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Secrets of Super Success
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Ebook271 pages2 hours

Secrets of Super Success

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About this ebook

इस पुस्तक में दिये गये बेजोड़ सफलता के मंत्रों को पढ़ें और स्वयं पर लागू करें तो यह लक्ष्य वास्तविक भी बन सकता है। अल्वर्ट आइंस्टीन कहा करते थे कि एक सफल व्यक्ति वह है जो अपने द्वारा प्राप्त अनुभवों से ज्यादा अपने आस-पास के व्यक्तियों के अनुभवों से सीखता है। मेरा मानना है कि इस पुस्तक से नौजवान पीढ़ी को बहुत लाभ मिलेगा और अगर इस पुस्तक को पढ़कर मेरे पाठक अद्वितीय सफलता प्राप्त करते हैं तो मैं मानूंगा कि मेरा प्रयास सफल हुआ ।
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateSep 15, 2022
ISBN9789352785483
Secrets of Super Success

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    Secrets of Super Success - Subhash Lakhotia

    भाग-1

    1

    जी हां, मैं सफलता के शिखर

    पर पहुंचना चाहता हूं.......

    इस पुस्तक को पढ़ने वाले तमाम पाठकों को मैं यह यकीन दिलवाना चाहता हूं कि यदि आप के मन में सफल होने की लालसा है तो निश्चित ही आप सफलता के शिखर पर पहुंच सकते हैं। इस लिए सबसे पहले तो सफलता की बुलंदी पर पहुंचने के लिए सभी पाठकों के मन में इस लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चय की कामना करता हूं। यदि आपने यह सपना संजोया है, तो यह पुस्तक अवश्य ही आपके सपने को वास्तविक रूप देगी। परंतु मैं एक बार फिर से दोहराना चाहूंगा कि आप का दृढ़ इरादा इस की बुनियाद है। आपके अटल निश्चय और सर्वशक्तिमान ईश्वर के आशीर्वाद से सफलता अवश्य ही आपके कदम चूमेगी। बस इस कथन पर विश्वास करते हुए इस पुस्तक को पढ़ते जाएं और अंत में आप यह महसूस करेंगे कि आप जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जा रहे हैं। स्वयं पर भरोसा रखें क्योंकि विश्वास में अपार शक्ति होती है। यह अद्भुत शक्ति कुदरत का करिश्मा है। सो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की भावना व विश्वास अपने मन में रखें। स्वयं को एक बेहद सफल व्यक्ति समझें। यही विचार आपको सफलता के मार्ग की ओर ले जाएगा। कभी भी खुद को कमज़ोर न समझें। यह भावना आपको वास्तव में कमज़ोर बना देगी। खुद को मज़बूत बनाएं परंतु यदि आप मज़बूत नहीं हैं तो अपने भीतर उन मूल्यों का संचार कीजिए जो आपको जीवन में सशक्त बनाएं। परंतु कुल मिलाकर निचोड़ यही है कि खुद को असहाय न समझें। अपने आत्मविश्वास को मज़बूत बनाएं और स्वयं को एक सफल व्यक्ति मानें।

    जब मैं अपने जीवन के गत 60 वर्षों का जायज़ा लेता हूं तो मुझे अपनी सफलताओं पर गर्व होता है। मैं अपने पाठकों को भी यह सलाह देना चाहूंगा कि अपने अब तक के जीवन की समीक्षा करें। बीते समय की मीठी यादों से खुशियां बटोरते हुए सुनहरे भविष्य पर विचार करें। स्वयं को एक सफल व्यक्ति मानते हुए आगे बढ़ें और यदि आप नहीं हैं तो आपको बनना है और आप बनेंगे भी। यदि इसी विचार को मन में लिए आप इसे लक्ष्य के रूप में धारण कर लेंगे तो कोई भी ताकत आपकी सफलता के आड़े नहीं आएगी। आज मैं आप सब से अपने जीवन के कुछ अनुभव बाटूंगा। बात उस समय की है जब मैं कॉलेज में पढ़ने वाला 20 साल का युवा था। उस समय लॉयन्स क्लब इंटरनेशनल की ओर से भारत, बर्मा व नेपाल के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिस में अमरीका के अटलांटिक शहर में लायन्स क्लब इंटरनैशनल अधिवेषन में भाग लेने के लिए सर्वोत्तम युवा का चुनाव किया जाना था। मेरा अंग्रेजी का ज्ञान बहुत अच्छा नहीं था। फिर भी मैंने स्वयं को चुने जाने वाले प्रतियोगी के रूप में देखा, जो अमरीका जाने की काबलियत रखता था। जब भी मैं अपने जीवन के उन 40 वर्षों के बारे में सोचता हूं तो पाता हूं कि उस प्रतियोगिता में भाग लेने की तीव्र इच्छा और मेरा आत्मविश्वास ही था जिस के बलबूते पर प्रभु के आशीर्वाद से मैं 1970 में अमरीका के अटलांटिक शहर में होने वाली वर्ल्ड यूथ कांग्रेस के लिए चुना गया। उस समय भारत में होने वाली चुनाव प्रक्रिया के दौरान कई बार परेशानियों का सामना किया और पस्त भी हुआ। कई बार यह सोच कर घबरा जाता कि क्या मैं दक्षिणी भारत एवं मुंबई से आ रहे युवाओं को टक्कर दे पाऊंगा। परंतु यकीन मानिए कि अपने मनोबल और मनो कामना के बल पर ही यह संभव हो पाया। आखिरकार जून 1970 में मैंने कोलकाता से अमरीका की उड़ान भरी जो कि मेरी पहली हवाई यात्रा थी वह भी सीधा भारत से अमरीका। यहां तक कि मुझे सीट बेल्ट बांधने का ज्ञान भी नहीं था। इस प्रकार की यात्रा का यह मेरा पहला अनुभव था वह भी अकेले। सो मेरे कहने पर विश्वास कीजिए कि जब भी कोई अवसर आप का द्वार खटखटाए तो उसे पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करें और सफलता प्राप्त करें। इसी प्रकार आज से लगभग 5 साल पहले की घटना है जब मैं सुबह के 9 बजे नाश्ता करते हुए एक बिजनेस चैनल पर मॉर्निंग ब्रेकफास्ट शो नामक कार्यक्रम देख रहा था। संयोगवश उस दिन मैंने पूरा प्रोग्राम देखा, जिसे विश्व की एक मशहूर टी.वी. हस्ती द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा था। प्रोग्राम समाप्त होने पर मैंने महसूस किया कि इसमें निवेश को लेकर बेहतरीन मार्गदर्शन व उपाय सुझाए गए थे। इस आधे घंटे में निवेश और तलाक, निवेश और क्रेडिट कार्ड, निवेश और घर बनाने के लिए कर्ज आदि पर चर्चा की गई थी। मुझे यह प्रोग्राम बहुत अच्छा लगा। यह बहुत ज्ञानवर्धक व जानकारी से भरपूर था। परंतु भारतीय निवेशकों के लिहाज से मुझे यह कार्यक्रम अधिक प्रभावशाली नहीं लगा क्योंकि यह भारतीय लोगों की निवेश करने की सोच और संस्कृति से मेल नहीं खाता था। फिर मैंने अपने सुझाव टी.वी. चैनल के संपादक को भेजने की सोची। मैंने भारतीय निवेशकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक पत्र संपादक को लिख भेजा। अपने पाठकों को यह बताते हुए मुझे खुशी हो रही है कि टी.वी. संपादक को मेरे विचार पसंद आए और इसके साथ ही सीएनबीसी आवाज़ चैनल पर एक विशेष कार्यक्रम होस्ट करने का न्योता भी मिला जिसे मैं गर्व से प्रेम पत्र कह सकता हूं। उसके बाद सीएनबीसी आवाज़ चैनल पर टैक्स गुरु के रूप में मेरे जीवन का एक नया अध्याय आरंभ हुआ। अपने पाठकों को प्रोत्साहित करने के लिए मैं यह बताना चाहता हूं कि हाल ही में राष्ट्रीय टेलीविजन पुरस्कार 2010 की घोषणा की गई है जिस में टैक्स गुरु टी.वी. शो को सर्वोत्तम बिज़नेस टॉक शो का पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार मेरे तमाम दर्शकों के अपार स्नेह का प्रतीक है। यहां भी मुख्य भूमिका, मनोबल और नवीन सोच की है। मैंने कुछ नया सोचा और संपादक को न जानते हुए भी बेझिझक अपने सुझाव भेजे जो स्वीकार भी हुए और सौभाग्यवश मुझे टैक्स गुरु प्रस्तुत करने का जो अवसर मिला उस के लिए कड़ी मेहनत की। प्रिय पाठको, मेरा विश्वास कीजिए, चाहे आप जीवन के किसी भी कार्यक्षेत्र से जुड़े हों- पढ़ाई, व्यापार, नौकरी, व्यवसाय-आप इस पुस्तक की सहायता से बेहद कामयाब हो सकते हैं परंतु यह मत भूलें कि इसके लिए आप में दृढ़ संकल्प एवं तीव्र इच्छा का होना ज़रूरी है। आज से लगभग 30 साल पहले मैंने ‘ज़ीरो टू ज़ीरो इज़ इंन्कम टैक्स’ नामक नवीन सोच पर आधारित शिक्षा प्रोग्राम आरंभ किया जिस ने भारतवर्ष में धूम मचा दी। कोलकाता के ‘द टेलीग्राफ’ ने इस कार्यक्रम पर विशेष लेख प्रकाशित किया। जीवन के यह अनुभव मैं अपने पाठकों को प्रोत्साहित करने के लिए इसलिए बता रहा हूं ताकि वे भी अपनी पुरानी प्राप्तियों पर विचार करें और फिर आने वाले समय की योजना तैयार करें। लक्ष्य के प्रति अपने मनोबल और इच्छा शक्ति पर अडिग रहेंगे तो अपने कार्यक्षेत्र में सफलता से जगमगा उठेंगे।

    □□□

    2

    अपार सफलता के लिए

    महत्त्वपूर्ण फैसले

    जब कभी भी आपके जीवन में महत्त्वपूर्ण फैसले लेने का समय आए तो यह सुनिश्चित कर लें कि आप सभी पक्षों पर भली-भांति सोच-विचार करने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचें। हमेशा याद रहे कि यह निर्णय आपके जीवन को खुशहाल बना सकता है और आपके लिए सफलता के द्वार खोल सकता है। इसलिए इस प्रकार के निर्णय लेते समय सावधानी व संयम बरतें। मेरे पिता श्री आर.एन. लखोटिया ने सन् 1962 में अपने व्यवसाय को आरंभ करने के लिए आयकर विभाग को अपने पद से इस्तीफा दिया था जब कि वे वर्ग-1 के आयकर अधिकारी थे। यह उनके जीवन का एक अति-महत्त्वपूर्ण निर्णय साबित हुआ। इतनी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ने का निर्णय उनके लिए बहुत ही कठिन रहा होगा। सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने आयकर पर पुस्तकें लिखीं, गोष्ठियों का आयोजन किया। इस निर्णय में मेरी स्वर्गीय माता जी श्रीमती आशारानी लखोटिया का सहयोग व प्रेरणा भी शामिल थी। 1962 में लिए गए उस निर्णय के कारण मेरे पिता जी ने सफलता के कई मुकाम हासिल किए। फिर भी निर्णय लेते समय यह ज़रूरी है कि आप सभी सकारात्मक व नकारात्मक पक्षों की समीक्षा कर लें। परंतु निर्णय लेने के बाद कभी भी पीछे मुड़कर न देखें। मेरे पिता जी ने आयकर पर 500 से भी अधिक पुस्तकें लिखी हैं जो एक विश्व कीर्तिमान हैं। भारत में उन्हें आयकर का एक महान विशेषज्ञ माना जाता है। उन्हें आज भी वो दिन याद है जब अपनी पहली पुस्तक लिखने के बाद उन्होंने कई प्रकाशकों से उनकी पुस्तक प्रकाशित करने की विनती की। परंतु एक अंजान व्यक्ति की पुस्तक कौन छापता? यही समय था ऐतिहासिक निर्णय लेने का और इस बार भी मेरी मां इसमें शामिल थीं। उन्होंने मिलकर आशा पब्लिशिंग हाऊस के नाम से प्रकाशन केंद्र प्रारंभ किया। ज़रा सोचिए यदि मेरे पिता जी उस समय हताश हो जाते तो क्या आज उनकी इतनी पुस्तकें पाठकों तक पहुंच पातीं? बिल्कुल नहीं। उन्हें तो प्रकाशन का कोई अनुभव भी नहीं था और उनकी आयु केवल 28 वर्ष थी। सन् 1965 में मैंने भी पब्लिशिंग हाऊस में हाथ बँटाना शुरू कर दिया। यदि आप अपनी सफलता का पैमाना जानते हैं तो निश्चित ही इसे हासिल भी कर सकते हैं। ज़रूरत है तो केवल नवीन सोच और कड़ी मेहनत की। अपार सफलता प्राप्त करना अर्जुन द्वारा मछली की आँख बींधने जैसा है जिसमें लक्ष्य पर आप की नजरें सधी हों। बस फिर सफलता आपके कदमों में होगी।

    □□□

    3

    दूसरों की सफलता को छोड़,

    अपनी सफलता के मार्ग पर ध्यान दें

    कामयाब होने का एक और अचूक नुस्खा है कि दूसरों की गतिविधियों और विकास पर ध्यान न दें। आपका ध्यान आपकी स्वयं की सफलता पर केंद्रित होना चाहिए। अपने मित्रों, रिश्तेदारों व आपसे जुड़े अन्य व्यक्तियों की सफलता के बारे में सोचते रहने केवल अपने समय, सामर्थ्य और ऊर्जा की बर्बादी भर है और कुछ नहीं। इससे अच्छा है कि आप विभिन्न कार्यक्षेत्रों में खुद को स्थापित कर अपनी पहचान बनाएं। अपनी सफलता से दूसरों के लिए एक उदाहरण बनें। इस बात पर गंभीर चिंतन करें क्योंकि अधिकतर लोग या

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