हार्टफुलनेस की समझ
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आत्म विकास से जुड़ी ये पुस्तिका एक ऐसा साधन है जो इसके पाठकों की व्यक्तिगत समस्याओं का हल सुझाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। किंतु इसे पढ़ने के बाद क्या होता है? क्या हमारे भीतर इस पुस्तिका की शिक्षाओं का अनुसरण करने की पर्याप्त इच्छा शक्ति है।
जैसे एक व्यंजन बनाने की विधि पढ़ लेने भर से उसका वास्तविक स्वाद नहीं मिलता है। उसी प्रकार पुस्तक पढ़ लेने भर से हमें वह समझ नहीं मिलेगी जो हम स्वयं के
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Book preview
हार्टफुलनेस की समझ - Kamlesh D. Patel
हजारों मील का सफ़र भी एक कदम
बढ़ाने से ही शुरू होता है।
- लाओ त्सु
हार्टफुलनेस अभ्यास
हार्टफुलनेस में चार मुख्य अभ्यास हैं जिन्हें सीख कर हम अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं।
ये अभ्यास हैं-
रिलैक्सेशन
ध्यान
सफाई
प्रार्थना
ये अभ्यास एक दूसरे से जुड़े हैं। ये उन तत्वों की तरह हैं जिन्हें यदि सही अनुपात में मिलाया जाए तो एक स्वादिष्ट व्यंजन तैयार हो जाता है। सभी को एक साथ जीवन में उतारने के बजाए कई साधक इन अभ्यासों को एक-एक करके शामिल करना पसन्द करते हैं। सबसे अच्छा यही होगा कि इन अभ्यासों को किसी हार्टफुलनेस ट्रेनर की मदद से व्यक्तिगत रूप से सीखा जाए। इसके निर्देश इस पुस्तिका में दिए गए हैं।
जिस प्रकार एक पेड़ के जीवन-चक्र के लिए उसे पानी और धूप की ज़रूरत होती है उसी प्रकार अपनी यात्रा के हर स्तर पर हमें इन चार अभ्यासों द्वारा पोषण की ज़रूरत होती है। हार्टफुलनेस अभ्यास में कुछ पूरक अभ्यास भी हैं जिन्हें आपके ट्रेनर द्वारा आपको सही वक्त पर बताया जाएगा। हमारे ट्रेनर आपको जीवनशैली से जुड़े कुछ दिशा-निर्देश एवं सलाह भी देते हैं जो इन चार मूलभूत अभ्यासों को बेहतर तरीके से करने में सहायक सिद्ध होंगे।
जब हम हार्टफुलनेस की यात्रा शुरू करते हैं तो एक डायरी रखनी ज़रूरी होती है। इससे हमारी जागरूकता बढ़ती है और हम अभ्यास से होने वाले प्रभावों की कद्र कर पाते हैं। समय बीतने पर इससे हमारी प्रगति का रिकॉर्ड भी बन जाता है। अक्सर ऐसे अनुभव होते हैं जिन्हें हम पूरी तरह से समझ नहीं पाते लेकिन यदि डायरी बना लें तो एक दिन ऐसा भी आता है जब हम उसका अर्थ निकाल लेते हैं और तब तक हुई अपनी यात्रा को बेहतर समझ पाते हैं। यह उचित सलाह होगी कि हर ध्यान के पश्चात आप अपना अवलोकन नोट कर लें। यह जैसा भी होगा सही होगा। यहाँ तक कि यदि हमें कुछ भी महसूस न हुआ हो तो यह भी एक नोट करने लायक अवलोकन होगा। अपने नित्य अनुभवों को लिखने में रुचि लेने से हम अपने बदलते भीतरी नज़ारे के प्रति और अधिक चौकन्ने होते जाएँगे।
यदि मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी आपकी कोई दिक्कत हो या आपका कोई ख़ास इलाज चल रहा हो तो शुरू करने से पहले किसी हार्टफुलनेस ट्रेनर और/अथवा अपने चिकित्सक से अपनी स्थिति पर चर्चा कर लें या care@heartfulness.org पर लिखें जिससे कि आपको आपकी ज़रूरत के अनुकूल अभ्यास कराया जा सके।
और अधिक जानकारी तथा हार्टफुलनेस व उसके अभ्यास पर अपनी समझ को गहरा करने के लिए कृपया कमलेश पटेल एवम् जोशुआ पोलॉक की पुस्तक ‘द हार्टफुलनेस वे’ पढ़ें। यह पुस्तक आध्यात्मिक रूपान्तरण के लिए हृदय पर आधारित ध्यान के बारे में है।
हार्टफुलनेस रिलैक्सेशन
इन निर्देशों को पढ़ें और उन्हें खुद पर आजमाएँ या फिर इन्हें थोड़ा ऊँची आवाज में पढ़ कर दूसरों को इसका अभ्यास कराएँ। यह अभ्यास बिलकुल अच्छी तरह से तब हो पाता है जब हम अपने फ़ोन और ध्यान भटकाने वाले अन्य उपकरण बन्द कर दें। यह रिलैक्सेशन कभी भी और विशेषकर हार्टफुलनेस ध्यान से पहले किया जा सकता है।
आराम से बैठ जाएँ और अपनी आँखें अत्यंत कोमलता से और हल्के से बंद कर लें।
पैरों की उँगलियों से आरम्भ करें। पैरों की उँगलियों को थोड़ा हिलाएँ और महसूस करें कि वे शिथिल हो रही हैं।
महसूस करें कि धरती माता से आरोग्यकारी ऊर्जा निकल कर पैरों की उँगलियों में, पैरों में और टखनों में प्रवेश कर रही है और फिर घुटनों की ओर बढ़ती हुई निचली टाँगों को शिथिल कर रही है।
आरोग्यकारी ऊर्जा को ऊपर टाँगों की ओर बढ़ता हुआ महसूस करें। अपनी जाँघों को शिथिल करें।
अब अपने कूल्हे, निचले शरीर और कमर को गहराई से शिथिल होने दें।
अपनी पीठ को रिलैक्स करें। रीढ़ की हड्डी के ऊपरी सिरे से लेकर टेलबोन तक पूरी पीठ रिलैक्स हो गई है ऐसा महसूस करें।
अपनी छाती और कंधों को शिथिल करें। अपने कंधों को पिघलता हुआ महसूस करें।
अपनी बाँहों के ऊपरी भाग को ढीला छोड़ दें। बाँहों के निचले भाग की सभी मांसपेशियों को तथा हथेली व उँगलियों को उनके सिरे तक शिथिल होने दें।
अपनी गर्दन की माँसपेशियों को शिथिल करें। अपना ध्यान अब चेहरे की ओर ले आएँ। जबड़े, मुँह, नाक, आँखें, कान, चेहरे की माँसपेशियाँ, माथा और उससे आगे सिर की चोटी तक सब शिथिल होने दें।
अपने पूरे शरीर को पूर्ण रूप से शिथिल महसूस करें। सिर की चोटी से लेकर पैरों की उँगलियों तक अपने पूरे तन्त्र का मुआयना करें और शरीर के किसी भाग में यदि अब भी कोई तनाव, दर्द या खराबी है तो उसे कुछ और देर तक धरती माँ की आरोग्यकारी ऊर्जा में डूबा हुआ महसूस करें।
जब आप तैयार हों तो अपना ध्यान अपने हृदय की ओर ले आएँ। कुछ देर वहीं रहें। अपने हृदय में विद्यमान प्रेम व प्रकाश में स्वयं को डूबा हुआ महसूस करें।
स्थिर व शान्त बने रहें और धीरे-धीरे स्वयं में डूब जाएँ।
जब तक आप चाहें और जब तक आपको यह न लगने लगे कि आप बाहर आने के लिए तैयार हो गए हैं इसी में डूबे रहें।
हार्टफुलनेस ध्यान
कोई ऐसा स्थान चुनें जहाँ आप बिना किसी शोरगुल या भटकाव के ध्यान कर सकें। हो सके तो रोज एक ही स्थान और एक ही समय पर बैठें। अपना फोन और अन्य उपकरण बन्द कर दें। अपनी पीठ को बिना सख्ती के बिलकुल सीधा करके बैठें।
आराम से बैठें। हल्के से अपनी आँखें बंद करें और रिलैक्स हो जाएँ।
यदि ज़रूरत समझें तो कुछ मिनट हार्टफुलनेस रिलैक्सेशन के द्वारा अपने शरीर को रिलैक्स करें।
अपना ध्यान भीतर की ओर मोड़ें और कुछ देर स्वयं का अवलोकन करें।
अब