झरने से फव्वारा, इसी प्रकार मनुष्य के जीवन को उसके हृदय के भीतरी स्तरों से द्वारा प्रवाहित किया जाता है। वह जो कुछ भी है और जो करता है, वह वहीं से उत्पन्न होता है। वह जो भी करेगा और होगा, उस सब का उदय वहीं से होगा

    खुशी और गमी, दुख और सुख, भय और आशा, घृणा और प्रेम, अज्ञान और ज्ञान, ये सभी हृदय में कहीं नहीं है। ये सभी केवल मानसिक स्थितियां हैं।

    मनुष्य अपने हृदय का रक्षक है; अपने मन का पहरेदार; अपने जीवन के गढ़ का एकांत रक्षक। जैसे वह मेहनती और लापरवाह हो सकता है। वह अपने दिल को अधिक से अधिक सावधानीपूर्वक ध्यान रख सकता है। वह अपने मन को अधिक ध्यान से देख-परख कर, उसे शुद्ध कर सकता है; वह अविवेकी विचारों से अपनी सुरक्षा कर सकता है…यह ज्ञान और आनंद का मार्ग है।

    दूसरी ओर, वह अपने जीवन को सही ढंग से व्यवस्थित करने जैसे सर्वोच्च कार्य की उल्लेख करते हुए, शिथिल और लापरवाही से रह सकता है। जीने का यह ढंग आत्म-भ्रमित और पीड़ादायक है।

    एक व्यक्ति को इस बात का एहसास होना चाहिए कि जीवन अपनी समग्रता में मन में उत्पन्न होता है और देखो, उसके लिए परम सुख का मार्ग खुल जाता है।

    क्योंकि तब उसे पता चलेगा कि उसके पास अपने मन पर शासन करने और उसे अपने आदर्श अनुसार गढ़ने की शक्ति है। तब वह दृढ़ता से और तेज़ी से आगे बढ़ने वाले उन विचारों और कार्यों का चुनाव करेगा जो पूरी तरह से उत्कृष्ट होंगे। उसके लिए जीवन सुंदर और पवित्र बन जाएगा। देर-सवेर, वह सारी बुराई, भ्रम और दर्द को दूर कर लेगा। जो व्यक्ति अपने हृदय के प्रवेश द्वार की रक्षा अत्याधिक कर्मठता से करता है, उसके लिए मुक्ति, ज्ञान और शांति से जीना नामुमकिन नहीं रह जाता।

    2

    मन की प्रकृति और शक्ति

    मन जीवन का मध्यस्थ है। यह परिस्थितियों का निर्माता

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